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मच्छर आज का ज्वलंत मुद्दा है।पूरे संसार में ये फैले है।इंसानों की आबादी से कई गुना बड़ीआबादी और बस्तियाँ इन्होंने बसाई है।हमेशा खून चूसने की फिराक में ये रहते हैं।दिन में कम रात में अधिक परेशान करते है ये घातक प्राणी।घर के किसी भी कोने में ढूंढो मिल जायेगा।आप सब को हम सबको परेशान करता पाया जायेगा।काट ले तो गम नही।मगर दोपहर को काटे और चिकन गुनिया करवा दे तो हड्डियों की ईंट से ईंट बजा दे।बिस्तर से उठना मुश्किल कर दे।मूत्रालय तक जाने में जान निकाल दे। थोड़ा सा भार शरीर का जोड़ो पे पड़ते ही जोड़े करहा उठे और दर्द मुह पे आ जाये।बख लिया न जाये।दांतों का भी बैंड बज जाए।इधर मच्छर का एक डंक आप के हाथ पांव सारे जोड़ दर्द कराये उधर डॉक्टर जहर सी कड़वी दवाई पिलाये।कुल मिला के एक हफ्ते का फलाहार व्रत रखवाए और फिर ठीक होने के साल भर बाद तक रह रह के आपके जोड़े दुखाये।अबे ये मच्छर मर क्यों न जाते?सगरे साले हमारा मजाक बनायें जाते।ये लो इब के टी वी पे देखी काली फिनिट घर ले आये।हर कोने में स्प्रे कर मार गिराए।विजय मुद्रा में रात को आराम फरमाये।अरे ये सुबह होते ही नए मच्छर घर कु आये। पुराने नुस्खे से बने कछुआ छाप जलाए।वाह भाई मच्छर मार भगाए।रात को नींद भी अच्छी से आये।कुछुआ रात में ही जल मरा।कोन रोज रोज बत्ती जलाये। अरे यार गुड नाईट घर ले आये।मच्छर इसके चलाते ही भाग जाएं।इसके बन्द करते ही फिर मच्छरन की फौज हमलावर हुई जाये।पहले से जितनी भी तैयारी कर लो जहां पानी दिखे हम तो दिखेंगे रोक सके तो रोक लोे ।खूब सड़कों पे मशीन चलाई पर ज्यादा काम न आई।अब लो शुद्ध ताज़ा पानी भी मूआ दुश्मन हूआ जाता है और डेंगू फैलता है।अरे भाई जहां ये पानी खड़ा हो कुछ मिट्टी का तेल ही डाल दो भाई।कुछ लोगों की जान ही बच जाई।ये मलेरिया भी फैलाई और कभी कभी महामारी भी बन जाई।मच्छर दानी इसका सरल उपायी।न मच्छर घुसे इस दानी में न काटें इस नदाने शरीर को।नींद भी मस्त आयी।जो कुछ मच्छर दानी में घुस आयें तो जान लीजीये एक मच्छर भी हम सबको हिजड़ा बनाई।जोर जोर से तालिन की आवाज़ आयी। इसका उपायी पंखा को पांच नंबर पे कर जबरदस्त घुमाई और अगर घर में ए सी लग रही तो ठंडा जरा कम करी।येही मच्छरों की सबसे तगड़ी लड़ाई।चलो मिल जुल इनसे युद्ध करें और साफ स्वच्छता खूब करें न इकठ्ठा होने दें पानी कहीं।ये हम सबकी सांझी जिम्मेदारी है।सरकार को भी समय से चेताना है।उनकी मशीन भी चलवानी है।गर्मी जितनी।भी हो शरीर तक न पहुंचे इसे जरूर पूरा ढकना है।मच्छर को भी ढूंढने दो के शरीर कहाँ छिपा है।बच्चों का कुछ खास ध्यान रखें पूरे कपड़े हर वक़्त पहनाये रखे।ये मच्छरों के दौर है ।पूरी क़ौम जवानी पे है।कुल मिला के बरसातों तक रौनक इनको अपने प्रेम की बढ़ानी है।सर्दियों तक आप के खून से प्यास इन्होंने बुुझानी है। चलो संकल्प ले सभी एक हर एक जान मच्छरों से बचानी है।येही एक इंसान और मच्छर की हर साल की कहानी है।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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