Skip to main content

आरेगानो।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊✍🏼🌹
आज काफी दिनों बाद पिज़्ज़ा खाने का मौका लगा।पिज़्ज़ा सालों से खा रहे है।हर देश के अपने व्यंजन है और उनकी विशेषताएं।पिज़्ज़ा के साथ चिल्ली फ़्लेक्स और आरेगानो मिलता है।आरेगानो को पिज़्ज़ा पे छिड़कते ही पिज़्ज़ा का स्वाद बड़ जाता है।तो आज सोचा इसी पे शोध कर लिया जाये।इसकी जानकारी संकलित की गई आप मित्रों के लिये....
अजवायन के हरे पत्ते को हम Oregano के नाम से जानते है| ओरेगेनो Oregano को ‘पिज्जा हर्ब’ के रुप में भी जाना जाता है। ज्यादातर लोग ओरेगेनो का सिर्फ पिज्जा में स्वाद बढ़ाने वाले तत्व के रुप में जानते हैं। लेकिन ओरेगेनो सेहत के लिए बहुत ही उपयोगी हर्ब में से एक हैं। आइये जानते है ओरगेनो क्या है ?…
वानस्पतिक नाम: ओरिगानम वल्गरे
ओरगेनो का हिंदी नाम: अजवायन की पत्ती (सथ्रा)
विदेशी नाम:
French : Origan
German : Oregano
Greek : Origanon
Spanish : Oregano
परिवार: लामिएसी
वाणिज्यिक अंग: पत्ता एवं मुकुल (कली)
ओरेगेनो में मौजूद पोषक तत्व:
विटामिन A, C और E कॉम्पलैक्स के साथ जिंक, मैग्निशियम, आयरन, कैल्शियम, पौटेशियम, कॉपर, मैगनीज भी पाया जाता है।
ओरगेनो चढनेवाली जडों, 30-90 से.मी. ऊँचा, शाखित लकडीदार तने एवं विपरीत, सवृंत एवं रोमिल पत्तोंवाला 1.5 से.मी. लंबे चिरस्थाई शाक है।
फूल फीके बैंगनी रंग वाले हैं और पुष्पण की अवधि जून अंत से अगस्त तक है। बाष्पशील तेलवाली छोटी ग्रन्थियों से पर्णावाली बिन्दुकित होती है जो उस पौधे को ऐरोमा और रेग प्रदान करती है।
ओरगेनो मेडिट्टरेनियन क्षेत्र देशज है लेकिन यह मेक्सिको, इटली, तुर्की, डोमिनिकन रिप्पब्लिक एवं ग्रीस में लगाया जाता है|
भारत में यह शीतोष्ण हिमालय में कश्मीर से सिक्किम तक पाया जाता है। यह एक कडा पौधा है और सभी गरम बागान मृदाओं में बढाया जा सकता है।
पौधे केलिए शीतोष्ण से उपोष्ण जलवायु अभिकाम्य है और यह तरल, अच्छी निकासवाली मिट्टी में धूपवाली हालत में बढता है।
ओरेगेनो का उपयोग:
ओरगेनो मांस, सॉसेज, सलाद, सजावट, स्टयू एवं सूप में प्रयुक्त होता है
खाद्य उद्योग में, खाद्य एवं पेयों में ओरगेनो तेल व तैलीराल प्रयुक्त किया जाता है।
ओरेगानो लगभग किसी भी टमाटर से बने व्यंजन के साथ बेहद अच्छा लगता है। साथ ही यह मिर्च, स्पेघटी सॉस, पिज़्जा, ज़ुकीनी, ब्रॉकली और फूलगोभी जैसे तेज़ सवाद वाली सब्ज़ीयों के साथ अधिकतर उपयोग किया जाता है|
ओरगेनो तेल में वातहर, आमाशयिक, मूत्रवर्ध्दक, प्रस्वेद (स्वेदकारी) गुण निहित है|
Oregano प्रतिऑक्सीकारक एवं प्रतिसूक्ष्मजीवाण्विक गुणविशेषताओं से युक्त है।
ओरगेनो के फायदे:
अपच, गैस, खाँसी, पेशाब संबंधित बिमारी, फेफड़ो से संबंधित बिमारी, सरदर्द, गले में सूजन से आराम पाने के लिए और मासिक धर्म को बढ़ाने के लिए ओरेगानो से बनी चाय पीकर देखें।
घावों के उपचार में बाहरी तौर पर यह प्रयुक्त किया जाता है। यह प्रतिऑक्सीकारक एवं प्रतिसूक्ष्मजीवाण्विक गुणविशेषताओं से युक्त है।
बंद नाक के लिए ओरेगेनो ऑयल की तीन बूंद को आधा कप उबले हुए पानी में मिला कर पी लें। आप चाहें तो स्टीम लेने के लिए तैयार किए गए पानी में भी ओरेगेनो ऑयल को डाल सकते हैं और दिन में दो बार स्टीम लें। इससे बंद नाक जल्द ही खुल जाएगी।
ओरेगानो के पत्तों को पीसकर इसके पेस्ट को लगाने से, गठिया, सूजन, खूजली, माँसपेशीयों मे दर्द और घाव के दर्द से आराम मिल सकता है।
औमतौर पर फ्लू होने पर सिरदर्द , बुखार, उल्टी, कफ, गले में दर्द  जैसे लक्षण दिखाई देते हैं तो एक गिलास पानी में ओरेगेनों की कुछ बूंद मिलाकर पीने से आपको इन लक्षणों से निजात मिल सकता है।
यह हृदय की तेज धड़कनों को नियंत्रित करता है और रक्तचाप जैसी गंभीर समस्या से भी छुटकारा दिलाता है।
ओरेगेनो में फेफड़ों को साफ करने वाले तत्व पाए जाते हैं जिसकी वजह से अस्थमा की समस्या से बचा जा सकता है। अगर आप अस्थमा की समस्या से ग्रस्त हैं तो  ओरेगेनों टी ले सकते हैं
ओरेगेनो में फाइबर का अच्छा स्रोत है जो कैंसर पैदा करने वाले टॉक्सिन को शरीर से बाहर निकाल देता है। एंटीबैक्टेरियल और एंटी इंफलामैटरी से भरपूर ओरेगेनों स्तन कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को भी दूर रखता है।
मात्र पिज़्ज़े के स्वाद वर्धक के रूप में ही इसे न देखें।ये बहुउपयोगी है और एक औषधि के रूप में प्रयोग की जा सकती है।अपने श्वास से इसकी महक का पान तो करें ही और इसके सेवन से तन भी स्वास्थ्य की महक से महक उठेगा।
जय हिंद।
****🙏🏼****✍🏼
शुभ रात्रि।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

Comments

Popular posts from this blog

रस्म पगड़ी।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक  समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस

भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 112 से 117 तक।

🌹🙏❣❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣❣✍🌹 भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 112 से 117 वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया का वर्णन करता है। ये  सरकार की वित्तीय प्रणाली का महत्वपूर्ण अंग है।हमारे संघ प्रमुख हमारे माननीय राष्ट्रपति इस हर वर्ष संसद के पटल पर रखवाते है।प्रस्तुति।बहस और निवारण के साथ पास किया जाता है।चलो जरा विस्तार से जाने। यहां अनुच्छेद 112. वार्षिक वित्तीय विवरण--(1) राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के संबंध में संसद के दोनों सदनों के समक्ष भारत सरकार की उस वर्ष के लिए प्राक्कलित  प्राप्ति यों और व्यय  का विवरण रखवाएगा जिसे इस भाग में “वार्षिक  वित्तीय विवरण”कहा गया है । (2) वार्षिक  वित्तीय विवरण में दिए हुए व्यय के प्राक्कलनों में-- (क) इस संविधान में भारत की संचित निधि पर  भारित व्यय के रूप में वार्णित व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित   राशियां, और (ख) भारत की संचित निधि में से किए जाने के लिए प्रस्थाफित अन्य व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित राशियां, पृथक –पृथक दिखाई जाएंगी और राजस्व लेखे होने वाले व्यय का अन्य व्यय से भेद किया जाएगा   । (3) निम्नलिखित व्यय भारत की संचित निधि पर भार

दीपावली की शुभकामनाएं २०२३।

🌹🙏🏿🔥❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🇮🇳❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🔥🌹🙏🏿 आज बहुत शुभ दिन है। कार्तिक मास की अमावस की रात है। आज की रात दीपावली की रात है। अंधेरे को रोशनी से मिटाने का समय है। दीपावली की शुभकानाओं के साथ दीपवाली शब्द की उत्पत्ति भी समझ लेते है। दीपावली शब्द की उत्पत्ति  संस्कृत के दो शब्दों 'दीप' अर्थात 'दिया' व 'आवली' अर्थात 'लाइन' या 'श्रृंखला' के मिश्रण से हुई है। कुछ लोग "दीपावली" तो कुछ "दिपावली" ; वही कुछ लोग "दिवाली" तो कुछ लोग "दीवाली" का प्रयोग करते है । स्थानिक प्रयोग दिवारी है और 'दिपाली'-'दीपालि' भी। इसके उत्सव में घरों के द्वारों, घरों व मंदिरों पर लाखों प्रकाशकों को प्रज्वलित किया जाता है। दीपावली जिसे दिवाली भी कहते हैं उसे अन्य भाषाओं में अलग-अलग नामों से पुकार जाता है जैसे : 'दीपावली' (उड़िया), दीपाबॉली'(बंगाली), 'दीपावली' (असमी, कन्नड़, मलयालम:ദീപാവലി, तमिल:தீபாவளி और तेलुगू), 'दिवाली' (गुजराती:દિવાળી, हिन्दी, दिवाली,  मराठी:दिवाळी, कोंकणी:दिवाळी,पंजाबी),