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गुजरात एक खूबसूरत प्रदेश है।सुंदर सड़कें और व्यवस्थित संचालन ने इस प्रदेश को काफी समृद्ध किया है।इसके बाशिंदे भी खूब मेहनती और खूब पर्यटन करने वाले है।सभी धार्मिक जगाहों पे आप को गुजराती पर्यटक मिल ही जायेंगे।कमायेंगे जम के और मेहनत करेंगे जम के और घूमेंगे फिरेंगे खायेंगे पियेंगे भी जम के।खूब सफाई पसंद क़ौम है गुजरातियों की।गुजराती व्योपारी पूरे भारत के हर शहर में आप को मिल जायेंगे।तो आज मौका लग गया गुजरात आने का।वैसे पहले भी गुजरात आता जाता रहा हूँ काम की सिलसिले में मगर देखने का मौका ज्यादा नही मिला।तो आज शायद कुछ समय मिल जाये।शाम को दिल्ली से जहाज पकड़ा और उतर गए अहमदाबाद शहर हवाई अड्डे पे।मौसम बहुत सुहाना हुआ जाता है।बादलों की आवाजाही लगी हुई है।पानी बरस के हटा है।हवाई जहाज में ऊपर से देखने मे ही शहर की सुंदरता का एहसास हो गया।फिर टैक्सी ड्राइवर भी अच्छा मिल गया।जो हमे सीधा मित्र के घर ले गया।टैक्सी भी मुझे गुजरात मे सस्ती लगी।खैर दो दिन का दौरा है तो सोचा गुजरात के शहर अहमदाबाद के बारे में जानकारी इकठी की जाये।यहां की काजू की मिठाई बहुत मशहूर है टैक्सी वाले ने बताया।तीन चार नाम बताये मिठाई वालों के मोहन लाल हलवाई याद रह गया। खैर समय है ढूंढ़ लिया जायेगा।चलिये पहले अहमदाबाद को तो समझे।एयरपोर्ट पे गुजरात की स्थापत्य कला का नमूना पोस्टर किया गया है।एग्जिट होते हुए पोस्टर लगाए कैसे गये है एसकेलेटर से उतरते हुए दिख जाएंगे।चलो जाने अहमदाबाद को....
अहमदाबाद (गुजराती: અમદાવાદ अमदावाद) गुजरात प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है। भारतवर्ष में यह नगर का सातवें स्थान पर है। इक्क्यावन लाख की जनसंख्या वाला ये शहर, साबरमती नदी के किनारे बसा हुआ है। 1970 में गांधीनगर में राजधानी स्थानांतरित होने से पहले अहमदाबाद ही गुजरात की राजधानी हुआ करता था। अहमदाबाद को कर्णावती के नाम से भी जाना जाता है। इस शहार की बुनियाद सन 1411 में डाली गयी थी। शहर का नाम सुलतान अहमद शाह के नाम पर पड़ा था।
इस शहर को भारत का मेनचेस्टर भी कहा जाता है। वर्तमान समय में, अहमदाबाद को भारत के गुजरात प्रांत के एक प्रमुख औद्योगिक शहर के रूप में जाना जाता है। ऐतिहासिक तौर पर, भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान अहमदाबाद प्रमुख शिविर आधार रहा है। इसी शहर में महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम की स्थापना की और स्वतंत्रता संघर्ष से जुड़ें अनेक आन्दोलन की शुरुआत भी यही से हुई थी। अहमदाबाद बुनाई के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इसके साथ ही यह शहर व्यापार और वाणिज्य केन्द्र के रूप में बहुत अधिक विकसित हो रहा है। अंग्रेज़ी हुकूमत के दौरान, इस जगह को फ़ौज़ी तौर पर इस्तमाल किया जाता था। अहमदाबाद इस प्रदेश का सबसे प्रमुख शहर है।
अपने ऐतिहासिक और औधोगिक पहचान के रूप में जाना जाने वाला गुजरात का बेहद आकर्षक शहर अहमदाबाद को 'गुजरात का हृदय' भी कहा जाता है। यह शहर दुनिया में मास्टर बिजनेसमैन के नाम से भी मशहूर है। इतना ही नहीं इसी शहर में गांधी जी ने सत्याग्रह और अहिंसा का पाठ पढ़ाया था। इस तरह यह शहर भौतिकवादी और आत्म - त्याग की आध्यात्मिकता वाला शहर है। पर्यटन की दृष्टि से अहमदाबाद दर्शनीय स्थलों से भरपूर है। यहाँ देश-विदेश के पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है।अहमदाबाद शहर एक ऐसा स्थान है जहां कई ऐतिहासिक स्मारक है, आधुनिक आकर्षण की कोई कमी नहीं है, बड़े - बड़े मॉल और मूवी हॉल है, हटथीसिंग जैन मंदिर, सिदी सैय्यद मस्जिद, स्वामी नारायण मंदिर, जामा मस्जिद, महुदी जैन मंदिर, अक्षरधाम मंदिर, सिटी वॉल्स और द गेट्स, रानी नो हाजीरो, झूलता मीनारा, सरखेज रोजा, दादा हरी वाव, अदलाज सीढ़ीदार कुंआ आदि यहां के प्रमुख आकर्षण है।
स्वामी नारायण मंदिर के समीप हम अपने मित्र के घर रुके ही है।यहां की आज के दौर की स्थापना साइंस सिटी सामने ही है।दो खूबसूरत और ज्ञान के स्रोत्र के पास ही ठिकाना है।आज पहुंचे है कल अब घूमने का समय भी निकाला जायेगा।चलो देखते है क्या क्या देख पाते है या नही देख पाते है।वक़्त को कोई भरोसा नही है ना।अगर देख पाए और मौका लगा तो आप को आंखों देखी सुनाते है।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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