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क्यूं रे जवान ये तो बता सरहद तेरी लगती क्या है? क्यों मर मिटने को हमेशा तैयार है तू? कोन है जिसे तू बचाना चाहते है? क्यों तुझमे इतना जस्बा है? ईश्वर भी तुझसे क्या ये कभी पूछता है के बता तेरी रजा क्या है?जवान भी जोश से खड़ा होता है और जोर से दहाड़ते हुए कहता है मैं इस मिट्टी से जन्मा इस धरती माता का सपूत हूँ।ये भारत मेरी माता है।जन्म लिया इस सौंधी मिट्टी में।खून में इसकी भक्ति है। हर वक़्त जोश में ये बहती है।रक्षा की शक्ति ये मुझे हर पल देती रहती। है 131 करोड़ मेरे भाई बहन और सब रिश्ते है।रक्षा का वचन जो मैंने तुझे दिया पूरा करने के ठानी है। निभाऊंगा उसे मैं अपनी अंतिम सांस तक।अब चाहे सर कटे या कटे अंग अंग । डर किसको जब चढ़ा मुझपे भारत माता का रंग।कफ़न में लिपटूं तो तिरंगा हो जाऊं।वर्दी में एक भारत माँ का फौजी सपूत कहलाऊँ।मर जाऊं तो शहीद कहलाऊँ।मन से सदा अमर हूँ क्योंकि मैं भारत माँ का पूत एक जवान कहलाऊँ।
हमने भी कहा
शहादत के वीरों को मेरा सलाम है।
ये वीर है तो मेरी भारत माँ को सलाम है।।
तेरी शहादत से इसेे बल मिलता है।
कोई तो है जो भारत माँ का भी निगेवान है।।
ये सरहदे तेरे कर्ज से कर्जदार है जवान।
हम कोम के बाशिंदे तेरी शहादत से शर्मसार है।।
न हुए हम कुछ भी के ए वतन बस तेरे।
अगर बदला न लिया ए जवान गुनाहगार से तेरे।।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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