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दम दम दम अरे देखो दम।
बहुत है हममें तुममें सबमे दम।।
जहां खड़े हो जायें दिखा दे दम।
जहां चल पड़े दिख जाये दम।।
जहां दौड़ पड़े लगा दे पूरा दम।
जहां कूद जाये दिखे जबरदस्त दम।।
जहां लड़ जाये अगला मान ले दम।
जहां भिड़ जाये निकले दूसरे का दम।।
जहां पिल जाये कर दे दम बोल दम।
जहाँ लिख दें दिखे कलम का ही दम।।
जहां कह दे दिखे जुबान का दम।
जहां वायदा कर दे हो जाये दम दम दम।।
जहां रिश्ते बनाये दिखे उनमे दम।
जहां दुनिया बसायें कर दे बस हमदम।।
जहां नाचे वहाँ मंच माने टांगो का दम।
जहां गाना गाये जम जाये रंग हरदम।।
जहां खाये प्लेटें चमके हर दम।
जहां पीने लगे खाली बोतलें हर दम।।
जहां साईकल पे चढ़े तो सड़के नापी दमा दम।
जहां गाड़ी की सवारी तो स्टेयरिंग बोले दम दम।।
जहां हाथ मे लठ पकडा अपराधी का निकले दम।
जहां सरहद पे बंदूक थामी दुश्मन हो गए बेदम।।
अब और क्या बोले भाई हर तरफ बिखरा है बस जोश और मेरा तुम्हारा हम सब का दम खम।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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