🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼
इंसान के जीवन मे पहली बार आंख खुलने के साथ प्यारा रुदन होता है।सारे अंग अँगड़ाइयाँ मारने लगते है।चारों तरफ खुशी का माहौल बन जाता है।सब के सब जश्न में डूब जाते है।सामाजिक बुराइयों को अलग रखते हुए कह रहा हूँ।घर मे नए जीवन का उत्सव मनता है।हम पंजाबी है तो रौनक खूब लगती है।जोर शोर से जश्न होता है।मिठाइयों की बहार आ जाती है।सब कोई नवजात की भीनी भीनी महक लेना चाहते है। अच्छे मंजर की बात कर रहा हूँ। जब तक नावजात से अबोध की दुनिया रहती है सब से प्यारा समय होता है।कोई बुराई दिल मे घर नही करती।हर कोई अपना सा प्यार लिए नज़र आता है।फिर बोध की स्थिति आती है।आप के खास दिन का जश्न हर साल मनाया जाता है।पहले पहले माता पिता अपनी सहूलियत हिसाब से आप के साथ ये खुशियों के पल याद कर जश्न मनाते है।शायद कुछ तुम्हारे हमारे पहले दिन के ख्याल भी आते है। और फिर एक यात्रा शुरू होती है जहां बालक की इच्छाएँ हावी होती है।अपनी समृद्धि की स्तिथि अनुसार जिद को पूरी करने का पालन किया जाता है।वक़्त के साथ रस्मे रिवाज और मुबारक बदलती जाती है।पहले पहल पूजा स्थल के दर्शन कर ईश्वर का आशीर्वाद ले दान पुण्य से दिन की शुरुआत होती थी।देने के सुख को समझाया जाता था।नये कपड़े मिलते थे।फिर माँ हलवा पूरी पकोड़े न जाने क्या क्या मन की पसंद की चीज खाने को बनाती खिलाती जाती थी।माँ की बचपन की खुशबू सारी उम्र का अटूट रिश्ता प्रेम से निभाती है।जो आज भी सतत जारी है। फिर वक़्त बदला केक का जमाना आ गया।फिर चिप्स केक पेटिस और एक तोहफे ने उम्मीद को लालच में बदल दिया।माँ तो हर रूप में।प्यार ही देती आयी मैंने तो अधिकार मान लिया।उम्र लगी समझने में।मगर एक बात हर वक़्त बेहतर रही ये दिन कभी माँ ने उदासी भरा नही होने दिया।जश्न तो दुनिया मे आने पे मना था और फिर ये आनंद की किर्या अनवर्त आज तक जारी है।सब दोस्त मित्र सखा बंधु बांधव रिश्तेदार नातेदार जानकार आज तो बधाई दे ही देते है।और हम तहे दिल से शुक्रिया करते हुऐ मन से कबूल करते हुए आप सब को बहुत सा शुक्रिया देते है। और मन से कहते है आज तो दिन बना दिया भाई सब ने।धन्यवाद।
जय हिंद।
****🙏🏼****✍🏼
शुभ रात्रि। गुड नाईट । शब्बाखैर।
🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹
🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
Comments
Post a Comment