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ये लम्हें है प्यार के प्यार में जिये जा।
ये लम्हे है इंतज़ार के इंतज़ार किये जा।।
ये लम्हे है निहारने के दिल से निहारे जा।
ये लम्हे है दोस्ती के दोस्ती किये जा।।
ये लम्हे है सपनो के खूबसूरती से लिये जा।
ये लम्हे है गुनगुनाने के मनगीत गाये जा।।
ये लम्हे है चहकने के कोयल सा चहके जा।
ये लम्हे है महकने के फूलों सा महके जा।।
ये लम्हे है मदहोशी के मदहोश हुए जा।
ये लम्हे है मस्ती के खूब मस्ती किये जा।।
ये लम्हे है बहकने के कुछ पी कर बहके जा।
ये लम्हे है डूबने के उनके शबाब में डूबे जा।।
ये लम्हे है दिल खोलने के खोले जा।
ये लम्हे है मन लूटने के जहां मिले लूटे जा।।
ये लम्हे है फना होने के फना हुए जा।
ये लम्हे है राज खोलने के दिल से खोले जा।।
ये लम्हे है नकाब हटाने के झूठ को हटाये जा।
ये लम्हे है गिनते जाने के मोहबतें गिने जा।।
ये लम्हे है किसी को बुलाने के बुलाये जा।
ये लम्हे है शीतल से तन को शीतल किये जा।।
ये लम्हे है बरस जाने के खूब बारिश किये जा।
ये लम्हे है गुज़रिशों के खूब किये जा।।
ये लम्हे है मुबारकों के खूब दिये और दिये जा।
ये लम्हे है दुआओं के जिनसे मिलें बस लिये जा।।
ये लम्हे है नज़रों के अपनी उनसे मिलाये जा।
ये लम्हे है जिंदगी में मुहब्बतों के बस जिये जा।।
ये लम्हे है जिंदगी के बस नेमतें लिये जा।
ये लम्हे है ही मुबारक समय बस लिखाये जा।।
हो सके तो ऐ लम्हो एक नज़र हम पे भी लुटाये जा।
एक नज़र के मुन्तज़िर है हम कभी हम पे भी नज़रे इनायत किये जा।।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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