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सेहत का राज।

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ये लाला जी और लालाओं की बात निराली है।
कुछ तोंद तो कुछ शक्ल हमारी साह ख्याली  है।।
आज जहाज़ पे चढ़े और धम्म से बैठ गये।
सीट भी एक बार को दम भर ली बड़ी जोर से।।
जहाज़ उड़ा आसमान की ऊंचाइयां चूमी उसने।
तभी यहां प्लेटें खुली डब्बे खुले फ्लाइट स्पाइस में।।
परांठे प्लेटों पे सजने लगे  इतने में मक्खन का डिब्बा खुला।
आधा परांठा और लालयन ने क़वाटर मक्खन जड़ दिया।।
एक पति एक सास एक ससुर एक ननद के नाम कर दिया।
बच्चा चिल्लया माँ मेरा परांठा कहां है।।
लाली ने प्यार से देखा और परांठा अब मक्खन से लबा लब हो गया।
सारा प्यार  माँ ने मक्खन में डाल परांठे संग प्लेट मे डाल दिया।।
भरे पूरे बच्चे ने भी चबा चबा खा सारा प्रेम तुरन्त निगल लिया।
सास पति ससुर ननद नंदोई साइज में बराबर थे भाई।।
खा पी के पचाना भी था सो एयरहोस्टेस नज़र आ गयी।
गर्म पानी मंगाया गया पहले एक कप फिर छे कप।।
खाली प्लेटें इक्कठी हो गयी सीट के नीचे पहुंचा दी गयी।
कुछ देर बादों एयरहोस्टेस प्री बुक मील ले के आ गयी।।
सासु मां की बांछे खिल आयी बोली बेटी या में का मिलेगा।
इतने में वेजमील की ट्रे सामने आई जूस भी आ गए।।
जूस सारे सासु मां के पर्स में और खाने का एक दौरऔर चला।
सारे परिवार की सेहत का राज अभी अभी मेरे सामने  खुला।।
सवा सौ से कोई एक भी उनमे कम न दिखा।
हम सोचते रह गए इतने में उनके खरांटे जवां हो गए।।
बहुत वर्ष बीते याद आ गयी एक और लाला जिनकीे सेवा दिल ले गयी।
खूब देसी घी मे बनी दाल और घी से तर बतर रोटियां मिली।
हमने भी जवानी के जोश में चार पांच सटक ली।।
रोटी हो ली तो एक डब्बा और खुला  घी में तैरते हलवे का।
हमने पूछा लाला जी जे का है बोले बेटा माल है माल खा लो।।
जेही बात सालों बाद लाला जी कीआज तस्सली से पता चली ।
ये मोटी सेहत का राज लालाओं संग आज खुली ।।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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