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जिसे देखो वो कुछ खाए समझदार हुआ जाता है।
कुछ आप की कम सुनता है बाकी सब अपनी सुनाता है।
हर बात का उसको इल्म है।
आप खामख्वाह उसको नही मानते है।
आप जज़्बातों में आकर न सुनने पे आमादा है।
पर वो भी बचु अपने लॉजिक लगाने पे आमादा है।
आप के मुह से एक बात छूटती है।
वहां पूरी कहानी ही गढ़ जाती है।
आप बात का इशारा भी नही समझ पाते।
वहाँ वे कहानी ही खत्म कर जाते है।
हर वक़्त कुछ विचलित से मन लिए वे घूमते है।
और सारी दुनिया ही उन्हें गलत नज़र आती है।
जितनी भी जिरह कर लो उनसे कमबख्त।
अंत मे हार अपनी ही नज़र आती है।
बहुत से ज्ञान के ये लोग मालिक होते है।
जहाँ जगह बन जाये नाक अपनी वही घुसा ही देते है।
ख्याल पूरा रखते है के दूसरा जीत न पाये।
मसाला हर वक़्त दिमाग में लिये घूमते है।
हर जगह कहते पाये जाते है " मुझे पता है"।
भाई जे ही बता दो तुम्हे क्या नही पता है।
जबाब आता है मुझे तो सब पता है।
सिर न धुनें तो क्या धुनें भाई इस इंसान को तो सब पता है।
भूल के भी आप उनसे शर्त लगा नही सकते।
पता तो है ही के जीतना तो उन्हें ही है।
आप कोई भी लॉजिक लगा लो जिंदगी का।
फाइनल लॉजिक तो बस उन्हीं का है।
जिस नजरिये से दुनिया उन्होंने समझी मान जाइये वो बेहतर थी।
हम अभी सोच ही रहे थे उन्होंने तो साबित कर दिया।
बोलो अब हुआ न आप से समझदार मिले जिसे सब का प्यार।
आप अभी तो लगे थे दौड़ने।
समझदारों ने रस्सी खेंच दी।
आप पहले भी उनकी नज़र में कमअक्ल अहमक थे आज भी हो।
क्योंकि जिसे देखो वो समझदार हुआ जाता है।
कुछ आप की सुनता है बाकी सब अपनी ही कह सुनाता है।
समय नही आप को समझने का किसी के पास।
सब ही खास ज्ञान अक्ल लिए आप से ज्यादा फिरते है।
अपने को ना जाने क्या समझते है।
जो भी हो इनसब के बीच हम कमअक्ल है ये साबित है।
शायद येही हमारी अक्ल की कमअक्ल पहचान है।
देखो समझो जिसे देखो वो समझदार हुआ जाता है।
कुछ कम आप की सुनता है बाकी सब ज्यादा अपनी सुनाता है।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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