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एक भक्त एक चमचे की भिड़ंत जारी है
गुथम गुथा हो रही बड़ी तैयारी है।
कभी भक्त ऊपर कभी चमचा ऊपर।
बीच बाजार भीड़ मजे ले रही है।
अरे भक्त ठीक कह रहा है नही भाई चमचा सही है।
भीड़ में जबरदस्त बहसबाजी होने लगी।
चार पटकनी चमचा देता तो चार भक्त।
दोनों बराबर दमदार न वो दो न वो चार।
घमासान मचा हुआ है दोनों में बराबर की लगी हुई है।
तेरी भक्ति बढ़ी या मेरी चमचागिरी ठनी हुई है।
वो उसकी चार गिनाता वो उसकी चार ढूंढ़ लाता।
दोनों ही सच्चे लगते जो अपनी बात सुनाता।
अगर एक खूबी गिनवाता दूसरा इतिहास बताता।
लड़ते भी ऐसे जैसे जोरू से ठनी हुई है।
कायें कायें की आवाज़ से कौवों में जैसे भगदड़ मची हुई है।
जिधर देखो सब पशोपेश में हैं के कोन सही है।
घर बाहर टी वी रेडियो सब जगह बस चर्चा येही है।
कुछ बुद्धिजीवी कयास लगा रहे है टी वी पर।
और सबसे ज्यादा अपने को सही बता रहे।
आकलनों से बाजार गरम हैै।
जनता बेचारी कंफ्यूज हो गयी है।
एक विकास दिखा गया दूजा धुन्दला चश्मा पहना गया।
आपस में भक्त और चमचे में अभी भी बेहद ठनी हुई है।
पूरा दिन गुजरा दंगल में भीड़ रही मुखालते में।
रात होने को आई है भक्त चमचा ओढे एक ही रजाई है।ठंड है भाई।
भीड़ परेशान है किसकी सुने किसकी माने।
भक्त चमचा तमाशा कर देख चैन की बीन बजा रहे है।
मंद मंद मुस्कुराते कह रहे है" बड़ा मजा आया देखो कैसे भीड़ को उल्लू बनाया"।
ये न तेरी थी न मेरी थी ये तो किस्सा कुर्सी का थी।
भोली भीड़ को अब भी भक्त चमचे की लड़ाई का मजा लेना है।
दोनों ने एक पेग लगा लिया है एक अभी बाकी है।
क्या है ने के सेहत के लिए केवल दो ही बेहतर साकी है।
भीड़ भी लुत्फ ले गयी अपना वोट बांट गयी ।
चलो अब कुर्सी मिली अब एक लंबी नींद की तैयारी है।
भीड़ बहक गयी भक्त चमचे चहक गये।
येही तो सारी तैयारी है।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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