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जब भी हम उदास होते है तुम दिल के आस पास होते हो।
तेरी मुस्कुराहटें मेरे सारे गम भुला देती है।
क्या होते हैं वो पल भी जो तेरे एहसास लाते है।
जब भी हम उदास होते है तो तुम दिल के आस पास होते हो।
दिल बेकरार होता है न जाने तुम से क्या चाहता है।
ये उदासी यू ही छटती है जो तुम दिल के पास होती हो।
कुछ देर तुम दिल से दूर होती हो मन उदास होता है।
तेरी दूरी के एक एहसास से हम उदास होते है।
न जाने कोन से अनजाने अपने पास होते है।
तेरे दूर जाने से ही मन पशेमान होता है।
लगता है के हमने कुछ तो गलत किया होगा।
फिर ये एहसास क्यों होते है तुम अगर पास होते हो।
जब भी हम उदास होते है तुम दिल के आस पास होते हो।
तेरी राहो में हम इन्ज़ार सदा करते है तेरी इनायत के लिये।
तुझे क्या बताएं हम कितनी तमन्नाएं बसाई है इस दिल मे।
इसी ख्याल से जब भी कभी उदास होते है तो तुम दिल आस पास होती हो।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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