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दोस्तो खुशियों का कभी कोई ठिकाना नही।
कभी भी चली जाती है कभी भी लौट आती है।
न दिन एक से थे न खुशियां एक सी मिली।
कभी कम कभी ज्यादा तो कभी न भी थी।
मगर ये दिन तुम्हारा था है और रहेगा।
चाहे खुशियां आये जायें स्वाहा हो जायें।
मगर हम न विचलित हुए न होंगे न होने देंगे।
आज खुशियां दिनों बाद नसीब हुई।
खूब मजा लिया दिया पल इसी मे बिता दिया।
आज बहुत दिल है चलो दिल की कुछ कहते कुछ सुनाते है।
कुछ तुझसे मन की कहते कुछ तेरी सुनते है।
कुछ तुझे गा के सुनाते है कुछ तुझ से गवाते है।
कुछ तेरे साथ नाचते है कुछ खुद ही थिरकते है।
कुछ तेरे साथ अपना भी दिन खुश हसीन बनाते है।
कुछ तू दिल सजा कुछ हम दिल के ख्वाब सजाते है।
कुछ तेरी रूह मुस्कुराये कुछ मेरी रूह खुश हो जाये।
कुछ तेरी हसरतें पूरी हो कुछ हम अपनी कर ले।
कुछ तू मेरे साथ खेल कुछ मैं खुद से खेलूं।
चल आज फिर बचपन मे एक बार फिर लौट चलें।
कुछ दोस्त फिर ढूंढें कुछ और बनाये अपनी दोस्ती पूरी निभाएं।
कभी कट्टी हो जायें फिर एक बार अब्बा कर ले।
रिश्ता फिर बचपन सा बनायें एक पल रूठे दूजे पल मान जाएं।
खूब खुल के खेलें गाएं मस्ती करें मौज।बनाएं।
सोचो रोज सुबह हो हसीन सपने लेते और शाम हो हसीन सपनो संजोते।
क्योंकि दोस्तो खुशियों का कोई ठिकाना नही।
कभी भी चली जाती है कभी भी लौट आती है।
जो है आज है आज ही जी लो आज निभा लो आज को सुंदर कर सुंदर मना लो।
हर दिन आप का नव वर्ष हो हर पल आप को बरसों की खुशियों से भर दे।
न आप कभी कोई दुख तकलीफ देखो, मित्र हो आप हमारे सब गम हम में समा जायें आप सिर्फ खुशियां पायें।
नव वर्ष की आप को आप के परिवार को ढेर सी खुशियां।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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