🌹🙏🏼❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣✍🏼🌹
उसके अंदाज़ ही अलग है।
चाहतें बहुत है पर दबा रखी है।
मन उड़ना चाहता है मगर कैद कर रखा है।
दिल मचलाता है पर बांध रखा है।
मन मे ख्याल उमड़ते उनका गला घोंट रखा है।
ऐसे न जाने कोन सी जिंदगी जी रहे है कुछ लोग।
अपने को जैसे तिरस्कार भागी रखा है।
फिर मन करता कोई तो समझे।
फिर दिल करता कोई तो सुने।
फिर रूह चाहती कोई तो पास बैठे।
इन सब मे इच्छायें बेहद दबी हुई सी है।
दिलअपनी कुर्बानियों का हिसाब मांगता फिर रहा है।
रिश्ते सब तुममे त्याग ढूंढते है।
बाकी सब अपनी अपनी सेवा ढूंढते है।
तुम भी किसी का हिसाब दे कंधा ढूंढते हो।
फिर सोचते हो बहुत सोचते हो।
किस किस के लिए करू।
किस किस के लिए जियूँ।
किस किस के लिए सहूँ।
कोई तो मेरा भी हो जिससे ये सब कहूँ।
फिर कहती ही मेरा तोे अंदाज़ अलग है।
सब रिश्ते निभाने मुझ में लिखे है।
सब की जरूरत मैं हूँ।
सब की सेवक भी मैं हूँ।
बस मुझे कौन जाने ये कहाँ लिखा है।
मन मनोस के रह जाती हूँ।
कभी मन मे चीखती चिल्लाती हूँ।
अपने से कह अपने से ही सुन लेती हूँ।
बस दुनिया के लिये लड़ते खुद से हार जाती हूँ।
इसलिये अबला नारी कहलाती हूँ।
फिर सोचती हूँ किस से कहूं।
पर क्यों कहूँ।
क्या रखा है उसे समझाने में।
जिसको मेरी कद्र नही जमाने मे।
क्यों न मैं अपने से ही सवरूँ।
अपने लिये ही सवरूँ।
अपने को देखू और मुस्कुराऊँ।
क्यों न अपनी सहेली खुद बन जाऊं।
सारी खुशियां मन की ताकत से अपने मे समाउँ।
दुनिया कुछ भी कहें मैं क्यों अबला कहलाऊँ।
जय हिंद।
💫****🙏🏼****✍🏼
शुभ रात्रि।
🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹
🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
Comments
Post a Comment