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कवि मन क्या कहता है?
कवि मन भाव गढ़ता है।
कवि मन सच बोलता है।
कवि मन दिल खोलता है।
कवि मन दर्पण देता है।
कवि मन तर्पण करता है।
कवि मन व्यंग करता है।
कवि हर रस दर्शन देता है।
कवि मन मस्त रहता है।
कवि मन मलंग बनता है।
कवि मन खोजता जाता है।
कवि मन मन पड़ता रहता है।
कवि मन समुंदर को कुंजल में लेता है।
कवि मन शब्द बांधता है।
कवि मन वाणी में रस देता है।
कवि मन खेल खेलता है।
कवि मन दिमाग पकड़ता है।
कवि मन एकाग्र होता है।
कवि मन व्यग्र होता है।
कवि मन चेतन रहता है।
कवि मन विवेचन करता है।
कवि मन काल देखता है।
कवि मन इतिहास गढ़ता है।
कवि मन चंचल होता है।
कवि मन मोह लेता है।
कवि मन सकून में रहता है।
कवि मन निश्छल होता है।
कवि मन सीधा होता है।
कवि मन शन्ति दूत होता है।
कवि मन भाषा सिंचित है।
कवि मन दिशा बताता है।
कवि मन दृश्य बनाता है।
कवि मन आत्मविभोर करता है।
क्या बताऊँ कवि मन क्या होता है?
कवि मन क्या कहता है?
जरा सुनते जाईये कवि मन काल दिशा देश संदेश देता है।
जो आज है उसकी सुनाता है।
फिर पूछते हो कवि मन क्या कहता है?
बताऊ न बताऊ समझ गए कवि मन सबमे रहता है।
कुछ न कुछ हमेशा सच भाव संग कहता है।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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