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इन देश के नेताओं से हर कोई बचके रहे।
इनकी बुद्धि हमेशा सामने पड़ते ही सतर्क रहें।
चालों चलने में नेता सदा बहुत व्यस्त रहें।
हर वक़्त सिर्फ अपना ही सोचत मस्त रहें।
जान सबसे कीमती बस इनकी ही बनी रहे।
बाकी कोई मरे इनको काहे फर्क पडता रहे।
इनका काम इतना की बस ताक़त हाथ मे रहे।
साम दण्ड भेद विद्या सब इनके आगे पानी भरे।
जनता सदा डंडे से हाँकी इनसे लगी चिपकी रहे।
सिपाही मुस्तैद हमेशा सलूट मारता इन्हें रहे।
सीमा पे जवान इनका जोश देखता देखता रहे।
अपनी जान इनकी नाकामियों पे देता रहे।
सवाल पे अपनी छोड़ दूसरे की ये सुनाता रहे।
हर शख्स को जलेबी सी बातों में उलझाता रहे।
फिर कहे था जलेबी सा सीधा पर था बड़ा मीठा।
कोन है इस दुनिया मे जिनको इन्होंने नही लूटा।
कोई बात का झूठा कोई अपनी औकात का झूठा।
कोई चोर तो कोई बड़ा सीनाजोर नज़र जाता।
कुल मिला के नेता बड़ा ताक़तवर कहलाता।
कुछ समझदार इनसे बच निकल जाते।
बाकी सब इनकी लच्छेदार में उलझ जाते।
भाषण बड़ा जोर जोर से दे कर जाते।
हर बार नया वायदा कर पुराने सब भुला जाते।
शहीदों की चिंताओं पे मगरमच्छी आंसू बहाते।
थोड़ी देर में हंसते मख़ौल उड़ाते नज़र आते।
ये नेता अपना भला कर ले इसी में नज़र आते।
सत्ता के मोह को भूल कर भी ये भूल नही पाते।
इसीलिए ईमान से ईमान के पक्के नेता कहलाते।
फिर कहता हूँ देश के नेताओं से हर कोई बचके रहे।
इनकी बुद्धि हमेशा सामने पड़ते ही हमेशा सतर्क रहें।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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