आज लेखनी के सात सौ दिन पूरे हुए।एक लक्ष्य साधा था पूर्ण हुआ।
जबरदस्ती बहुत मित्रो को पढ़ने को भेजा। बहुतों ने प्यार से फालतू कह के बंद भी करा दिया। मन रोशन रहा।कलम चलती रही।लक्ष्य सधने लगा।आप सब का इस यात्रा में धन्यवाद।आप सब मेरे ब्लॉग पोस्ट
https://rajeevkumarprasher.blogspot.com/2019/02/blog-post_20.html?m=1 पे जा कर मेरे लेख मन करे तो पड़ सकते है।सहने के लिये धन्यवाद।मन से आदर सम्मान। भूल चूक माफ। यात्रा जारी रहेगी।धन्यवाद।
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रोज रोज कुछ गुनगुनाते रहे तुझे याद करते रहे।
मन मनाते रहे दिल बहलाते रहे तुझे याद करते रहे।
वादियों में तुझे ढूंढते रहे मन मनाते रहे तुम याद आते रहे।
हम सोच सोच मुस्कुराते रहे दिल बहलाते रहे।
जिधर देखते हम तुझे नज़र के सामने पाते रहे।
मंद मंद कहीं ख्यालों में गुम तुम्हे याद करते रहे।
एहसास जागते रहे हमे जगाते रहे तुम पास आते रहे।
सपनो की दुनिया मे तुम्हे ढूंढते ढूंढते गुम होते रहे।
गुनगुनाते रहे मुस्कुराते रहे होश भूलते भुलाते रहे।
तुम याद आते रहे हमे सुहाते रहे सपने लाते रहे।
तुम्हारी मस्त अदाएं लुभाती रही मन बहलाती रही।
हमे तुम्हारी और खींच खींच लाती रही याद आती रही।
रोज रोज कुछ गुनगुनाते रहे तुझे याद करते रहे।
मन मनाते रहे दिल बहलाते रहे तुझे याद करते रहे।
दिल की सुनते रहे मन की कहते रहे याद करते रहे।
तुम दूर जाने की कोशिश करते रहे हम बुलाते रहे।
मन मनाते रहे दिल बहलाते रहे तुझे याद करते रहे।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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