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उमड़ घुमड़ आये बदरवा कारे कारे मतवाले आये बदरवा।
ठंडी पवन के शीतल झोंके लाये गरजते बरसते बदरवा।
मन मे उमंगे भरते जाते शीतल हवा तन को छूती बदरवा।
मीठी मीठी ठंडक तन से टकराती दिल को आकर लगती बदरवा।
हम गुनगुनाने लगे कारे बदरवा शब्दों से भिगोने लगे बदरवा।
उधर बूंदे गिरती रही इधर हम तन भिगोते रहे गुनगुनाते रहे बदरवा।
हर तरफ खूबसूरत बहारों नज़ारों का मंजर बन गया बदरवा।
मिट्टी भी अपनी सोंधी सोंधी महक छोड़ के शीतलता ले रही बदरवा।
डेलिया गेंदे बाबुनिये पे भी मस्त मौसम की छाई बहार बदरवा।
हर तरफ फ़ूलों की दस्तक से गुलशन गुलज़ार हों रहा बदरवा।
नयन कभी आसमां देखते कभी गुलों की बहार देखते बदरवा।
शीतल हवा से पनपती हर बनस्पति का लुत्फ उठाते लेते बदरवा।
मौसम ने भी क्या मिजाज बदला है जब हर और छाई शाम बदरवा।
प्रकृति के आगोश में लिपटी अरावली की पथरीली पहाड़ियां बदरवा।
सर्द हवाएं जा चुकी मौसम भी बदल गया शीतल बयार बह रही बदरवा।
रंगों के त्यौहार होली दुल्हेंडी के आने की आहट सुना रही बदरवा।
टेसू के फूल भी अपनी रंगत से अरावली को रंगने को तैयार बदरवा।
अब लग रहा है कारे कारे बदरवा तेरे से ही छाई बहार बदरवा।
उमड़ घुमड़ आये बदरवा कारे कारे मतवाले आये बदरवा।
ठंडी पवन के शीतल झोंके लाये गरजते बरसते बदरवा।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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