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मजे की बात है हर घर सास बहु का राज है।
दोनों में वर्चस्व की लड़ाई सदियों से लगी हुई है।
दोनों को भी एक नौकरी पक्की मिली हुई है।
सुबह शाम एक दूसरे के खिलाफ स्कीम बनी हुई है।
दोनों के दिमाग की चकरी सदा चलायमान हुई है।
एक अपने तजुर्बे को हथियार बनाये हुए है।
दूजी अपने अधिकार की रक्षा हेतु हथियार उठाये हुए है।
दोनों के तरकश में कई अस्त्र शक्ति रूप समाये हुए है।
दोनों के पास एक ब्रह्मास्त्र भी सुरक्षित रखे हुए है।
दोनों और से शक्तियां रोज छूटती है और लड़ कर अलोप हो जाती है।
ये देख सास बहु एक दूसरे के गुणगान करती पायी जाती है।
मौका छूट न जाये इसलिए टोह भी लेती जाती है।
समय असमय जब मौका लगे शक्तियाँ एक दूसरे पे छोड़ दो जाती है।
हद तो ये है दोनों सीमाएं सुरक्षित रखने को हर पल ततपर पायी जातीं है।
जिसे मौका लगे मिसाइल अटैक करता है दूसरा भी पेट्रियाटिक छोढ़ता है।
युद्ध कभी भी कहीं भी छिड़ सकता है मौका तलाशा हर वक़्त जाता है।
दोनों की सीमाओं पे एक शख्स सफेद फ्लैग लिए खड़ा रहता है।
कुछ भी हो दोनों अपने युद्ध को यही रोक देती है।
इंतज़ार होता है ये इधर उधर हो तो लंका भेद दी जाये।
मजबूर प्रहरी सदा दोनों और नज़र गड़ाये रहता है।
बस ये समझ लो वो भी नज़ारे दोनों तरफ लेता रहता है।
सुख की बंसी दोनों को सुनाये येही सलाह देता रहता है।
युद्ध अनर्थ है घर का अच्छा माहौल ध्वस्त है समझ लो जिंदगी व्यर्थ है।
शक्तियां बापिस तरकश में लो और प्रेम काअस्त्र फेंको।
कुछ हो न हो सुख के दो दिन चैन की बंसी बजा लो।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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