🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹
क्रोध हो रहा है क्रोध हो रहा है।
अपनी सोच पे क्रोध हो रहा है।
अपनी इच्छाओं पे क्रोध हो रहा है।
अपनी जुबान पे क्रोध हो रहा है।
अपनी शब्दों पे क्रोध हो रहा है।
अपनी अकर्मण्यता पे क्रोध हो रहा है।
अपनी नाकामियों पे क्रोध हो रहा है।
अपने विश्वास पे क्रोध हो रहा है।
अपने निर्णय पे क्रोध हो रहा है।
अपने निश्चय पे क्रोध हो रहा है।
अपने लगाव पे क्रोध हो रहा है।
अपने झुकाव पे क्रोध हो रहा है।
अपने वायदे पे क्रोध हो रहा है।
अपने सहयोग पे क्रोध हो रहा है।
अपने व्यवहार वे क्रोध हो रहा है।
अपने मृदु भाषा पे क्रोध हो रहा है।
अपने मुखालते पे क्रोध हो रहा है।
अपने धम्ब पे क्रोध हो रहा है।
हां बहुत क्रोध हो रहा है।
जम के ये मुझपे बरस रहा है ।
मुझे पूरा गिराने को हो रहा है।
हां बहुत क्रोध हो रहा है।
ये क्या लिखते लिखते ही पी गया हूँ।
कौन है जो मेरी और ही रहेगा।
अकेला था अकेला हूँ अकेला ही रहूंगा।
चल छोड़ किसके कर्मो का लेखा लिखता है।
जिंदगी थोड़ी सी ही बची है।
थोड़ा और पी चल शांत हो ।
कल की तुझे क्यों पड़ी है?
हर एक शख्श अपने कर्मो का भागी है।
चल छोड़ तुझे किसी की क्यों पड़ी है।
जय हिंद।
****🙏****✍
शुभ रात्रि।
🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹
🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
Comments
Post a Comment