🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹
चल आज रंगों की बात हो जाये थोड़ा गुलाल उड़ाया जाये।
टेसुओं के फूलों को आज फिर पीस के कुछ रंग बनाया जाये।
रात जो बीती टेसुओं को भिगो कर कुछ केसरिया हुआ जाये।
बहुत से फूलों की बहार आयी हुई है चलो कुछ सुखाया जाये।
इन गुलों से कुछ महक ले के अबीर गुलाल पीस पीस बनाया जाये।
कृष्ण के श्याम मलाल को राधा पे रंग डाल मिटाया जाये।
चल चैत्र मास की पूर्वसंध्या पे रंगों संग नववर्ष का स्वागत किया जाये।
मनु भी आये पूरा इतिहास रच लाये चलो उन्हें भी याद किया जाये।
अरे अरे देखो जोधा संग अकबर खेल रहे होली कुछ याद किया जाये।
चलो आज ईद ए गुलाबी आब ए पाशी शाहजहां संग मनाया जाये।
आया रे वसंत झूम झूम के रंगों को इसमें उड़ाया जाये।
चलो काम देव को आमंत्रण दे उन्हें पुनः जीवत किया जाये।
चलो नंदी भृंगी गणों को भी आज रंगों से संवारा जाये।
कुछ रास रंग नाच गाना मृदंग संग बजाय गाया सुरम्या जाये।
बहुतों के गिले शिकवों टूटे बिखरे दिलों को मिलाया जाये।
सब रंगों से भरे इस त्यौहार को सब संग मिल मनाया जाये।
ब्रिज से उठी धूली को कृष्ण संग गुलाल बना उड़ाया जाये।
चलो खेलें होली को प्रेम संग दिल को दिल से मिलाया जाये।
चाहो न चाहो गुजिया का भोग ईश्वर निमित कर लगाया जाये।
जो आये मेरे घर मैं आऊँ जाऊं जिसके घर दिल खोल गुलाल लगाया जाये।
होली मुबारक कह गंगा जमुनी तहजीब को दोहराया जाये।
जय हिंद।
हैप्पी होली।
****🙏****✍
शुभ रात्रि।
🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹
🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
Comments
Post a Comment