🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣✍🌹
पैसा पैसा पैसा बहुत काम का ये पैसा बस।
हर शख्श इसके आगे पीछे भागता रहता बस।
बड़े काम हर काम जीवन मे सबके आता बस।
इंसानो की इज़ाद इंसानो पे ही हावी होता बस।
पैदा होने से मरने तक का पूरा साथ निभाता बस।
बचपन से बड़े होने की कवायत में संग रहता बस।
इसे प्राप्ति के साधन वश ज्ञान दिलाया जाता बस
हर माँ बाप अपने बच्चों को दौलतमंद देखते बस।
कुदरत की सब नेमतों से हमेशा मुह फेर लेते बस।
हर पाठ जीवन का पैसे को लेकर पढ़ाया जाता बस।
कुछ भी पढ़ लो कर लो अंतिम लक्ष्य येही होता बस।
ये ना मिले तो माँ बाप को बेहद दुख लग लेता बस।
शादी ब्याह में इसको खूब तोल मोल देखा जाता बस।
सुखी भविष्य का आगाज़ कटोरा ले लगाया जाता बस।
हर रिश्ते में मुख्य आकर्षण सदैव ये ही रहता बस।
इसी को देख हृदय विवश सब निभाया जाता बस।
दोस्ती के अंत मे सुदामा को भी यही कराती है बस।
इसके भोग से क्या कोई ईश्वर अछूता रहा?
क्या कोई मंदिर इसके प्रभाव से अभागा रहा?
क्या कोई साधु संत महंत इसका त्याग कर पाया?
क्या कोई मठाधीश महामंडलेश्वर इसका मोह त्याग पाया?
हर और हर तरफ इसकी ही चर्चा है बस।
घूम फिर के हर बात इसपे ही अड़ी है बस।
तुम त्यागो मुझे दे जाओ हर और हो रहा बस।
पैसे का खेल हर और खेला जा रहा है बस।
पैसा जरूरी नही पर इसके बिना गुजारा भी नही।
सब की आंखें इसपे हर समय गड़ी है बस।
जिसकी झोली में जितना भी हो कम ही है बस।
कोई सीमा बांधी नही जिसने कमाया नही वो है भी नही बस।
बहुत विचारा बहुत सोचा फिर सोचा के क्यों सोचा।
कर्म की दो सुख की रोटी बेहद अच्छी है बस।
कर्म वश जो मिला वो तेरा फल है बच्चे बस।
भोग लगा और तृप्त हो जा येही कामना है बस।
नही तो मान ले येही कहता मिलेगा मन से बतियाता मिलेगा...
पैसा पैसा पैसा बहुत काम का ये पैसा है बस।
जय हिंद।
💫🌟✨****🙏****✍
शुभ रात्रि।
🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹
🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
Comments
Post a Comment