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कुछ तो हम भी सोच रहे है सोचते सोचते लिख रहे है।
कुछ दिन कैसा बीता अपने आप से बतिया रहे है।
रोज एक नई तस्वीर गढ़ते है और एक नई राह सोचते है।
विचारों के भार से लदी सोच बदलने की नाकाम कोशिश करते है।
पल पल दिमाग चंचलता की हर हद पार करता जाता है।
हम भी इसे नादान समझ विचारों के फंदे बांध लौटा लाते है।
ये रोज नई उड़ाने भरता जाता हम भी थोड़ा घूम आते हैं।
कुछ समय पश्चात आनंद के बाद इसे पट्टी पे उतार ही लाते है।
विचारों का क्या है टी वी देखते देखते टी वी के हो जाते है।
एफ एम सुनते रेडियो से दिल लगा रेडियो बाबू ही हो जाते है।
सत्संग में गलती से पहुंच जाते तो ये बेहद धार्मिक हो जाते है।
दोस्तो के बीच बहुत बदमाश बेगैरत बेतकलुफ बन जाते है।
अखबार पढ़ते पढ़ते नाहक ही नए विचार उमड़ घुमड़ आते है।
माहौल देख के दिमाग भी दिल से बहुत तफरी पे उतर आता है।
गूढ़ ज्ञान से संचित फिर मर्यादित विचार बाहर आता है।
हम गलती करते करते गलत सोच से फिर बापिस होते है।
वृहित विचारों से फिर इनका एक नया द्वंद होता है।
यहां संकलित शुद्ध विचार हर बार इन्हें हराते है और हम जीत जाते है।
इसलिए कुछ तो हम भी सोच रहे है सोचते सोचते लिख रहे है।
कुछ दिन कैसा आज बीता अपने आप से बतिया रहे है।
रोज एक नई तस्वीर गढ़ते है और एक नई राह सही खोज रहे है।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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