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भारतीय संविधान भाग 6 अध्याय 3 अनुच्छेद 168 से 171 ।
चलिये जाने
"राज्य का विधान-मंडल" को
साधारण
168. राज्यों के विधान-मंडलों का गठन--(1) प्रत्येक राज्य के लिए एक विधान-मंडल होगा जो राज्यपाल और --
(क) [8]* * * बिहार, [9]* * * [10]-[11]* * * [12][महाराष्ट्र], [13][कर्नाटक] [14]* * * [15][और उत्तर प्रदेश]राज्यों में दो सदनों
से ;
(ख) अन्य राज्यों में एक सदन से, मिलकर बनेगा ।
(2) जहां किसी राज्य के विधान-मंडल के दो सदन हैं वहां एक का नाम विधान परिषद और दूसरे का नाम विधान सभा होगा और जहां केवल एक सदन है वहां उसका नाम विधान सभा होगा ।
169. राज्यों में विधान परिषदों का उत्सादन या सॄजन--(1) अनुच्छेद 168 में किसी बात के होते हुए भी, संसद् विधि द्वारा किसी विधान परिषद वाले राज्य में विधान परिषद के उत्सादन के लिए या ऐसे राज्य में, जिसमें विधान परिषद नहीं है, विधान परिषद के सॄजन के लिए उपबंध कर सकेगी, यदि उस राज्य की विधान सभा ने इस आशय का संकल्प विधान सभा की कुल सदस्य संख्या के बहुमत द्वारा तथा उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों की संख्या के कम से कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा पारित कर दिया है ।
(2) खंड (1) में विनिर्दिष्ट किसी विधि में इस संविधान के संशोधन के लिए ऐसे उपबंध अंतर्विष्ट होंगे जो उस विधि के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए आवश्यक हों तथा ऐसे अनुपूरक, आनुषंगिक और पारिणामिक उपबंध भी अंतर्विष्ट हो सकेंगे जिन्हें संसद् आवश्यक समझे ।
(3) पूर्वोक्त प्रकार की कोई विधि अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन नहीं समझी जाएगी ।
[16][170. विधान सभाओं की संरचना--(1) अनुच्छेद 333 के उपबंधों के अधीन रहते हुए , प्रत्येक राज्य की विधान सभा उस राज्य में प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने हुए पांच सौ से अनधिक और साठ से अन्यून सदस्यों से मिलकर बनेगी ।
(2) खंड (1) के प्रयोजनों के लिए ,प्रत्येक राज्य को प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में ऐसी रीति से विभाजित किया जाएगा कि प्रत्येक निर्वाचन-क्षेत्र की जनसंख्या का उसको आबंटित स्थानों की संख्या से अनुपात समस्त राज्य में यथासाध्य एक ही हो ।]
[17][स्पष्टीकरण --इस खंड में “जनसंख्या”पद से ऐसी अंतिम पूर्व वर्ती जनगणना में अभिनिाश्चित की गई जनसंख्या अभिप्रेत है जिसके सुसंगत आंकड़े प्रकाशित हो गए हैं : परंतु इस स्पष्टीकरण में अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना के प्रति जिसके सुसंगत आंकड़े प्रकाशित हो गए हैं, निर्देश का, जब तक सन् [18][2026] के पश्चात् की गई पहली जनगणना के सुसंगत आंकड़े प्रकाशित नहीं हो जाते हैं, यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह [19][3[2001]] की जनगणना के प्रतिनिर्देश है ।
(3) प्रत्येक जनगणना की समाप्ति पर प्रत्येक राज्य की विधान सभा में स्थानों की कुल संख्या और प्रत्येक राज्य के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजन का ऐसे प्राधिकारी द्वारा और ऐसी रीति से पुनः समायोजन किया जाएगा जो संसद् विधि द्वारा अवधारित करे : परंतु ऐसे पुनः समायोजन से विधान सभा में प्रतिनिधित्व पद पर तब तक कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा जब तक उस समय विद्यमान विधान सभा का विघटन नहीं हो जाता है :
[20][परंतु यह और कि ऐसा पुनः समायोजन उस तारीख से प्रभावी होगा जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट करे और ऐसे पुनः समायोजन के प्रभावी होने तक विधान सभा के लिए कोई निर्वाचन उन प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों के आधार पर हो सकेगा जो ऐसे पुनः समायोजन के पहले विद्यमान हैं :परंतु यह और भी कि जब तक सन् [21][2026] के पश्चात् की गई पहली जनगणना के सुसंगत आंकड़े प्रकाशित नहीं हो जाते हैं तब तक 6[इस खंड के अधीन,--
(त्) प्रत्येक राज्य की विधान सभा में 1971 की जनगणना के आधार पर पुनः समायोजित स्थानों की कुल संख्या का ;और
(त्त्) ऐसे राज्य के प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में विभाजन का, जो [22][2001]की जनगणना के आधार पर पुनः समायोजित किए जाएं, पुनः समायोजन आवश्यक नहीं होगा ।]
बहुत लोगों को 2026 के बारे में ग़लतफ़हमी है।यहां पड़े तो कुछ ज्ञान में सुधार होगा।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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