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कामनाओं का समंदर बहुत बड़ा है ए जिंदगी।
ये हर दिन कुछ तो बढ़ता ही जाता है ए जिंदगी
रात के सपने कब खवाईशये बन जाते ए जिंदगी।
आँख खोलते की कुछ समंदर हो जाते ए जिंदगी।
बहुत दिल लगा रखें है बेखबर तुझसे ए जिंदगी।
कुछ तो पूरे हो ख्वाब मेरे तुझसे ए जिंदगी।
रोज दिन बीत रहे है चलते चलते ए जिंदगी।
कुछ तो बफा कर अब मुझसे मेरी ए जिंदगी।
बहुत कुछ बीत चुकी बस कुछ बची ए जिंदगी।
इस ढलान पे बहुत कुछ छूटा रूठा ए जिंदगी।
अब मैं कही दूर अंधेरों में न खोऊँ ए जिंदगी।
कुछ तो बक्श दे बचे दिनों में कुछ ए जिंदगी।
मेरी भी बहुत तमन्नाएं है तुझसे ए जिंदगी।
इतना न खींच मुझे खफा हो जाऊं ए जिंदगी।
अब आवारा हो जाऊं ऐसा भी नही ए जिंदगी।
कुछ तो सुन कुछ तो मुझे समझ ए जिंदगी।
बहुत बीती थोड़ी बची रह गयी तू जिंदगी।
चल एक दूसरे का सहारा बने मेरी जिंदगी।
कुछ एक दूजे में खो खुश हो जाएं जिंदगी।
जिनते अधूरे ख्वाब है कुछ पूरे हो जिंदगी।
शिकवे गिले बहुत से है तुझसे प्यारी जिंदगी।
अब ख़्वावों को छोड़ हक़ीक़त में हूँ जिंदगी।
जो दो चार रह गए सोचा मनभर लूं जिंदगी।
आज तुझसे बात कर सुखद रहा ए जिंदगी।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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बहुत सही फरमाया आपने
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