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साम दंड भेद सबसे रहें सचेत।
काम क्रोध क्षोभ से रहे विदेश।
झूठ कपट धोखे से रहे सचेत।
अपमान तृस्कार से रहें विदेश।
भूख तृष्णा लालच का करें त्याग।
घृणा दूरी नफरत का करे त्याग।
अमानवीयता कुकर्म करें त्याग।
द्वेष बैर विभसत्ता का करें त्याग।
अमर्यादित अनुचित शब्द को दो त्याग।
अव्यवहारिक आचरण को दो त्याग।
कर्जा उधार सब का पूरा करो फिर त्याग।
दम्भ मूड मैं बिना सोचे दो अब त्याग।
प्रेम का एक ही मूल वो है बस त्याग।
चिंताओं से मुक्ति आधार बस त्याग।
रिश्तों की समृद्धि मांगे तो बस त्याग।
हृदय मजबूत आत्मा तृप्त देखो त्याग।
मन प्रसन्न चित मुक्त भ्रम दूर करे त्याग।
एक चुप्प सौ सुख में भी छिपा त्याग।
हर अन्याय से दूर करता है ये त्याग।
मन पढ़ो खुद से बात करो मिलेगा त्याग।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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Koshish jarur karenge
ReplyDeleteनुस्ख़ा बहुत बड़ा है
ReplyDeleteबहुत अच्छा भी है
जटिल भी कम नहीं.
हे परमेश्वर ! तू ही एक पुड़िया जीभ पर उड़ेल दे तो भला हो जाए.
सिर्फ तू ही.