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मुहँ के छाले।

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आज कल गर्मियों जा मौसम है।गर्मी के मौसम में अक्सर लोगों के मुंह में छाले निकल आते हैं। अगर समय रहते इनका इलाज न किया जाए तो यह परेशानी और भी बढ़ जाती है। परेशानी बढ़ने से खाना खाने, यहां तक कि पानी पीने में कई सारी दिक्कते होने लगती है। इससे छुटकारा पाने के लिए लोग कई तरह की दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं। मगर कई बार इससे भी ज्यादा फायदा नहीं होता। एेसे में कुछ घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करके मुंह के छालों से राहत पा सकते हैं।
चलिये पहले जाने कारण।
मुंह में लगनेवाली चोट मुंह के छालों का एक आम कारण है। दांत का एक नुकीला किनारा लगना, दुर्घटनावश चबा लेना (विशिष्ट रूप से यह तीक्ष्ण श्वानीय दांत या प्रज्ञा दंत के साथ आम हो सकता है), तीक्ष्ण, अपघर्षक या अत्यधिक नमकीन भोजन, अच्छी तरह न लगाई गई कृत्रिम दंतावली, दंत्य पट्टिका या टूथब्रश से होने वाले घाव मुंह की श्लेषकीय पंक्ति को चोट पहुंचा सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप छाला हो सकता है। यदि चोट के स्रोत को हटा दिया जाए, तो सामान्यतः ये छाले एक मध्यम गति से ठीक हो जाते हैं (उदाहरण के लिये, यदि अच्छी तरह न लगाई गई कृत्रिम दंतावली को हटा दिया जाए या बदल दिया जाए).
किसी दंत्य कार्य, जिसमें मुंह के नर्म ऊतकों का दुर्घटनावश अपघर्षण आम है, के बाद भी इन छालों का उत्पन्न हो जाना आम होता है। नर्म श्लेषकीय ऊतकों में दुर्घटनावश लगनेवाली चोटों की संख्या को कम करने के लिये एक दंत चिकित्सक कोई दंत्य कार्य करने से पूर्व पेट्रोलियम जेली की एक रक्षात्मक परत चढ़ा सकता है।
रासायनिक घाव
ऐस्पिरिन या अल्कोहल जैसे रसायन, जो मुंह के श्लेषक पर रखे जाते हैं या उसके संपर्क में आते हैं, ऊतकों को परिगलित कर सकते हैं और एक छाले-युक्त सतह का निर्माण कर सकते हैं। सोडियम लॉरिल सल्फेट (SLS), अधिकांश टूथपेस्टों का एक मुख्य अंतर्घटक, मुंह के छालों की बढ़ती हुई घटनाओं में शामिल रहा है।
संक्रमण
विषाणुजनित, कवकीय और जीवाण्विक प्रक्रियाओं के कारण मुंह के छाले हो सकते हैं। मुंह के रोगजनक छालों के उत्पन्न होने का एक कारण अपने हाथों को धोये बिना अपने फटे होंठों को छूना है। ऐसा होने का कारण यह है कि आपके हाथों के जीवाणु आपके फटे होठों से उत्पन्न छोटी, खुली दरारों से प्रवेश कर जाते हैं।
विषाणुजनित
हर्पस सिम्प्लेक्स वायरस पुनरावर्ती हर्पेटिफॉर्म छालों का सबसे आम कारण है, जिससे पूर्व सामान्यतः दर्दनाक फफोले अनेक बार आते हैं, जो फूट जाते हैं। वेरिसेला ज़ॉस्टर (चिकन पॉक्स, शिंगल्स), कॉक्सैकि अ वायरस और इससे जुड़े उप-प्रकार प्रस्तुतिकरण, कुछ अन्य विषाणुजनित प्रक्रियाएं हैं, जिनके परिणामस्वरूप मुंह के छाले हो सकते हैं। HIV प्रतिकारक-क्षमता में कमी उत्पन्न करता है, जिससे अवसरवादी संक्रमणों या अर्बुद को प्रचुर मात्रा में उत्पन्न होने की अनुमति मिलती है।
जीवाण्विक
छालों का कारण बननेवाली जीवाण्विक प्रक्रियाएं माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्युलॉसिस (तपेदिक) और ट्रेपोनेमा पैलिडम (उपदंश) के कारण उत्पन्न हो सकती हैं।[2]
अन्यथा सामान्य जीवाण्विक वनस्पतियों, जैसे वायुजीवी स्ट्रेप्टोकॉकी, नेसेरिया, एक्टिनोमाइसेस, स्पाइरोकेटस और बैक्टेरॉइड्स प्रजातियों के संयोजनों द्वारा की जाने वाली अवसरवादी गतिविधियां छालों की प्रक्रिया को लंबा खींच सकती हैं।
कवकीय
कॉक्सिडायॉइड इमिटिस (वैली फीवर), क्रिप्टोकॉकस नियोफॉर्मान्स (क्रिप्टोकॉकिस), [[ब्लास्टोमाइसेस डर्मेटिटिडिस|ब्लास्टोमाइसेस डर्मेटिटिडिस]] ("नॉर्थ अमेरिकन ब्लास्टोमाइकॉसिस") कुछ कवकीय प्रक्रियायें हैं, जिनके कारण मुंह के छाले होते हैं।
एककोशी जीव
एंटामिबा हिस्टोलिटिका, एक परजीवी एककोशी जीव, को कभी कभी पुटकों के निर्माण के माध्यम से मुंह के छालों का कारण माना जाता है।
प्रतिरक्षा तंत्र
अनेक शोधकर्ता एफ्थस छालों को अनेक भिन्न बीमारियों की प्रक्रियाओं, जिनमें से प्रत्येक का उपचार प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा किया जाता है, के अंतिम उत्पाद के रूप में देखते हैं।
ऐसा माना जाता है कि एफ्थस छाले तब बनते हैं, जब हमारा शरीर ऐसे रसायनों के प्रति जागरूक हो जाता है और उन पर आक्रमण कर देता हैं, जिनकी पहचान वह नहीं कर पाता.
प्रतिकारक-क्षमता में कमी
बार-बार मुंह के छाले होने की घटनाएं प्रतिकारक-क्षमता में कमी का एक संकेत हो सकती हैं, जो मुंह की श्लेष्म्क झिल्ली में इम्युनोग्लोब्युलिन के निम्न स्तर को सूचित करती है। कीमोथेरपी, HIV और मोनोन्युक्लियॉसिस, सभी प्रतिकारक-क्षमता में कमी के कारण हैं, जिसके साथ ही मुंह के छाले एक आम अभिव्यक्ति बन जाते हैं।
स्व-प्रतिरक्षात्मकता
स्व-प्रतिरक्षात्मकता भी मुंह के छालों का कारण होती है। श्लेष्मल झिल्ली पेम्फिगॉइड, एपिथेलियल बेसमेंट मेम्ब्रेन के प्रति एक स्व-प्रतिकारक प्रतिक्रिया, के कारण मुंह की श्लेष्मल झिल्ली में विशल्कन/व्रणोत्पत्ति होती है।
एलर्जी
पारदमिश्र जैसे एलर्जेन के संपर्क में आने के कारण श्लेष्मल झिल्ली में छाले उत्पन्न हो सकते हैं।
आहार-संबंधी
विटामिन C की कमी के कारण स्कर्वी नामक रोग हो सकता है, जो घावों को भरने की प्रक्रिया को प्रभावित कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप छाले निर्मित हो सकते हैं।इसी प्रकार विटामिन B12, ज़िंक आदि की कमी को भी मुंह के छालों से जोड़ा जाता रहा है।
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कोएलिएक रोग छालों का एक आम कारण है, जिससे ग्रस्त होने पर गेहूं, राई या जौ का सेवन करने के परिणामस्वरूप मुंह में दीर्घकालिक छाले हो सकते हैं। यदि इसका कारण लस के प्रति संवेदनशीलता हो, तो बचाव का अर्थ है, अधिकांश ब्रेड, पास्ता, भुने हुए पदार्थों, बीयर आदि से परहेज करते हुए लस-मुक्त भोजन ग्रहण करना और उपलब्धता के अनुसार भोजन में विविध लस-मुक्त प्रकारों को स्थानापन्न करना। यह भी कहा जाता है कि डाएट कोला और शर्कराविहीन च्युइंग गम आदि में पाई जाने वाली कृत्रिम शर्करा (एस्पार्टेम/न्यूट्रीस्वीट/आदि) भी मुंह के छालों का एक कारण है।
फ़्लोवेंट
फ़्लोवेंट का प्रयोग करने के बाद मुंह न धोने के कारण भी मुंह के छाले हो सकते हैं।[तथ्य वांछित]
कारण जाननेके बाद इसका घरेलू उपचार भी संभव है।इनमें से कुछ आप भी अपना सकते है।
1. लहसुन
2 से 3 तीन लहसुन की कलियां लें। इनका पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को छाले वाली जगह पर लगाएं। थोड़े समय के बाद ठंडे पानी से कुल्ला कर लें।  इस तरह आसानी से छालों से निजात पाई जा सकती है।
2. टी ट्री ऑयल
इस ऑयल में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो छालों से राहत दिलाने में असरदार होते हैं। टी ट्री ऑयल को रोजाना 3 से चार बार लगाने से आराम मिलेगा।
3. बर्फ का इस्तेमाल
छालों पर ठंडी चीज लगाने से बहुत जल्दी फायदा मिलता है। बर्फ को छालों पर रगड़े। दिन में ऐसा 4-5 बार करें।
4. दूध का प्रयोग
दूध में कैल्शियम पाया जाता है जो छालों को ठीक करने में सहायक है। ठंडे दूध में रूई को भिगोकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। एेसा करने से एक ही दिन में राहत मिलेगी।
5.  देसी घी
मुंह और जीभ के छालों से छुटकारा पाने के लिए रात को सोने से पहले देसी घी को छालों पर लगाएं। घी लगाने से सुबह तक छाले गायब हो जाएंगे।
6. अमरूद के पत्ते
अमरूद के पत्तों को चबाने से भी मुंह और जीभ के छाले ठीक हो जाते हैं। छालों से राहत पाने के लिए अमरूद के पत्तों में कत्था मिलाकर चबाएं। 2 से 3 बार इसको चबाने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
7. हल्‍दी
हल्दी भी छालों से राहत दिलाने में सहायक है। रोजाना सुबह-शाम हल्दी वाले पानी से गरारे करने से भी छालों और उससे होने वाले दर्द से राहत पाई जा सकती है।
8. शहद
कुछ दिनों तक शहद लगाने से भी मुंह और जीभ के छाले दूर हो जाते हैं। दिन में 3-4 बार छालों पर शहद लगाएं। इससे काफी राहत मिलेगी।
9. फिटकरी
फिटकरी को छाले वाली जगह पर 2 बार लगाएं। फिटकरी लगाते समय आपको दर्द होगा। इससे डरे नहीं। दर्द या जलन होना स्वाभाविक है।
10. एलोवेरा
एलोवेरा को प्रभावित जगह पर लगाएं। एलोवेरा लगाने से जख्म जल्दी भर जाएंगे। कुछ ही दिनों में छालों से राहत मिलेगी।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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