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भारतीय संविधान भाग 8 अनुच्छेद 239।

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भारत का संविधान – भाग 8 संघ राज्यक्षेत्र
[1][संघ राज्यक्षेत्र]
[2][239. संघ राज्यक्षेत्रों का प्रशासन–(1) संसद  द्वारा बनाई गई विधि द्वारायथा अन्यथा उपबंधित  के सिवाय, प्रत्येक संघ राज्यक्षेत्र का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा किया जाएगा , और वह अपने  द्वारा ऐसे  पदाभिधान सहित, जो वह विनिर्दिष्ट  करे, नियुक्त  किए  गए  प्रशासक के माध्यम से उस मात्रा तक कार्य करेगा जितनी वह ठीक समझता है ।
(2) भाग 6 में किसी बात के होते हुए  भी, राष्ट्रपति  किसी राज्य के राज्यपाल  को किसी निकटवर्ती संघ राज्यक्षेत्र का प्रशासक नियुक्त  कर सकेगा और जहां कोई राज्यपाल  इस प्रकार नियुक्त  किया जाता है वहां वह ऐसे प्रशासक के रूप  में अपने  कॄत्यों का प्रयोग अपनी  मंत्रि-परिषद् से स्वतंत्र रूप  से करेगा ।
[3][239क. कुछ संघ राज्यक्षेत्रों के लिए  स्थानीय विधान-मंडलों या मंत्रि-परिषदों का या दोनों का सॄजन– 
(1) संसद , विधि द्वारा [4][पांडिचेरी  संघ राज्यक्षेत्र के लिए ,]–
(क) उस संघ राज्यक्षेत्र के विधान-मंडल के रूप  में कार्य करने के लिए निर्वाचित या भागतः
नामनिर्देशित और भागतः निर्वाचित निकाय का, या
(ख) मंत्रि-परिषद् का,
या दोनों का सॄजन कर सकेगी, जिनमें से प्रत्येक का गठन, शक्तियां और कॄत्य वे होंगे जो उस विधि में विनिर्दिष्ट  किए  जाएं  ।
(2) खंड (1) में निर्दिष्ट विधि को, अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन इस बात के होते हुए  भी नहीं  समझा जाएगा कि उसमें कोई ऐसा उपबंध अंतर्विष्ट है जो इस संविधान का संशोधन करता है या संशोधन करने का प्रभाव रखता है ।]
[5][239कक. दिल्ली के संबंध में विशेष उपबंध –(1) संविधान (उनहत्तरवां संशोधन) अधिनियम, 1991 के प्रारंभ से दिल्ली संघ राज्यक्षेत्र को दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र (जिसे इस भाग में इसके पश्चात्  राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र कहा गया है) कहा जाएगा  और अनुच्छेद 239 के अधीन नियुक्त उसके प्रशासक का पदाभिधान उप-राज्यपाल  होगा ।
(2)(क) राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र के लिए  एक विधान सभा होगी और ऐसी  विधान सभा में स्थान राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र में प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने हुए  सदस्यों से भरे जाएंगे ।
(ख) विधान सभा में स्थानों की कुल संख्या, अनुसूचित जातियों के लिए  आरक्षित स्थानों की संख्या, राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र के प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में विभाजन (जिसके अंतर्गत ऐसे  विभाजन का आधार है) तथा विधान सभा के कार्यकरण से संबंधित सभी अन्य विषयों का विनियमन, संसद द्वारा बनाई गई विधि द्वारा किया जाएगा  ।
(ग) अनुच्छेद 324 से अनुच्छेद 327 और अनुच्छेद 329 के उपबंध  राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र, राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र की विधान सभा और उसके सदस्यों के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे, किसी राज्य, किसी राज्य की विधान सभा और उसके सदस्यों के संबंध में लागू होते हैं तथा अनुच्छेद 326 और अनुच्छेद 329 में “समुचित विधानमंडल” के प्रति निर्देश के बारे में यह समझा जाएगा कि वह संसद के प्रति निर्देश है ।
(3)(क) इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए , विधान सभा को राज्य सूची की प्रविष्टि1, प्रविष्टि2 और प्रविष्टि18 से तथा उस सूची की प्रविष्टि64, प्रविष्टि65 और प्रविष्टि66 से, जहां तक उनका संबंध उक्त प्रविष्टि1, प्रविष्टि2 और प्रविष्टि18 से है, संबंधित विषयों से भिन्न राज्य सूची में या समवर्ती सूची में प्रगणित किसी भी विषय के संबंध में, जहां तक ऐसा  कोई विषय संघ राज्यक्षेत्रों को लागू है, संपूर्ण राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए विधि बनाने की शक्ति  होगी ।
(ख) उपखंड (क) की किसी बात से संघ राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए  किसी भी विषय के संबंध में इस संविधान के अधीन विधि बनाने की संसद  की शक्ति  का अल्पीकरण नहीं  होगा ।
(ग) यदि विधान सभा द्वारा किसी विषय के संबंध में बनाई गई विधि का कोई उपबंध संसद  द्वारा उस विषय के संबंध में बनाई गई विधि के, चाहे वह विधान सभा द्वारा बनाई गई विधि से पहले  या उसके बाद में पारित की गई हो, या किसी पूर्वतर विधि के,जो विधान सभा द्वारा बनाई गई विधि से भिन्न है, किसी उपबंध के विरुद्ध है तो, दोनों दशाओं में, यथास्थिति, संसद  द्वारा बनाई गई विधि, या ऐसी पूर्वतर विधि अभिभावी होगी और विधान सभा द्वारा बनाई गई विधि उस विरोध की मात्रा तक शून्य होगी :
परंतु यदि विधान सभा द्वारा बनाई गई किसी ऐसी विधि को राष्ट्रपति  के विचार के लिए आरक्षित रखा गया है और उस पर  उसकी अनुमति मिल गई है तो ऐसी  विधि राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र में अभिभावी होगी :
परंतु यह और कि इस उपखंड की कोई बात संसद को उसी विषय के संबंध में कोई विधि, जिसके अंतर्गत ऐसी  विधि है जो विधान सभा द्वारा इस प्रकार बनाई गई विधि का परिवर्धन, संशोधन, परिवर्तन या निरसन करती है, किसी भी समय अधिनियमित करने से निवारित नहीं करेगी ।
(4) जिन बातों में किसी विधि द्वारा या उसके अधीन उप-राज्यपाल  से यह अपेक्षित  है कि वह अपने  विवेकानुसार कार्य करे उन बातों को छोड़कर, उप-राज्यपाल की, उन विषयों के संबंध में, जिनकी बाबत विधान सभा को विधि बनाने की शक्ति है, अपने कॄत्यों का प्रयोग करने में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रि-परिषद् होगी जो विधान सभा की कुल सदस्य संख्या के दस प्रतिशत से अनधिक सदस्यों से मिलकर बनेगी,जिसका प्रधान, मुख्यमंत्री होगा :
परंतु  उप-राज्यपाल और उसके मंत्रियों के बीच किसी विषय पर  मतभेद की दशा में, उप-राज्यपाल  उसे राष्ट्रपति  को विनिश्चय के लिए  निर्देशित करेगा और राष्ट्रपति  द्वारा उस पर  किए  गए  विनिश्चय के अनुसार कार्य करेगा तथा ऐसा  विनिश्चय होने तक उप-राज्यपाल  किसी ऐसे  मामले में, जहां वह विषय , उसकी राय में, इतना आवश्यक है जिसके कारण तुरंत कार्रवाई करना उसके लिए  आवश्यक है वहां, उस विषय में ऐसी कार्रवाई करने या ऐसा  निदेश देने के लिए, जो वह आवश्यक समझे, सक्षम होगा ।
(5) मुख्यमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति  करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति , मुख्यमंत्री की सलाह पर  करेगा तथा मंत्री, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त अपने पद धारण करेंगे ।
(6) मंत्रि-परिषद् विधान सभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी ।
[6][(7)(क)]संसद पूर्वगामी खंडों को प्रभावी करने के लिए, या उनमें अंतर्विष्ट उपबंधों की अनुपूर्ति  के लिए  और उनके आनुषंगिक या पारिणामिक सभी विषयों के लिए , विधि द्वारा, उपबंध कर सकेगी ;
2[(ख) उपखंड (क) में निर्दिष्ट विधि को, अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए  इस संविधान का संशोधन इस बात के होते हुए  भी नहीं  समझा जाएगा  कि उसमें कोई ऐसा  उपबंध  अंतर्विष्ट  है जो इस संविधान का संशोधन करता है या संशोधन करने का प्रभाव रखता है।]
(8) अनुच्छेद 239ख के उपबंध , जहां तक हो सके, राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र, उप-राज्यपाल  और विधान सभा के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे पांडिचेरी संघ राज्यक्षेत्र, प्रशासक और उसके विधान-मंडल के संबंध में लागू होते हैं ;और उस अनुच्छेद में “अनुच्छेद 239क के खंड (1)” के प्रति निर्देश के बारे में यह समझा जाएगा  कि वह, यथास्थिति  , इस अनुच्छेद या अनुच्छेद 239कख के प्रति निर्देश है ।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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