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करौंदे।

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चलिये आज आप का मुह कुछ खट्टा कराया जाये।स्कूल की छुट्टी के बाद बहुत चुराये।खट्टा फल करौंदा।करौंदे का कच्चा फल कड़वा, अग्निदीपक, खट्टा, स्वादिष्ट और रक्तपित्तकारक है. यह विष तथा वातनाशक भी है।इसे भिन्न भिन्न नमो से जाना जाता है हिन्दी: करोंदा, करोंदी।अंग्रेजी: जस्मीड फ्लावर्ड।संस्कृत: करमर्द, सुखेण, कृष्णापाक फल।बंगाली: करकचा।मराठी: मरवन्दी।गुजराती: करमंदी।तैलगी: बाका।लैटिन: कैरीसा करंदस।
करोंदा एक झाड़ी नुमा पौधा होता है । इसका वैज्ञानिक नाम कैरिसा कैरेंडस (Carissa carandus) है। करोंदा फलों का उपयोग सब्जी और अचार बनाने में किया जाता है। यह पौधा भारत में राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश हरियाणाऔर हिमालय के क्षेत्रों में पाया जाता है। यह नेपाल और अफगानिस्तान में भी पाया जाता है।
यह पौधा बीज से अगस्त या सितम्बर में १.५ मीटर की दूरी पर लगाया जाता है। कटिंग या बडिंग से भी लगाया जा सकता है। दो वर्ष के पौधे में फल आने लगते हैं। फूल आना मार्च के महीने में शुरू होता है और जुलाई से सितम्बर के बीच फल पक जाता है।करौंदे का पेड़ पहाडी देशों में ज्यादा होते हैं कांटे भी होते है। करौंदे का पौधा एक झाड़ की तरह होता है। इसकी ऊंचाई 6 से 7 फीट तक होती है। पत्तों के पास कांटे होते है जो मजबूत होते है। इसके फूलों की गन्ध जूही के समान होते है। इसके फल गोल, छोटे और हरे रंग के होते है। पकने पर यह काले रंग के होते है।करोंदा के कच्चे फल सफेद व लालिमा सहित अण्डाकार दूसरे बैंगनी व लाल रंग के होते हैं देखने में सुन्दर तथा कच्चे फल को काटने पर दूध निकलता है। पक जाने पर फल का रंग काला हो जाता है। इसके अन्दर 4 बीज निकलते हैं। यह एक छोटा-सा फल है, पर इसमें काफ़ी औषधीय गुण मौजूद हैं।उपचार के आधार से इसमें साइट्रिक एसिड और विटामिन सी समुचित मात्रा में है। इसमें कई सामान्य बीमारियों को नष्ट करने की अद्भुत क्षमता है। इसके फल, पत्तियों एवं जड़ की छाल औषधीय प्रयोग में लाई जाती है।करौंदे के फल का स्वरस 5 से 10 ग्राम, पत्तियों का रस 12 से 24 ग्राम तक, पत्तियों का काढ़ा 60 से 120 ग्राम और फलों का शर्बत 12 ग्राम की मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है।करौंदे के कच्चे फल की सब्ज़ी खाने से कब्ज़ियत दूर होती है। बुख़ार होने पर करौंदे के पत्ते का क्वाथ पिलाना लाभदायक होता है।सूखी खांसी में एक चम्मच करौंदे के पत्ते का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से फ़ायदा होता है।इसके कच्चे फल की चटनी खाने से मसूड़ों की सूजन और दांतों की पीड़ा में लाभ मिलता है।करौंदे के मूल को उबालकर पिलाने से सर्प विष दूर हो जाता है।करौंदे के ताज़े पत्ते लेकर उनका रस निकालें, छानकर ड्रॉपर से दो-दो बूंद आंखों में डालने से शुरुआती मोतियाबिंद ख़त्म हो जाता है।करौंदे के बीजों के रोगन (बीजों को पीसकर तेल में पकाया हुआ तेल) को मलने से हाथ-पैर की बिवाई होने पर बेहतर लाभ होता है।गर्मियों में रोज़ाना इसके मुरब्बे का सेवन करने से दिल के रोगों से बचाव होता है।इसको खाने से प्यास का शमन होता है और वायु दोष से छुटकारा मिलता है।करौंदे में लौह की मात्रा होने के कारण शरीर में रक्त की कमी की समस्या दूर होती है।यह वायुशामक है. इसके पके फल रोज़ाना खाने से पेट की गैस की समस्या दूर होती है।जानवरों के कीड़े युक्त घावों में करौंदे की जड़ को पीसकर भर देने से कीड़े नष्ट होकर घाव शीघ्र भर जाते हैं।इसकी पत्तियों का क्वाथ सिर में लगाने से जूएं नष्ट हो जाती हैं।मूत्र संक्रमण से होनेवाली बीमारी मूत्रनली की सूजन में करौंदा लाभप्रद है।इज़राइल के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार, करौंदे में प्रोंथोसाइनाइडिंस नामक द्रव्य होता है, जो ई-कोली जीवाणु को मूत्राशय में चिपकने नहीं देता, जिसकी वजह से मूत्र से संबंधी बीमारियां नहीं होतीं।इतना ही नहीं, करौंदा शरीर में होनेवाले अल्सर और मुख के संक्रमण से भी बचाव करता है।ये बहुत उपयोगी छोटा सा खट्टा फल है।इसका सेवन गर्मियों में बेहद लाभकारी है।आप अपने घर मे भी इसका पौधा लगा सकते है।और एक पौधा ही आप के लिये काफी है।खाइये एयर खिलाइए।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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