🌹🙏❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣❣✍
ए मुल्क तुझे भी मेरी जरूरत है।
तेरी हर सरहद पे मेरी नज़र पूरी है।
कोई आंख जो उठाए उम्र उसकी पूरी है।
जोश की मुझमे भी कोई कमी नही है।
तेरी हर सरहदों पे समझलो पहरेदारी मेरी है।
जान हथेली पे लेकर हर वक़्त जो चलता हूँ।
तेरी हर टीस को दिल से लगाता हूँ।
तेरे हर दर्द को अपना बनाता हूँ।
तेरी तक़दीर में अपने को ही पाता हूँ।
सोते जागते तुझे अपनी माँ बताता हूँ।
तेरी खुशबू से महकता तुझे पूजता हूँ।
अपनी हर ख्वाइश में तुझे ही पाता हूँ।
कुछ भी कर लूं तेरे इर्दगिर्द मंडराता हूँ।
मेरे हर सुखों की करणी धरती तूँ ही है।
तेरे हर हिस्से को अपने खून से सींचता हूँ।
ये निगाहें सदा तेरी रक्षा में बस टिकी है।
मुझे हर रण के लिए तैयार करती रहती है।
कोई नज़र क्या तुझपे उठाएगा।
जिसने जुर्रत की चूर चूर हो जायेगा।
ये ही मेरी प्रतिज्ञा है तेरी सरहदें सुरक्षित है।
ए मुल्क तुझे भी मेरी जरूरत है।
दुश्मन एक बात समझ ले आज।
तेरी हर सरहद पे नज़र मेरी पूरी है।
जय हिंद।
💫⚡🌟✨****🎸****✍
शुभ रात्रि।
❣❣❣❣❣❣🙏❣❣❣❣❣❣
🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
Comments
Post a Comment