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साहेब: निर्मले!
निर्मला : क्या हुआ साहेब?
साहेब: निर्मले!
निर्मला: साहेब रो क्यूँ रहे है?
साहेब: खुशी के आंसू है पगली।
निर्मला: जी साहेब। पर काहे की साहेब?
साहेब: निर्मले खट्टू को हरियाणा में खाट मिल गयी।
निर्मला : जी साहेब। जे तो है।
साहेब : कांडा का कांटा भी निकल गया।
निर्मला: पर जहाज़ का तेल मुफ्त में लग गया।
साहेब: क्या?
निर्मला : कुछ नही साहेब" बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ साहेब"सब मानते है साहेब।
साहेब:आज शकुन्तला भी खुश होगी।
निर्मला: ये कौन अब?
साहेब : कुछ नही कुछ नही।पुरु वंश की याद आ गई।
निर्मला: हैं जे क्या है साहेब?
साहेब : इतिहास छोड़ो तुम वाणिज्य रूपी वित्त पे ध्यान दो।
निर्मला: क्यों साहेब?
साहेब: पगली सोना बिकने को है। दिवाली तुम ही मानोगी क्या?
निर्मला : शरमाते हुए ! ऐसे कैसे अकेले अकेले साहेब। सब कुछ बेच के पटाखे चलाऊंगी।
साहेब: क्या?
निर्मला: कुछ नही कुछ नही। आप के आंसू थम गये साहेब।
साहेब: हाँ निर्मले। खट्टू की खाट और फंडू के फंडों को जगह तो मिली।
निर्मला: समझी नही साहेब?
साहेब: तुम वित्त पे ध्यान दो समझने के लिये भाई है।
निर्मला: जी साहेब। अब आप ठीक लग रहे हो।मैं चलती हूँ।
साहेब: बहुत से अब बीमार है निर्मले इलाज के लिए पैसा इकठ्ठा करो।
निर्मला: साहेब चिंता न करो खजाने पे पूरी नज़र है मेरी।खाली होने तक पूरा इलाज चलेगा।
साहेब: हैं?
निर्मले : कुछ नही कुछ नही। भाई को भेजती हूँ।चाय भी।
साहेब: आओ अमित भाई।छा गए हो तुम।
अमित: सर सब आप से सीखा है।
साहेब: मजाक करते हो।
अमित : नही साहेब। सच
साहेब: मुच्
अमित : जी। आप बड़े भाई हो न।
अमित: आप ही की तरह पकड़ने छोड़ने में देर नही लगाता।
साहेब: खुशी के मारे! सच्ची
अमित: मुची।
साहेब:तुम भी बहुत फेंकते हो।
अमित: सब आप की बदौलत।
साहेब: क्या कह रहे हो अमित।
अमित: कुछ नही कुछ नही।
साहेब:ठीक है।
अमित: भरत पैदा होने को है?
साहेब: अब जे क्या कोड वर्ड है?
अमित: दुष्यंत आ गये है कांडा भगा दिए है। चट्टू अब हुड्डू की हवा निकलेगा।
साहेब: क्या चाल चले हो अमित।
अमित: सब आप से ही सीखा है।
साहेब: खट्टू कहाँ है।
अमित : कोप भवन में।
साहेब; क्या?
अमित: कुछ नही कुछ?
साहेब: बुलाओ उसे।फंडू को भी।
अमित: मेरे पीछे छुप के खड़े है?
साहेब: हैं?
अमित : कुछ नही साहेब कुर्सी बचाने की ट्रेनिंग ले रहे है।
साहेब: ऐसी क्या जरूरत पड़ गयी भई इन नलों को?
अमित: कुर्सी के कई बाप हो गए न साहिब।
साहेब: ओ हो इब समझा मैं।सही हो अमित ।इन कर्मफलों के चक्कर मे कई खट्टे फल हाथ लग गये।
सुताई की इनकी?
अमित: तैयारी चल रही है साहेब।
साहेब:सच्ची
अमित: मुची
साहेब: सुताई धुलाई जम के करना।इनके कारण मेरा गला बैठ गया।गला भर आया। निर्मला भी परेशान हो गयी थी। जम कर करना।कभी ये पार कभी वो पार..पता नही क्या क्या बुलवा दिया इन बुडवको ने ..। अब की बार इनकी सीथा पोंध पे वार।जम कर करो।
अमित: ई डी से कराऊँ या सी बी से?
साहेब: ये हमको रुलाये है दोनों से कराओ।
अमित: क्या?
साहेब: सुताई।
अमित: ले जाओ भाई इनको।
निर्मला: चाय साहेब गर्म गर्म।
साहेब : छा गयी निर्मले।
निर्मला: क्या बात है साहेब लगता है" कभी खुशी कभी गम" पिक्चर चली है अभी अभी।
साहेब: ये अमित है ना।बस पूछो मत।कमाल का है।
अमित: जम के सुताई करना।
निर्मला: किसकी सुताई।
अमित: मैं चलता हूँ साहेब आप चाय पियो। मुझे भी हाथ साफ करना है।
निर्मला: समझी नही?
साहेब: वित्त पे ध्यान दो । देखो चाय बिखरे नही।
अमित जाओ तुम। आवाज़ आनी चाहिए कानो तक।
अमित: जी साहेब।
निर्मला: कुछ समझी नही?
अमित: साहेब को चाय पिलाओ और वित्त पे ध्यान दो।
निर्मला: जी जी।साहेब चाय।ठंडी ठंडी।
साहेब: हैं? जे क्या अब?
निर्मला भी उठ के चली गयी।कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त....सुताई कांडा कांड🤔😂😂 साहेब की खुशी के आंसू थम गये अब।जय ..... भाई की।
जय हिंद
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शुभ प्रभात।
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