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एक दारूबाज दोस्त और निंबूपानी दोस्त की हैप्पी न्यू ईयर की महफ़िल सजी थी। दबा के पार्टी चल रही थी।गिलास पे गिलास खाली हो रहे थे।निंबूपानी बहुत परेशान था ये इतनी पी क्यों रहा है? मजा कर रहा है या दुख मना रहा है?
निंबूपानी से रहा न गया और और पूछ ही लिया भाई इतनी क्यों पी रहा है?
दारूबाज:भाई तू जो फ्री की पिला रहा है इसलिए पी रहा हूँ।
निंबूपानी:ओए मैंने कब बोला में पीला रहा हूँ?
दारूबाज:तो काहे फालतू सवाल पूछ रहा है।चल।निंबूपानी पी।
कीड़ा जब उछल रहा हो तो प्रश्न फिर पूछना बनता ही है।
निंबूपानी : भाई कोई दुख है क्या?
दारूबाज : हां भाई आज कल देश की अर्थव्यवस्था ठीक नही है बहुत दुखी हूं।
निंबूपानी : अबे उससे तुझे क्या?
दारूबाज : दुख।
निंबूपानी : तो दारू क्यों?
दारूबाज: गम गलत कर रहा हूँ।गर्द-ए-ग़म-ए-जाँ उड़ा रहा हूँ।
निंबूपानी: अबे ये क्या?..
दारूबाज : एक और निंबूपानी मंगा। पी भाई पी।
निंबूपानी: देख दोस्त जो तू इतनी पी रहा है मेरा दिल जल रहा है।
दारूबाज: बेटा तू सुखी है ना घर पे..
निंबूपानी: कहाँ दोस्त तभी तो आज तेरे साथ बैठा हूँ।किच किच से दूर।
दारूबाज: बेटा दो जाम तो तेरे दुख के पिये मैंने अभी अभी।
निंबूपानी: वो कैसे भाई?
दारूबाज : भाई कितने साल हुए तेरी शादी को?
निंबूपानी : 20 साल..
दारूबाज : भाई अभी 18 बाकी है तेरे गम के?
निंबूपानी : क्या?
दारूबाज: पेग भाई पेग अभी तो तेरी जिंदगी के 2 साल ही गटके है बाकी तो मेरी के पिये।
नीबूपानी; ओये पागल हो गया है?
दारूबाज: न भई न दोस्त गमगीन हो तो भई भूलना पड़ता है।मैं तुझे देख के ही समझ गया था। न्यू ईयर पार्टी मेरे साथ?
निंबूपानी: अरे भाई सुना था तो बड़े मजे करता है मैं तो इसलिए आ गया।खुश रहता है।सोचा थोड़ी खुशी भी बांट लूं।
दारूबाज: भई मुझे पता है..
निंबूपानी : क्या पता है?
दारूबाज :मुझे पता है..
निंबूपानी: क्या पता है?
दारूबाज: अबे साले तेरी तरक्की हुई है ना कल से..
निंबूपानी: अबे तुझे कैसे पता।
दारूबाज: बेटा खुशी गम में दोस्त ही काम आते है।
निंबूपानी; वो कैसे?
दारूबाज : देख ये जाम तेरी तरक्की की खुशी का..
निंबूपानी : अबे ये क्या मजाक है खुशी में भी गम में भी..
दारूबाज:बेटा एक बात याद रख पीने वालों को पीने का बहाना चाहिये..चंद्रमुखी हो या पारो ...कोई फर्क नही पैंदा यारो..यारों को जीने का बहाना चाहिए..
निंबूपानी : अब ये क्या है भाई?
दारूबाज: दिमाग की सफाई..
निंबूपानी: भाई तू समझ के बाहर है।
दारूबाज: चल नाचते है?नए साल का जश्न मनाते है। एक और साल पी जाते है।
निंबूपानी: शरमाते हुए भई अपने को नाचना वाचना नही आता और यहां तो ..नही भाई नही
दारूबाज: बेटा एक लगाई होती तो नाच न जाने आंगन टेढ़ा हो गया होता।
निंबूपानी:अब ये को से श्लोक है?
दारूबाज: बेटा ये वो श्लोक है जहां न अपना पता न स्टेज का पता।
निंबूपानी: भाई तेरी बाते निराली है।
दारूबाज: दोस्त जब नशा अपने शबाब पे होता है तो जिंदगी खुशनुमा हो जाती है।कदम कुछ लड़खड़ाते है मगर खुशी गम के भंवर कही दूर छूट जाते है।कुछ अपने जैसे कुछ तेरे जैसे दोस्त और करीब आते है।जाम से जाम ये निंबूपानी जब टकराते है सब गम दूर खुशी के पल आते है।कुछ तेरी सुन्नते है कुछ अपनी कह लेते है।कुछ खिलखिला के हंस लेते है।कुछ अपना कुछ देर के लिए ही सही तुझे बना लेते है। जिंदगी खुदगर्ज ही रही हमसे हिसाब मांगती।हम देते रहे वो लेती रही।सोचा कुछ देर हम भी रूमानी कुछ अपने से हो जायें।कुछ दिल के करीब दोस्तो के संग न्यू ईयर मनाएं।रात नशे में कहीं समा जाये।जो बीता चल उसे भूल जायें।सोचा जब उठूं तो नई सोच से जाते साल को गुड बाई कह जायें।सुबह होते ही होश में आते ही आप सब से हैप्पी न्यू ईयर कह जाये।नया साल फिर खुशियों भरा होगा ये सोच निंबूपानी तुझे बधाई दे जाये।हमारा क्या है जो मिली या न मिली शाम होते ही जिंदगी के बोझ मयखाने में छोड़ आये।
निंबूपानी: अबे ये क्या था?
दारूबाज: जिंदगी का फलसफा। चल छोड़ तुझे अब घर जाना है।भाभी जी को मनाना है।दोस्ती निभ गयी रिश्ते अभी निभाना है।
निंबूपानी: तू समझ के बाहर है भाई।
दारूबाज : बाई बाई 2019 निंबूपानी ..वेलकम 2020...पेग बना भाई..
नशा उतर गया हो तो गुड मॉर्निंग नव वर्ष की शुभकामनाएं।
नशे बहुत है दारू भी बहुत है पर ए दोस्त मेरी जिंदगी में तेरी जरूरत बहुत है।
जय हिंद।
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सुप्रभात।
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👌👌👌
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