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निर्मला : ये पत्रकार क्या समझते हैं अपने आप को हूँ!
साहेब : क्या हुआ निर्मले?
निर्मला: इनकी तो मैं ............दूंगी !
साहेब: क्या बोल रही हो समझ मे नही आ रहा निर्मले?
निर्मला: अभी इनको पता नही है ...........कोन हूँ!
साहेब : निर्मले बेबी शांत हो जाओ खुल के बोलो क्या हुआ?
निर्मला: बहुत प्रश्न आ रहे है........तुमको।देख लूंगी.......को!
साहेब : हुआ क्या निर्मले?
निर्मला: ये मीडिया की .........बजा दूंगी!
साहेब: शांत निर्मले शांत मुझे बोलो क्या हुआ? क्यों उखड़ी हो? किसने छेड़ा तुम्हे?
निर्मला: .....समझते है मुझे कुछ....
नही!
साहेब : ये बुड बुड जय कर रही हो? शब्द बीच मे हो खा रही हो। शांत निर्मले शांत।
निर्मला : चुप्प बे .......मंद!
साहेब : कुछ बोला निर्मले?
निर्मला : नही साहेब ( होश में बापिस आते हुए)
साहेब : धीरज धरो। हुआ क्या शांति से बताओ?
निर्मला : कुछ नही साहेब बस कुछ पत्रकार आज कल कुछ भो पूछ लेते है?
साहेब: ओह संबित की लंबित बीमारी।
कुछ नही निर्मले शांत हो जाओ मुझ पे छोड़ दो।
निर्मले : कैसे छोड़ दूं। मैं जो कर रही हूँ वो नज़र नही आता? जो कर चुकी हूँ उसपे विना तथ्यों के ........है।
साहेब : कम से कम शब्द पूरे बोलो निर्मले पता नही में क्या समझ लूं?
निर्मले: सठियाये ....कुछ समझ तो.....
वैसे भी नही आता।
साहेब: निर्मले कुछ बोली तुम/?
निर्मला : नही साहेव कुछ नही आप ने कुछ सुना तो नही?
साहेब : कहाँ निर्मले आज कल मेरी कान की मशीन अमित ले गया है। जोर से ही सुनता है।
निर्मला : मन ही मन चलो अच्छा है बड.....
साहेब : कुछ बोली तुम?
निर्मला : नही साहेब।
साहेब : अरे हाँ संबित भी एक दिन किसी प्रोग्राम से रोता आया था।लगा दी मैंने.. साहेब हंसते हुये।
निर्मले: किसकी?
साहेब : पत्रकार और उसके मालिक की। तुम बताओ किसकी लगानी है।
निर्मला: साहेब आप गलत समझ रहे है।
साहेब : अरे नही मैंने देखा था चैनल पे संबित को तो बोलने से रोका था? पर तुम तो बोल ही नही रही थी।
निर्मला: साहेब कोई इरॉरेलेवेंट क्वेश्चन पूछेगा तो मैं कैसे जबाब दूंगी?
साहेब: ओह प्रशन ही गलत पूछ लिया। जरूर पप्पू होगा।
निर्मला: कुछ करना होगा?
साहेब: चलो फ़ोन लगाओ अमित को ।वो सी बी आई को उसकी GPD करने भेजेगा।
निर्मला: हैं ये क्या साहेब?
साहेब: तुम्हे GDP समझ नही आई आज तक तो ये क्या समझोगी।
निर्मला: मतलब?
साहेब : सीखो अस्मृति से उसे GPD की समझ है ।देखो कैसे चिल्ला चोट कर रही थी। एक तुम हो चुप्प बैठ के आ गयी।समझो।
निर्मला: इसका इससे क्या रेलेवेंस है साहेब?
साहेब : अब तुम भग लो नही तो " आता मांझी सटकली"
निर्मला : अमित को भेजती हूँ चाय भी।
साहेब : अमित को बोलना मेरी कान की।मशीन भी लेता आयेगा । पता नही क्या क्या बोल गई यहाँ?
निर्मला : जी साहेब।
निर्मला: पर ये तो बताओ GPD क्या है साहेब?
साहेब: अब तुम जाओगी या......बनो।
निर्मला : कुछ बोला साहेब?
साहेब: कोई लेकर जाओ इसे भाई!
निर्मला : जाती जाती साहेब चाय भेजती... ..नाराज़ नको..अमित को भी भेजती।
साहेब: ऐसे और कितने नवरत्न है अभी मेरे दरबार मे?
अमित; लो साहेब मशीन।
साहेब : आओ अमित।
अमित : भरे पड़े है सर भरे पड़े है।
साहेब : क्या ?
अमित : नवरत्न।
साहेब:अब कोन से मिला तुम्हे?
अमित : अब हॉस्पिटल की जरूरत ही नही पड़ेगी।निर्मला से बोलो बहुत पैसे बचने वाले है।
साहेब : वो कैसे ?
अमित : संस्कृत से साहेब।
साहेब : हैं🤔
अमित : सोचो मत साहेब।बहुत नवरत्न है हमारे पास वैदिक काल के😉🤣🤣
साहेब : लगता है इसकी भी GPD मारना पड़ेगा।
D तो डंडा है अब GP आप खुद से समझ लो।
साहेब अभी व्यस्त CAB में। अब आप भी काम पे लग जाइये प्लीज। निर्मला लगी है.....सुधारने।
जय हिंद।
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सुप्रभात।
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