Skip to main content

रिश्तों की मधुरता।

🙏🏻🌹❣❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣❣✍🏻🌹
रिश्तों में मधुरता बहुत जरूरी है।हमारे रिश्ते जीवन के रंगों में से सबसे खूबसूरत रंग है।इससे जीवन के मेले लगते है।हमारा ह्रदय मनोरंजन से पूर्ण रहता है।हम खुश होते है।हंसते है गुनगुनाते है।मगर जहां कड़वाहट है वहां कोप का वास है।दरिद्रता है।वहां खिंचाव है।वहां द्वेष है।वहाँ कटुता है।तो मधुर तो सदैव मधुर ही रहता है।हर शख्स को अच्छा लगता है। मधुरता बहुत ही खिंचाव लिये जीवन का बेहतरीन स्वाद है।इंसानी जीवन मे माँ के रिश्ते के बाद सबसे करीबी रिश्ता अर्धनगिनी का होता है। जो हर वक़्त आपके सबसे करीब होती है।जब ये रिश्ता जुड़ता है तो इसमें सभी खट्टे मीठे तीखे स्वाद होते है।शुरू शुरू में इन स्वादों का भाव दिखने लगता है और आप को परोस दिये जाते है।क्षमता अब सामने वाले कि है कि अपने भीतर उपजी जन्मी मधुरता को इसमे कैसे धीरे धीरे मिलाना शुरू करे। रिश्तों में गर्माहट पैदा करे।रिश्तों की गर्माहट में संवाद सबसे जरूरी है।और नए रिश्तों में जितने सही तरीके से शुरू में संवाद गांठा जायेगे उसमे मधुरता का अंश धीरे धीरे बढ़ने लगेगा।खटास कम होने लगेगी। कड़वापन निकल भागेगा।मधुरता बढ़ती जायेगी।दूरियां सिमटने लगेंगी।रिश्तों में गर्माहट आने लगेगी। अगर धूल भी पड़ी हो तो छटने लगेगी।मधुरता और बढ़ने लगेगी।और जहां इसने अपना वास किया सच मानिए मित्रो जीवन का सबसे खूबसूरत पल आपके सामने होगा।आंखे बातें करेंगी।दिल सुनने लगेगा।एहसास जागने लगेंगे।कब प्यार पनपा और आप डूब गये पता भी नही चलेगा।मधुरता बढ़ती जायेगी और जीवन आनंद का बेहतरीन अनुभव आप के ह्रदय को गहराईयों  में उतर आप को सकूं दे आनंद ही आनंद में ले जायेगा।चांद की जेबाई आप को हर पल कुछ मदहोश किये जाएगी।तारों की चादर में लिपटा खूबसूरत संसार आप को ख्वाइशों की नज़र कर देगा।जब काम से लौट कर आओगे तो प्रेम से आप की नज़र उसका दिल होगा।कबूल कीजिये।
जय हिंद।
****🙏🏻****✍🏻
शुभ रात्रि
❣❣❣❣❣❣🌹❣❣❣❣❣❣

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

रस्म पगड़ी।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक  समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस

भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 112 से 117 तक।

🌹🙏❣❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣❣✍🌹 भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 112 से 117 वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया का वर्णन करता है। ये  सरकार की वित्तीय प्रणाली का महत्वपूर्ण अंग है।हमारे संघ प्रमुख हमारे माननीय राष्ट्रपति इस हर वर्ष संसद के पटल पर रखवाते है।प्रस्तुति।बहस और निवारण के साथ पास किया जाता है।चलो जरा विस्तार से जाने। यहां अनुच्छेद 112. वार्षिक वित्तीय विवरण--(1) राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के संबंध में संसद के दोनों सदनों के समक्ष भारत सरकार की उस वर्ष के लिए प्राक्कलित  प्राप्ति यों और व्यय  का विवरण रखवाएगा जिसे इस भाग में “वार्षिक  वित्तीय विवरण”कहा गया है । (2) वार्षिक  वित्तीय विवरण में दिए हुए व्यय के प्राक्कलनों में-- (क) इस संविधान में भारत की संचित निधि पर  भारित व्यय के रूप में वार्णित व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित   राशियां, और (ख) भारत की संचित निधि में से किए जाने के लिए प्रस्थाफित अन्य व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित राशियां, पृथक –पृथक दिखाई जाएंगी और राजस्व लेखे होने वाले व्यय का अन्य व्यय से भेद किया जाएगा   । (3) निम्नलिखित व्यय भारत की संचित निधि पर भार

दीपावली की शुभकामनाएं २०२३।

🌹🙏🏿🔥❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🇮🇳❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🔥🌹🙏🏿 आज बहुत शुभ दिन है। कार्तिक मास की अमावस की रात है। आज की रात दीपावली की रात है। अंधेरे को रोशनी से मिटाने का समय है। दीपावली की शुभकानाओं के साथ दीपवाली शब्द की उत्पत्ति भी समझ लेते है। दीपावली शब्द की उत्पत्ति  संस्कृत के दो शब्दों 'दीप' अर्थात 'दिया' व 'आवली' अर्थात 'लाइन' या 'श्रृंखला' के मिश्रण से हुई है। कुछ लोग "दीपावली" तो कुछ "दिपावली" ; वही कुछ लोग "दिवाली" तो कुछ लोग "दीवाली" का प्रयोग करते है । स्थानिक प्रयोग दिवारी है और 'दिपाली'-'दीपालि' भी। इसके उत्सव में घरों के द्वारों, घरों व मंदिरों पर लाखों प्रकाशकों को प्रज्वलित किया जाता है। दीपावली जिसे दिवाली भी कहते हैं उसे अन्य भाषाओं में अलग-अलग नामों से पुकार जाता है जैसे : 'दीपावली' (उड़िया), दीपाबॉली'(बंगाली), 'दीपावली' (असमी, कन्नड़, मलयालम:ദീപാവലി, तमिल:தீபாவளி और तेलुगू), 'दिवाली' (गुजराती:દિવાળી, हिन्दी, दिवाली,  मराठी:दिवाळी, कोंकणी:दिवाळी,पंजाबी),