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सुबह उठते ही पति ने प्रेम भरी आवाज़ लगाई।
पति : भाग्यवान सुनती हो.. चाय
पत्नी : उठ गये ?
पति : हाँ भाग्यवान।
पत्नी : चलो दूध ले आओ।
पति: अजी सुनती हो दूध नही है क्या?
पत्नी : बहरे हो क्या? सुना नही दूध ले आओ
पति: कैसे बात करती हो भाग्यवान हम पति है।
पत्नी :चाय पीनी है?
पति : अभी लाया भाग्यवान ..दूध।
पत्नी : कुछ फल सब्जी आते हुए ले आना?खत्म है।
पति : आफिस के लिए देर होगी।
पत्नी: जल्दी उठा करो।एहसान न दिखाओ।
पति: खाने में क्या बनाया है।
पत्नी: सिर तुम्हारा! परोसूं अभी?
पति: कैसी जली कटी सुबह सुबह करती हो आखिर पति है हम।
पत्नी: क्या बोला?
पति: कुछ नही भाग्यवान। लाओ थैला दो।
पत्नी: एक तो पति ऊपर से ये आलसी औलाद। उफ्फ तंग आ गयी।
पति : कुछ कहा?
पत्नी: हाँ -- अब जाने जा कुछ लोगे?
पति :अभी गया अभी आया मेरी जान।
पत्नी: शुक्र है।निकले।
पति देव चल दिये येही सोचते सोचते कि भई हम तो पति है। और लौट आये समान लेकर।
पति : खुश होकर ये लो भाग्यवान समान ले आये।
पत्नी: झलाते हुए रख दो उधर।
पति: समान लाये है।
पत्नी: एहसान किये है क्या आप।
पति : नही ।
पत्नी: तो फिर?
पति :कुछ नही। चाय दे दो।
पत्नी :लो फूको।
पति: कैसे बोलती हो पति है हम। ..हम....तुम्हारे।
पत्नी: लगता है चाय पीने का मूड नही है।
पति: नही भाग्यवान। पी रहे है।पी रहे है।
पत्नी: पियो फिर।
पति: नहाने का पानी गर्म कर दिया।
पत्नी : रॉड है वहां ..देखो।
पति : है।
पत्नी :लगा लो। मुझे और भी काम है।
पति: तौलिया?
पत्नी: बाहर तार पे टँगा है।
पति:जी।
पति स्नानागार में..अबे साले पति है हम।
पति नहा के निकले।
पति : कपड़े प्रेस हुए कहाँ रखे है।
पत्नी: कल देना भूल गयी। प्रेस पड़ी है। दरवाज़े के पीछे कपड़े लटके है। दो हाथ लगा लो। तुम्हारा टिफ़िन और बच्चों का टिफिन तैयार हो रहा है।
पति:भाग्यवान रात को बता देती।
पत्नी :भूल गयी।दिमाग न खाओ।बहुत काम पडा है।
एक तो बच्चे और ऊपर से तुम।
पति: जी भाग्यवान।
पत्नी: खाना लगा दिया है। खा लो।
पति : आज क्या बना है।
पत्नी: छप्पन भोग । फिर बताऊं/ और लगाऊं क्या?
पति: बच्चों के सामने तो न ऐसे बोलो आखिर पति है हम।
पत्नी: खाना खाना है।
पति: हां हां भाग्यवान। बड़बड़ाते हुए जो मिले वो उत्तम।
पत्नी: कुछ बोले?
पति : न भग्यवान।
पत्नी: समान की लिस्ट डाइनिंग टेबल पे रखी है। शाम को आते हुए ले आना।
पति: कभी प्यार व्यार से बात कर लिया करो आखिर पति है हम।
पत्नी: ये औलादें प्यार का नतीजा है। नखरे इनके बाप से न्यारे। करूँ बात?
पति: न भग्यवान। पति देव मन ही मन बुर्बुड़ाये आफिस के लिए देर हो रही है। दिन मेरा शुभ है। काम पे सुबह से लगा ही दिया। शाम का पर्चा थमा ही दिया। पति पूरा बना ही दिया। क्योंकि पति है हम।
पत्नी:कुछ कहा?
पति: नही।।गाड़ी की चाबी कहाँ है।
पत्नी :मेरे सिर में। दूं?रोज का तमाशा है तुम्हारा। एक जगह क्यों नही बना लेते। 20 साल से येही सब हो रहा है।
पति: जरा बच्चों के सामने लिहाज़ किया करो। आखिर पति है हम।
पत्नी: जरा शाम को मिलो बताती हूँ कौन है हम?
पति ने चुप चाप टिफ़िन उठाया। जूते अड़ाये चाबी उठाई गाड़ी स्टार्ट करी और मन ही मन बोले बे काहे के पति है हम?
ये तो सुबह है दोस्तो। पिक्चर तो अभी बाकी मेरे दोस्त।
जय हिंद
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शुभ रात्रि।
"निर्गुणी"
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