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साहेब की व्यंगशाला:मन से"झूठ सी बात"।

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साहेब: मेरा दिल रो रहा है।मुझे भीतर से परेशान कर रहा है। मैं आहत हूँ। मैं व्यथित हूँ। मुझे भी दर्द होता है।मेरे पांव में भी आपके छालों का दर्द होता है। आपकी भूख मुझे मारती है...
मैं बहुत आहत हूँ...
निर्मला : क्या हुआ साहेब?क्या हुआ साहेब? मैं घबरा रही हूँ। सब ठीक है न साहेब।
साहेब: सत्यानाश निर्मले सारा सत्यनाश कर दिया।
निर्मला: क्या कर दिया साहेब?
साहेब: कुछ और देर बाद नही आ सकती थी।
निर्मला:माफी मिले तो पूछूं?
साहेब:बोलोगी।
निर्मला:गुस्सा क्यों हो साहेब।
साहेब:तुम्हे दिखता नही है क्या?
निर्मला:नही साहेब।
साहेब:क्या बोली ?
निर्मला: कुछ नही साहेब।पूछा बस क्या हो गया साहेब।?
साहेब:मैं मन की "झूठ सी बात "की तैयारी कर रहा था।
निर्मला: ओह माफ़ कर दो साहेब अपने को लपेटना नही आता न सो फेंकने का पता नही चला।
साहेब:क्या बुड़ बूड़ा रही हो? सुनाई नही दिया।
निर्मला: कुछ नही साहेब आप बहुत अच्छे नेता बनाम अभिनेता है।
साहेब:सच्ची
निर्मला :मुची
साहेब:थैंक यू
निर्मला: वेलकम साहेब।
साहेब:याद आया वो 20 लाख का क्या  हुआ? गोली बंटी?
निर्मला: साहेब सब टी वी वाले खा लिये है। जनता गटक गयी है। समाचार पत्र वाले निगल लिये है। कुछ चमचे शोर मचा रहे बस।
साहेब : सच्ची।
निर्मला: मुची।
साहेब: कमाल कर दिया तुमने। देखो अर्थ व्यवस्थित हो गया।
निर्मला: जी जी हमने भी अर्थ के पहिये को जुमलों की हवा भर चला दिया।
साहेब: फिर क्या बुड़ बड़ाई ?
निर्मला: कुछ नही साहेब दौड़ पड़ी है?
साहेब :क्या?
निर्मला: व्यवस्था।
साहेब:सच्ची।
निर्मला: मुची।
साहेब: पैसे लग गए न?
निर्मला: हाँ हाँ साहेब सब ठीकाने।
साहेब:ये दम्भी कहाँ रहता है आजकल?
निर्मला: यहीं मालिक चैनलों पे घूम घूम जर शोर मचाता हल्ला गुल्ला करता है।
साहेब :क्या?
निर्मला: प्रचार साहेब प्रचार।
साहेब :किस का?
निर्मला: कोरोना कोरोनिल से वचाब का।
साहेब:ओहो गुड जॉब।
निर्मला : जी साहेब?
साहेब: धर्मेंद्र कहाँ है आजकल?
निर्मला: हेमा मालिनी के पास।
साहेब:क्या?वहां क्या कर रहा है कमबख्त? तेल कोन देखेगा?
निर्मला: ओ हो जे वाले धर्मेंद्र? साहेब वो अब आज़ाद महसूस कर रहे है?
साहेब:क्या? पार्टी छोड़ दी क्या?
निर्मला: नही मालिक तेल खुला छोड़ दिया है। अब तेल आज़ाद पंछी है।
साहेब: वडी शायरी करने लगी हो। 
निर्मला: सरमाते हुए आप से ही सीखी है साहेब।
साहेब: तन के बैठते हुए.. जनता खुश है न?
निर्मला: आप की दीवानी हुई जाती है।
साहेब: कौन निर्मले? शर्माते हुए,!
निर्मला : जनता जनार्दन साहेब जिसके आप प्रधान सेवक है।
साहेब: अच्छा अच्छा ज्यादा न चढ़ाओ वो नडु कहां है नज़र नही आता आजकल?
निर्मला : साहेब वो इटली के दौरे पे है आजकल।
साहेब:क्या ?कोरोना में इटली?
निर्मला: मैं कांग्रेस वाले ईटली की बात कर रही थी।आजकल वही पीछे पड़े है। पता नही यहां आफिस में उन्हें कुछ काम दिखा नही सो वहां लग लिए?
साहेब: क्या बुड़ बूड़ा रही हो?
निर्मला: कुछ नही मालिक ।आज कल उन्हें काम मिला है। रोज प्रश्न लिखने का सो व्यस्त है।
साहेब : चलो अच्छा है कुछ काम तो उसके हाथ लगा।
निर्मला: जी साहेब।
साहेब: शाह साहब किधर?
निर्मला: साहेब केजरु के साथ।
साहेब: वहां क्या कर रहा है वो? कुचीन को कोंन संभाल रहा है?
निर्मला: साहेब साह जी कह रहे थे केजरू की हथियानी है !कुचीन की दबानी है!
साहेब:क्या बोल रही हो?
निर्मला : साहेब सत्ता ।
साहेब:ओह!
साहेब:हमारा शेर कहां है?
निर्मला: रशिया में घूमने गया है! शायद?
साहेब:क्या कहा तुमने ? विदेश यात्रा पे! आने दो उसे।यहां गरीब जुमले खायेगा जनता तेल सूंघेगी कोरोना आज़ाद घूमेगा हमारा सिंह मेरे बिना रशिया घूमेगा। पारा सातवे आसमान पर। 
साहेब: डंडे को तेल पिलाओ!
निर्मला: कोंन सा पेट्रोल या डीजल?
साहेब: क्या?
निर्मला: बस पूछा  मालिक। समझ गयी पिलाती हूँ।
साहेब:ठीक है। जा निर्मले जा 20 लाख कहां खर्चाये हिसाब बना।
निर्मला: कौन से बीस लाख साहेब ?बातों वाले?
साहेब: हाँ।
निर्मला : वो तो बातों में ही खर्च हो गए।
साहेब: क्या कह रही हो?
निर्मला: सच कह रही हूँ।
साहेब :जाने का कुछ लोगी? ओर ये जरूर बताती जाओ आयी क्यों थी?
निर्मला:आपके घर के सामने से निकल रही थी आप के रुदन को सुना तो चली आई ? मुझे क्या पता था के आप?
साहेब:क्या मैं?
निर्मला:आप अभिनेता बहुत अच्छे है।
साहेब: सिक्योरिटी इन्हें गाड़ी तक छोड़ कर आओ।
निर्मला : चाय?
साहेब: सिक्योरिटी ! सिक्योरिटी!

निर्मला गायब 20 लाख जुबानी जमा खर्च के साथ। साहेब "झूठ सी बात" की तैयारी में है।नेता से अभिनेता बनने की तैयारी में है।
जय हिंद।
****🙏****✍️
शुभ रात्रि।

"निर्गुणी'
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