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कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं।
जिसने जो मांगा कभी मना किया नही हुआ तो दिया न हुआ तो पछताया नही।
कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं।
यारों का मान कभी तोड़ा नही कुछ मांगा तो जो बन सके से पीछे हटा नहीं।
कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं।
कुछ की आस ही बस मुझसे है जिसे कभी झुठलाया नही।
कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं।
कुछ के इस्तमालों में रह कर भी उन्हें कभी जताया नही।
कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं।
कुछ उम्मीद की दुनिया बना लेते है मेरे से उन्हें कभी धोखा दिया नही।
कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं।
कुछ के सपने भी साथ लेकर चला हूँ मैं जिन्हें कभी तोड़ा नही।
कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं।
कुछ रिश्तों में शायद एक वजह हूँ मै उन्हें कभी मरोड़ा नही।
कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं।
कुछ से मोहब्बत भी पाता हूँ उनसे कभी मुँह मोड़ा नही।
कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं।
हर तरफ एक तालिस्म की दुनिया है जादू से उसके कभी भागा नही।
कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं।
झूठ के अम्बार में कभी शामिल किसी के मैं होता नही।
कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं।
मेरी दुनिया मे इश्क़ मोहब्बत उम्मीद आस दोस्ती के इलावा कुछ और है भी नही।
इसलिए अपनो के लिए कुछ सपनों का सौदागर हूं मैं जिन्हें बेच कर जीता हूं मैं।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
"निर्गुणी"
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