Skip to main content

पत्रकार।

🌹🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🇮🇳❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️✍️🌹
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।
रह रह कर सबको डरा रहा है।
पटाखे कहीं और फूट रहे है आवाज़ यहां सुना रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।

सारा इतिहास अपने हिसाब से सुना रहा है।
जो खुद को समझ आया वो ही पढ़ा रहा है।
कुछ जेब भर के खास की सलाह सुना रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।

आवाज़ अपनी बुलंद कर विरोध दबा रहा है।
एक को देशभक्त दूसरे को देशद्रोही ठहरा रहा है।
एक ही मुल्क की जानो को रोज लड़वा रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।

जो घट रहा उसकी हकीकत से ये दूर हो रहा है।
आम आदमी पिस रहा और मजबूर हो रहा है।
अंधी आधी पढ़ी फौज को  पागलपन हो रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब जो गिरा रहा है।।

जो बंदूक चली नही उसकी गोली आपके सीने में ठोक रहा है।
मुद्दों पे ध्यान न जाये इसकी पुरजोर कोशिश कर रहा है।
खुद को सही साबित हर तरह से कर रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।

कही चंदा बन्द न हो जाये सो कीमत चुका रहा है।
सब अंधे बने रहे उसकी पूरी कवायत ये कर रहा है।
अपनी जुबान को पार्टी आफिस बना रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े वड़े बम्ब गिरा रहा है।।

मुद्दों से ध्यान कटाक्ष कर भटका रहा है।
अंधी खाई में सबको धकेला जा रहा है।
खाली बंदूक की गोली से डराया जा रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।

ये ही तेरे लिये बेहतर है ऐसी मुफ्त सलाह दे रहा है।
एक और हाथ से निछावर ले इधर खेला कर रहा है।
चंगे भले आदमी को बहुत बीमार बता रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।

चलो कोई बात नही इनका समय चल रहा है।
आम आदमी सौ जूते सौ प्याज़ खा के सह रहा है।
सुरक्षा के नाम पे व्यक्ति विशेष का  डंका बज रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।

फिर भी बोलता हूँ ये मिट्टी की बात ही कुछ खास है।
वक़्त पे सबको धूल चटाती आ रही है।
बर्दाश्त की हद तो सबमे होती है उसे परखा जा रहा है।
पत्रकार महोदय-
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।

फ़टे न फटें बम्ब तो दिखा ही रहा है।
अपनी जेब भर कर डर की दुकान चला रहा है।
एक अपनी रोटियां सेक दूसरा दूध भी जला रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।

किसी की रात दिन डुगडुगी बजा रहा है दूसरे को पोंगा पंडित बता रहा है।
एक कि दुकान चला रहा है दूसरे का शटर गिरा रहा है।
धन्य हो तुम-पत्रकार महोदय
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।

जय हिंद।
****🙏****✍️
शुभ रात्रि।
"निर्गुणी"
❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️🌹❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

रस्म पगड़ी।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक  समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस

भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 112 से 117 तक।

🌹🙏❣❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣❣✍🌹 भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 112 से 117 वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया का वर्णन करता है। ये  सरकार की वित्तीय प्रणाली का महत्वपूर्ण अंग है।हमारे संघ प्रमुख हमारे माननीय राष्ट्रपति इस हर वर्ष संसद के पटल पर रखवाते है।प्रस्तुति।बहस और निवारण के साथ पास किया जाता है।चलो जरा विस्तार से जाने। यहां अनुच्छेद 112. वार्षिक वित्तीय विवरण--(1) राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के संबंध में संसद के दोनों सदनों के समक्ष भारत सरकार की उस वर्ष के लिए प्राक्कलित  प्राप्ति यों और व्यय  का विवरण रखवाएगा जिसे इस भाग में “वार्षिक  वित्तीय विवरण”कहा गया है । (2) वार्षिक  वित्तीय विवरण में दिए हुए व्यय के प्राक्कलनों में-- (क) इस संविधान में भारत की संचित निधि पर  भारित व्यय के रूप में वार्णित व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित   राशियां, और (ख) भारत की संचित निधि में से किए जाने के लिए प्रस्थाफित अन्य व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित राशियां, पृथक –पृथक दिखाई जाएंगी और राजस्व लेखे होने वाले व्यय का अन्य व्यय से भेद किया जाएगा   । (3) निम्नलिखित व्यय भारत की संचित निधि पर भार

दीपावली की शुभकामनाएं २०२३।

🌹🙏🏿🔥❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🇮🇳❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🔥🌹🙏🏿 आज बहुत शुभ दिन है। कार्तिक मास की अमावस की रात है। आज की रात दीपावली की रात है। अंधेरे को रोशनी से मिटाने का समय है। दीपावली की शुभकानाओं के साथ दीपवाली शब्द की उत्पत्ति भी समझ लेते है। दीपावली शब्द की उत्पत्ति  संस्कृत के दो शब्दों 'दीप' अर्थात 'दिया' व 'आवली' अर्थात 'लाइन' या 'श्रृंखला' के मिश्रण से हुई है। कुछ लोग "दीपावली" तो कुछ "दिपावली" ; वही कुछ लोग "दिवाली" तो कुछ लोग "दीवाली" का प्रयोग करते है । स्थानिक प्रयोग दिवारी है और 'दिपाली'-'दीपालि' भी। इसके उत्सव में घरों के द्वारों, घरों व मंदिरों पर लाखों प्रकाशकों को प्रज्वलित किया जाता है। दीपावली जिसे दिवाली भी कहते हैं उसे अन्य भाषाओं में अलग-अलग नामों से पुकार जाता है जैसे : 'दीपावली' (उड़िया), दीपाबॉली'(बंगाली), 'दीपावली' (असमी, कन्नड़, मलयालम:ദീപാവലി, तमिल:தீபாவளி और तेलुगू), 'दिवाली' (गुजराती:દિવાળી, हिन्दी, दिवाली,  मराठी:दिवाळी, कोंकणी:दिवाळी,पंजाबी),