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पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।
रह रह कर सबको डरा रहा है।
पटाखे कहीं और फूट रहे है आवाज़ यहां सुना रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।
सारा इतिहास अपने हिसाब से सुना रहा है।
जो खुद को समझ आया वो ही पढ़ा रहा है।
कुछ जेब भर के खास की सलाह सुना रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।
आवाज़ अपनी बुलंद कर विरोध दबा रहा है।
एक को देशभक्त दूसरे को देशद्रोही ठहरा रहा है।
एक ही मुल्क की जानो को रोज लड़वा रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।
जो घट रहा उसकी हकीकत से ये दूर हो रहा है।
आम आदमी पिस रहा और मजबूर हो रहा है।
अंधी आधी पढ़ी फौज को पागलपन हो रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब जो गिरा रहा है।।
जो बंदूक चली नही उसकी गोली आपके सीने में ठोक रहा है।
मुद्दों पे ध्यान न जाये इसकी पुरजोर कोशिश कर रहा है।
खुद को सही साबित हर तरह से कर रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।
कही चंदा बन्द न हो जाये सो कीमत चुका रहा है।
सब अंधे बने रहे उसकी पूरी कवायत ये कर रहा है।
अपनी जुबान को पार्टी आफिस बना रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े वड़े बम्ब गिरा रहा है।।
मुद्दों से ध्यान कटाक्ष कर भटका रहा है।
अंधी खाई में सबको धकेला जा रहा है।
खाली बंदूक की गोली से डराया जा रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।
ये ही तेरे लिये बेहतर है ऐसी मुफ्त सलाह दे रहा है।
एक और हाथ से निछावर ले इधर खेला कर रहा है।
चंगे भले आदमी को बहुत बीमार बता रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।
चलो कोई बात नही इनका समय चल रहा है।
आम आदमी सौ जूते सौ प्याज़ खा के सह रहा है।
सुरक्षा के नाम पे व्यक्ति विशेष का डंका बज रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।
फिर भी बोलता हूँ ये मिट्टी की बात ही कुछ खास है।
वक़्त पे सबको धूल चटाती आ रही है।
बर्दाश्त की हद तो सबमे होती है उसे परखा जा रहा है।
पत्रकार महोदय-
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।
फ़टे न फटें बम्ब तो दिखा ही रहा है।
अपनी जेब भर कर डर की दुकान चला रहा है।
एक अपनी रोटियां सेक दूसरा दूध भी जला रहा है।
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।
किसी की रात दिन डुगडुगी बजा रहा है दूसरे को पोंगा पंडित बता रहा है।
एक कि दुकान चला रहा है दूसरे का शटर गिरा रहा है।
धन्य हो तुम-पत्रकार महोदय
पत्रकार संचार माध्यम बहुत बड़े बड़े बम्ब गिरा रहा है।।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
"निर्गुणी"
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True expression
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