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आज बड़ा संयोग का दिन है दो खास पर्व एक ही दिन पड़े है। अक्षयतृतीया और ईद उल फ़ित्र। दो धर्म और दोनों के लिये खास दिन। रोजे और नवरात्रि के व्रत अपनी अपनी साधना का आयाम कायम करते है। एक तरफ शब-ए-कद्र को कुरान का नुज़ूल हुआ ।तरावीह की नमाज़ में महीना भर कुरान का पठन किया जाता है। जिस से कुरान पढ़ना न आने वालों को कुरान सुनने का अवसर अवश्य मिलता है। रमजान एक पवित्र महीना है रमजान का महीना कभी 29 दिन का तो कभी 30 दिन का होता है। इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग उपवास रखते हैं। उपवास को अरबी में "सौम" कहा जाता है, इसलिए इस मास को अरबी में माह-ए-सियाम भी कहते हैं। फ़ारसी में उपवास को रोज़ा कहते हैं। भारत के मुसलिम समुदाय पर फ़ारसी प्रभाव ज़्यादा होने के कारण उपवास को फ़ारसी शब्द ही उपयोग किया जाता है। अल्लाह कबीर वह सर्वशक्तिमान ईश्वर हैं जो पैगंबर मुहम्मद को मिले और उन्हें जन्नत दिखाई।उपवास के दिन सूर्योदय से पहले कुछ खालेते हैं जिसे सहरी कहते हैं। दिन भर न कुछ खाते हैं न पीते हैं। शाम को सूर्यास्तमय के बाद रोज़ा खोल कर खाते हैं जिसे इफ़्तारी कहते हैं।अब इस पवित्र महीने का पूर्ण होता है।ईद होती है।ईद उल-फ़ित्र या ईद उल-फितर (अरबी: عيد الفطر) मुस्लमान रमज़ान उल-मुबारक के एक महीने के बाद एक मज़हबी ख़ुशी का त्यौहार मनाते हैं। जिसे ईद उल-फ़ित्र कहा जाता है। ये यक्म शवाल अल-मुकर्रम्म को मनाया जाता है। ईद-उल-फ़ित्र इस्लामी कैलेण्डर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है। इस्लामी कैलंडर के सभी महीनों की तरह यह भी नए चाँद के दिखने पर शुरू होता है। मुसलमानों का त्योहार ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्योहार है। इस त्योहार को सभी आपस में मिल के मनाते है और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं। पूरे विश्व में ईद की खुशी पूरे हर्षोल्लास से मनाई जाती है। संयोग से रमजान के दिनों ही हमारे चैत्र नवरात्रे का पर्व भी आता है। बहुत धार्मिक भाव उपवास और माता के नौ रूपों की पूजा से लेकर कंजक पूजन से इस व्रत का पूर्ण होता है। इस बार बात कुछ खास है। मैं ब्राह्मण हूँ और मेरे लिए वैशाख मास की अक्षयतृतीया खास होती है।बैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हर वर्ष भगवान परशुराम जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में अपना 6वां अवतार लिया था। इसी वजह से इस दिन अक्षय तृतीया के साथ परशुराम जयंती भी मनाई जाती है।इस साल 3 मई आज के दिन परशुराम जयंती मनाई जा रही है। भगवान परशुराम का जन्म भले ही ब्राह्मण कुल में हुआ हो लेकिन उनके गुण क्षत्रियों की तरह थे।ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पांच पुत्रों में से चौथे पुत्र परशुराम थे परशुराम भगवान भोलेनाथ के परम भक्त थे। बहुत सी कथाएं इस बेहद खास दिन से जुड़ी है। उनमें से एक मेरी प्रिय माँ गंगा के अवतरण की भी है। अक्षय तृतीया आज इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है, इसलिए आप इस दिन किसी भी समय कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं।अक्षय तृतीया को ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार की उत्पत्ति हुई थी। अक्षय तृतीया का अर्थ है वह तृतीया तिथि जिसका क्षय न हो।इस दिन प्राप्त किए गए पुण्य और फल का क्षय नहीं होता है, वह कभी नष्ट नहीं होता है। अक्षय तृतीया का महत्व मां गंगा से भी जुड़ा है। इस तिथि को ही मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। इस वर्ष ये चैत्र और रमजान का महीना दो धर्मो के पैगम्बरों ने इस वर्ष खास तोहफे के रूप में हमे दिया है। एक दूसरे की कद्र करते हुए प्रेम के संदेश के साथ सभी मुस्लिम भाइयों को दिल से ईद मुबारक और सभी हिन्दू भाइयों को अक्षयतृतीया की ढेर सारी शुभकामनाएं। ये भाईचारा प्रेम प्रचार कर एक दूसरे की कद्र का एहसास दिलाते रहे।
जय हिंद।
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शुभ दिवस।
"निर्गुणी"
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