🌹🙏♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️🇮🇳♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️✍️🌹
आज चंद्र ग्रहण है।दान का दिवस है।
ब्राह्मण तैयार है आपकी जेब पे भार है।
शुभ अशुभ का वार है पड़ी ज्योतिषियों की मार है।
कुछ की राशि को ग्रहण लग गया बाकी को फल गया।
जो बेचारे ग्रहण के सताए है वो भी दान देने आए है।
जो शुभ फल खाएं है वो भी हिस्सा लाए हैं।
दिमाग को दही करने की दुकान चल पड़ी है।
अखबार भी इसी न्यूज से पटी पड़ी है।
गृहणियां आज चाव से अखबार पढ़ रही है।
हज- बैंड साहब की बत्ती गुल पड़ी है।
ये अखबार नवीज कहां से आन पड़ी है।
खैर दीप ज्योति घुमाई जा रही है पति से मोह आचनक हुआ है।
पति भी खामोश सोच रहा है दान दक्षिणा देने को खड़ा है।
सारी बलाएं ये दान ले जाए और ब्राह्मण की गोद भर जाए।
हर और आस्था का मेला लगा है।
चंद्र देव मुस्कुरा रहे है ब्राह्मण को दान पे दान दिला रहे है।
सुबह सुबह खिचड़ी का भोग लगवा रहे है।
पति चाय पानी का इंतजार ही कर रहा है।
यहां ग्रहण के भोज का दान समान बन रहा है।
बड़ी उत्सुकता से पति महोदय देख रहे है।
कोई तो कह रहा है..
रुको जरा रुको जरा।
तेरा नंबर भी आयेगा जब चंद्रदेव जी मान जायेगा।
तभी तो तेरा भोग आयेगा।
चल पगले तेरे लिए ही तो ये सब हो रहा है।
परिवार ये छोटा सा दान देकर मुसीबतों से बच रहा है।
ग्रहण तो आखिर ग्रहण है आस्था में विज्ञान कहां है?
सो बालक साइंटिस्ट मत बन नही तो प्रकोप बहुत बड़ा है
तेरी सेवा का नंबर दूसरा है अभी तो चंद्र देव खड़ा है।
एक बात मान ले ब्राह्मण को दान आज सबसे बड़ा है।
कुछ और हिम्मत कर नदी स्नान का भी महत्व बड़ा है।
चल अपनी अर्धगिनी की सेवा कर ले कुछ सुखों को उधार ले।
नही तो समझ ले ग्रहण तुझपे बस लगा ही लगा है।
जय जय चंद्र देव मंद मंद मुस्कुरा रहे है।
खिचड़ी वस्त्र धन दान महादान करा रहे है।
धन्यवाद।
शुभप्रभात।
♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️
जय हिंद।
"निर्गुणी"
Comments
Post a Comment