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आज मुझे महसूस हुआ कि हमे भारत के संविधान की उद्देशिका को बार बार पढ़ना चाहिए और जब तक पढ़ना चाहिए जब तक ये समझ न आ जाए। 1977 के संशोधनों सहित।
कृपया इसे पढ़े और अपने विवेक पे विश्वास रखें की जो समझ आ रहा है वो सही है। किसी से सलाह न लें न दूसरे की समझ का सहारा लें।
मुझे पूरा विश्वास है इस उद्देशिका की किसी को याद भी नहीं होगी।
हमारे संविधान की उद्देशिका
"हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न *समाजवादी, पंथनिरपेक्ष* लोकतंत्रात्मक गणराज्य* बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को:
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की और एकता* *अखंडता** सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प हो कर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई० "मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हज़ार छह विक्रमी) को एतद संविधान को अंगीकृत, अधिनियिमत और आत्मार्पित करते हैं."
इसे अपने समझ लिया तो समझें आप जागरूक जिम्मेदार नागरिक है और भारत रूपी राष्ट्र के श्रेष्ठ नागरिक भी ।
धन्यवाद।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
"निर्गुणी"
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