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व्यक्ति का व्यवहार ही व्यक्ति को समाज में श्रेष्ठ या तुछ बनाता है। इसे जीवन के आरंभ से ही सीखने सिखाने की कोशिश करनी चाहिए। आप का व्यवहार अच्छा है और उसमे आदर और प्रेम का मिश्रण है तो समझिए उत्तम है। आप का व्यवहार उत्तम है तो समझिए आप प्रिय और लोकप्रिय दोनो ही है। उत्तम व्यवहार आप के शालीन होने का भी घोतक है। शालीन व्यक्ति विशेष और आदरणीय है। जहां शालीनता जा वास है वहां प्रेम आसानी से पनपता है। जहां प्रेम का वास हो सम्मान का वहां होना निश्चित है।
ये जीवन को सुखी और संपन्न बनाने का आसन सा ही नुस्खा है। हींग लगे न फिटकरी रंग भी चोखा होए। आप सदा अपने आस पास के लोगो को आकर्षित करने में सफल रहेंगे।
अब आप इससे उलट तस्वीर गाडिये। आप शालीनता छोड़ थोड़े गुस्सैल अखड़ और बदतमीज हो जाइए। आप में सदा अप्रसन्नता का वास रहेगा। लोग आपसे दूरी बना कर रखेंगे। सब कुछ होते हुए भी अभाव दिखेगा। चिड़चिड़ा पन सदा हावी रहेगा। विचार संकीर्ण होंगे। शक सदा आप के दिमाग की सवारी करेगा और प्रेम कोसों दूर होगा। अगर आप ताकतवर हुए तो दरिद्र कमजोर पे आपका जोर चलेगा मगर इज्जत सम्मान दरिद्र से भी प्राप्त नहीं होगा। और अगर दरिद्र को आपके इलावा कोई सहारा मिल गया तो आपकी इज्जत का फालूदा सब के सामने बिन मांगे ही होगा।
शालीन व्यक्ति उत्तम व्यवहार से पूर्ण व्यक्ति दरिद्र कमजोर के लिए हर परिस्थिति में सम्माननीय ही होगा।
यही सबसे बड़ा फर्क होगा।
व्यवहार कुशल बनिये धन दौलत ताकत में आनंद केवल व्यवहार से ही प्राप्त होता है वर्ना सही मायनो में आप व्यवहारिक नही हो तो धन दौलत ताकत में भी केवल दरिद्रता का ही वास है वो आपके किसी काम की नही।
आप भीतर बाहर दोनो जगह अपने को सदा अकेले ही पाओगे। व्यवहारिक व्यक्ति सदा अपने आप में भरा पूरा और खुश मिलेगा और अपने चाहने वालों से घिरा मिलेगा ।
व्याहारिक व्यक्तित्व न अकेला होता है न होने देता है।
धन्यवाद।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
"निर्गुणी"
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