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आज बहुत फुर्सत हुई तो गुनगुना लिए।
कुछ दिल की सुन लिए कुछ उसे सुना लिए।
बहुत अरसा हुआ अपने से बात किए।
अब मौका मिला तो दिल खोल दिए।
आज बहुत फुर्सत हुई तो गुनगुना लिए।
दिल सी दिल की बात हुई तो मुस्कुरा लिए।
कुछ बीती यादों को फिर से दोहरा लिए।
जो सपने में थे उनको फिर से जी लिए।
आज बहुत फुर्सत हुई तो गुनगुना लिए।
बहुत सकूं भरा है ये समां जो बीता याद कर लिए।
दौड़ तो रोज लगी थी आज फुर्सत निकाल ही लिए।
उन बीते पलों को याद कर फिर जी लिए।
आज बहुत फुर्सत हुई तो गुनगुना लिए।
एक वो भी दौर था जब हम हम थे ।
एक वो भी दौर था जब आजाद हम थे।
एक वो भी दौर था बस हमारे सपने और हम थे।
आज बहुत फुर्सत हुई तो याद कर गुनगुना लिए।
कभी किसी को छेड़ लिए कभी मस्ती भी कर लिए।
जब दौर भी फुर्सत का था और नादानियां भी कर लिए।
कभी इसे पकड़ा उसे छोड़ा और फिर दौड़ लगा दिए।
आज बहुत फुर्सत हुई तो गुनगुना लिए।
जो बीत गया वो सुंदर था उसे फिर से जी लिए।
जो चल रहा उसे सुंदर करने का जतन कर लिए।
कल किसे क्या पता कल की सोचना ही छोड़ दिए।
आज बहुत फुर्सत हुई तो गुनगुना लिए।
जो दिल में था दिल को कह सुना लिए।
कुछ उसने कही कुछ हमने सुनी और दो पल जी भर जी लिए।
यही कुछ पल खुशी के अक्सर मिल जाते है।
इसलिए आज बहुत फुर्सत हुई तो गुनगुना लिए।
धन्यवाद।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
"निर्गुणी"
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नादानियां करते हुए मुस्कुराते रहें गुदगुगाते रहें। सुप्रभात
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