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खुशी न कही हमे ढूंढे सी भी मिली ।
तेरा हंसता चेहरा देखा तो चुपके से झोली में आ गिरी।।
दुनिया तो बहुत बड़ी है पर अपना कोन है?
तुझे देखते है तो बस खुश हो लेते है कुछ अपना समझ लेते है।।
नयामतें होंगी अगर दुनिया में तमाम।
हमारी तो तू ही इक दौलत भर है।।
जलवे होंगे अगर दुनिया में तमाम।
हमारे लिए तो तेरा जलवा ही बहुत है।।
जिद्दें होंगी अगर दुनिया में तमाम।
हमारे लिए तो तेरे होने की जिद्द हो बहुत है।।
असूल होंगे अगर दुनिया में तमाम।
हमारे लिए तो तेरे इशारे ही बहुत है।।
हसरतें अगर होंगी दुनिया में तमाम।
हमारे लिए तो तेरी हसरत ही बहुत है।।
पाने की तुझे चाह कभी रही नही।
तुझे बस चाहने की चाहत बहुत है।।
याद अगर खुदा के बाद किसी को करते है।
तो मान ले तेरे वजूद को ही खुदा मानते है हम।।
धन्यवाद।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
"निर्गुणी"
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वाह भाई जी क्या समर्पण है, सैल्यूट
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