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भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 112 से 117 तक।

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भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 112 से 117 वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया का वर्णन करता है। ये  सरकार की वित्तीय प्रणाली का महत्वपूर्ण अंग है।हमारे संघ प्रमुख हमारे माननीय राष्ट्रपति इस हर वर्ष संसद के पटल पर रखवाते है।प्रस्तुति।बहस और निवारण के साथ पास किया जाता है।चलो जरा विस्तार से जाने।
यहां अनुच्छेद
112. वार्षिक वित्तीय विवरण--(1) राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के संबंध में संसद के दोनों सदनों के समक्ष भारत सरकार की उस वर्ष के लिए प्राक्कलित  प्राप्ति यों और व्यय  का विवरण रखवाएगा जिसे इस भाग में “वार्षिक  वित्तीय विवरण”कहा गया है ।
(2) वार्षिक  वित्तीय विवरण में दिए हुए व्यय के प्राक्कलनों में--
(क) इस संविधान में भारत की संचित निधि पर  भारित व्यय के रूप में वार्णित व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित   राशियां, और
(ख) भारत की संचित निधि में से किए जाने के लिए प्रस्थाफित अन्य व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित राशियां, पृथक –पृथक दिखाई जाएंगी और राजस्व लेखे होने वाले व्यय का अन्य व्यय से भेद किया जाएगा   ।
(3) निम्नलिखित व्यय भारत की संचित निधि पर भारित व्यय  होगा, अर्थात् :--
(क) राष्ट्रपति की उपलाब्धियां और भत्ते तथा उसके पद से संबंधित अन्य व्यय  ;
(ख) राज्य सभा के सभापति और उपसभापति के तथा लोक सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते ;
(ग) ऐसे ऋण भार, जिनका दायित्व भारत सरकार पर है, जिनके अंतर्गत ब्याज, निक्षेप निधि भार और मोचन भार तथा उधार लेने और ऋण  सेवा और ऋण मोचन से संबंधित अन्य व्यय हैं ;
(घ) (त्) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को या उनके संबंध में संदेय वेतन, भत्ते और पेंशन ;
(त्त्) फेडरल न्यायालय के न्यायाधीशों को या उनके संबंध में संदेय पेंशन  ;
(त्त्त्) उस उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को या उनके संबंध में दी जाने वाली पेंशन, जो भारत के राज्यक्षेत्र के अंतर्गत
किसी क्षेत्र के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करता है या जो [47][भारत डोमिनियन के राज्यपाल  वाले प्रांत] के अंतर्गत किसी क्षेत्र के संबंध में इस संविधान के प्रारंभ से पहले किसी भी समय अधिकारिता का प्रयोग करता था ;
(ङ) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक  को, या उसके संबंध में, संदेय वेतन, भत्ते और पेंशन  ;
(च) किसी न्यायालय या माध्यस्थम् अधिकरण के निर्णय, डिक्री या पंचाट की तुष्टि के लिए अपेक्षित राशियां ;
(छ) कोई अन्य व्यय जो इस संविधान द्वारा या संसद द्वारा, विधि द्वारा, इस प्रकार भारित घोषित किया जाता है ।
113. संसद में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया --(1) प्राक्कलनों में से जितने प्राक्कलन भारत की संचित निधि पर   भारित व्यय से संबंधित हैं वे संसद में मतदान के लिए नहीं रखे जाएंगे, किन्तु इस खंड की किसी बात का यह अर्थ नहीं   लगाया जाएगा कि वह संसद के किसी सदन में उन प्राक्कलनों में से किसी प्राक्कलन पर चर्चा को निवारित करती है ।
(2) उक्त प्राक्कलनों में से जितने प्राक्कलन अन्य व्यय से संबंधितहैं वे लोक सभा के समक्ष अनुदानों की मांगों के रूप  में रखे जाएंगे और लोक सभा को शक्ति होगी कि वह किसी मांग को अनुमति दे या अनुमति देने से इंकार कर दे अथवा किसी मांग को, उसमें विनिर्दिष्ट रकम को कम करके, अनुमति दे ।
(3) किसी अनुदान की मांग राष्ट्रपति की सिफारिश पर ही की जाएगी, अन्यथा नहीं   ।
114. विनियोग विधेयक--(1) लोक सभा द्वारा अनुच्छेद 113 के अधीन अनुदान किए  जाने के पश्चात् , यथाशक्य  शीघ्र, भारत की संचित निधि में से--
(क) लोक सभा द्वारा इस प्रकार किए गए अनुदानों की, और
(ख) भारत की संचित निधि पर भारित, किन्तु संसद के समक्ष पहले रखे गए विवरण में दार्शित रकम से किसी भी दशा में अनधिकव्यय की, पूर्ति के लिए अपेक्षित सभी धनराशियों के विनियोग का उपबंध करने के लिए विधेयक पुरःस्थाफित किया जाएगा ।
(2) इस प्रकार किए गए किसी अनुदान की रकम में परिवर्तन  करने या अनुदान के लक्ष्य को बदलने अथवा भारत की संचित निधि पर भारित व्यय की रकम में परिवर्तन करने का प्रभाव रखने वाला कोई संशोधन, ऐसे किसी विधेयक में संसद के किसी सदन में प्रस्थाफित नहीं  किया जाएगा और पीठासीन व्यक्ति का इस बारे में विनिश्चय अंतिम होगा कि कोई संशोधन इस खंड के अधीन अग्राह्य है या नहीं  ।
(3) अनुच्छेद 115 और अनुच्छेद 116 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, भारत की संचित निधि में से इस अनुच्छेद के उपबंधों के अनुसार पारित विधि द्वारा किए गए विनियोग केअधीन ही कोई धन निकाला जाएगा, अन्यथा नहीं ।
115. अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान--(1) यदि--
(क) अनुच्छेद 114 के उपबंधों  के अनुसार बनाई गई किसी विधि द्वारा किसी विशिष्ट सेवा पर चालू वित्तीय वर्ष के लिए व्यय किए जाने के लिए प्राधिकॄत कोई रकम उस वर्ष के प्रयोजनों के लिए अपर्याप्त पाई जाती है या उस वर्ष के वार्षिक वित्तीय विवरण में अनुध्यात न की गई किसी नई सेवा पर अनुपूरक या अतिरिक्त व्यय की चालू वित्तीय वर्ष के दौरान आवश्यकता पैदा  हो गई है,
या
(ख) किसी वित्तीय वर्ष के दौरान किसी सेवा पर, उस वर्ष और उस सेवा के लिए अनुदान की गई रकम से अधिक कोई धन व्यय हो गया है, तो राष्ट्रपति , यथास्थिति, संसद के दोनों सदनों के समक्ष उस व्यय की प्राक्कलित रकम को दार्शित करने वाला दूसरा विवरण रखवाएगा या लोक सभा में ऐसे आधिकक़्य के लिए मांग प्रस्तुत करवाएगा ।
(2) ऐसे किसी विवरण और व्यय या मांग के संबंध में तथा भारत की संचित निधि में से ऐसे व्यय या ऐसी मांग से संबंधित अनुदान की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकॄत करने के लिए  बनाई जाने वाली किसी विधि के संबंध में भी,  अनुच्छेद 112, अनुच्छेद 113 और अनुच्छेद 114 के उपबंध वैसे ही प्रभावी होंगे जैसे वे वार्षिक वित्तीय विवरण और उसमें वार्णित व्यय या किसी अनुदान की किसी मांग के संबंध में और भारत की संचित निधि में से ऐसे   व्यय  या अनुदान की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकॄत करने के लिए  बनाई जाने वाली विधि के संबंध में प्रभावी हैं ।
116. लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान--(1) इस अध्याय के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, लोक सभा को--
(क) किसी वित्तीय वर्ष के भाग के लिए  प्राक्कलित  व्यय  के संबंध में कोई अनुदान, उस अनुदान के लिए  मतदान करने के लिए  अनुच्छेद 113 में विहित प्रक्रिया के पूरा होने तक और उस व्यय के संबंध में अनुच्छेद 114 के उपबंधों  के अनुसार विधि के पारित होने तक, अग्रिम देने की ;
(ख) जब किसी सेवा की महत्ता या उसके अनिाश्चित रूप  के कारण मांग ऐसे   ब्यौरे के साथ वार्णित नहीं   की जा सकती है जो वार्षिक वित्तीय विवरण में सामान्यतया दिया जाता है तब भारत के संफत्ति स्रोतों पर अप्रत्याशित मांग की पूर्ति के लिए अनुदान करने की ;
(ग) किसी वित्तीय वर्ष की चालू सेवा का जो अनुदान भाग नहीं   है, ऐसा   कोई अपवादानुदान करने की, शक्ति  होगी और जिन प्रयोजनों के लिए उक्त अनुदान किए गए हैं उनके लिए भारत की संचित निधि में से धन निकालना विधि द्वारा प्राधिकॄत करने की संसद को शक्ति होगी ।
(2) खंड (1) के अधीन किए जाने वाले किसी अनुदान और उस खंड के अधीन बनाई जाने वाली किसी विधि के संबंध में अनुच्छेद 113 और अनुच्छेद 114 के उपबंध वैसे ही प्रभावी होंगे जैसे वे वार्षिक वित्तीय विवरण में वार्णित किसी व्यय  के बारे में कोई अनुदान करने के संबंध में और भारत की संचित निधि में से ऐसे व्यय की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकॄत करने के लिए बनाई जाने वाली विधि के संबंध में प्रभावी हैं ।
117. वित्त विधेयकों के बारे में विशेष उपबंध --(1) अनुच्छेद 110 के खंड (1) के उपखंड  (क) से उपखंड  (च) में विनिर्दिष्ट किसी विषय के लिए उपबंध करने वाला विधेयक या संशोधन राष्ट्रपति की सिफारिश से ही पुरःस्थाफित या प्रस्तावित किया जाएगा, अन्यथा नहीं और ऐसा उपबंध करने वाला विधेयक राज्य सभा में पुरःस्थाफित नहीं किया जाएगा :
परन्तु किसी कर के घटाने या उत्सादन के लिए  उपबंध  करने वाले किसी संशोधन के प्रस्ताव के लिए  इस खंड के अधीन सिफारिश की अपेक्षा नहीं होगी ।
(2) कोई विधेयक या संशोधन उक्त विषयों में से किसी के लिए उपबंध  करने वाला केवल इस कारण नहीं समझा जाएगा कि वह जुर्मानों या अन्य धनीय शास्तियों के अधिरोपण का अथवा अनुज्ञाप्तियों के लिए फीसों की या की गई सेवाओं के लिए फीसों की मांग का या
उनके संदाय का उपबंध करता है अथवा इस कारण नहीं समझा जाएगा कि वह किसी स्थानीय प्राधिकारी या निकाय द्वारा स्थानीय प्रयोजनों के लिए किसी कर के अधिरोपण, उत्सादन, परिहार, परिवर्तन या विनियमन का उपबंध करता है।
(3) जिस विधेयक को अधिनियमित और प्रवार्तित किए जाने पर भारत की संचित निधि में से व्यय करना पड़ेगा वह विधेयक संसद के किसी सदन द्वारा तब तक पारित नहीं किया जाएगा जब तक ऐसे विधेयक पर विचार करने के लिए  उस सदन से राष्ट्रपति ने सिफारिश नहीं की है ।
सारी आय व्यय और तनख्वाह का पूरा लेख जोखा और उसका वार्षिक प्रावधान उसकी आपूर्ति और लोकसभा से अनुमोदन सब की विस्तृत व्याख्या की गई है।पढ़िये और कुछ मन मे होंटो लिखिये।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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