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फ़्लर्ट एक अंग्रेजी का सुंदर शब्द है और अक्सर सुनने को अपने आस पास मिल जाता है।साधारणतया ये हंसी ठठे के जरिये छेड़छाड़ करना, अदाओं और सौंदर्य से मोहित करना या इश्कबाज़ी करना होता है।मर्द औरतों के बीच ये कभी शब्दो कभी अदाओं तो कभी आंखों के जरिये चलता रहता है। इसमे सरसरी तौर पे चौंचलेबाज़ी के जरिये मन को डोलाने का प्रयास भी किया जाता है।फ़्लर्ट करना सब के बस की बात भी नही होती।इसके लिए भी बेबाकपन और साहस चाहिए।बोलते है ना इसके लिए भी दम चाहिए।फ़्लर्ट ज्यादतर आकर्षण वश होता है।ये आकर्षण एकतरफा भी हो सकता है और कभी कभी दोतरफा भी।किसी को किसी की सूरत पसंद आ जाती है।किसी को आवाज़ किसी को हंसी किसी को पहरावा और किसी को अपनी छोड़ दूसरे पे प्यार आ जाता है।कोई तो भाषा पे ही मर मिटता है।इस स्तिथि में पास आने का मन हो जाता है।इंसानी फितरत और हसरतें रास्ते ढूंढती है।मौका तलाशती है पास जाने का। कुछ वक्त चाहती है शोखी से गुजारने का। साथ रहना चाहती है कुछ वक्त निहारने को।ये दोनों मर्दों और स्त्रीयों में बराबर होता है या यूं कहें पाया जाता है।जहां इच्छा प्रबल हो उठती है वहां खोज शुरू।ऐसे में वहां साहस भी जागृत हो जाता है।कदम और शब्द अपने आप पहुंचने का रास्ता ढूंढ़ लेते है यव ढूंढने लगते हैं। ये भाव बहुत सी अतृप्त इच्छाओं का और रिश्ते में ढूंढती कमियों के चलते पनपता रहता है।मनुष्य अपनी सब्भविक प्रकृति के चलते ये सब करता है।हर उम्र के लोग ये सब करते देखे जा सकते है या यूं कहें पाये जाते है।उम्र न इसके लिए बंधन है और ना इसकी सीमा।अतृप्ति हर समय हमारे सब के भीतर बनी रहती है।और विपरीत लिंग हमेशा आकर्षण का केंद्र होता है।घूम फिर कर व्यवहार अपनी प्रकृति अदा पे लौट आता है।अंतरात्मा को अपने हिसाब से तृप्त करता है।जो खुली चनौती अपने आप को देते है वो कुछ मन चाहा पा के निकल जाते है।बाकी कुंठा का शिकार भी हो जाते है।आग है दोनों तरफ हर वक़्त बे वजह लगी रहती है।इससे खेलने की चाह भी हमेशा बनी रहती है।ज्ञानी लोग इसे भांप कर सीमा तेह कर लेते है या अपने को सिमटा लेते है।अज्ञानी इसका प्रदर्शन कर जूते भी खा लेते है और कभी कभी साथियों को पड़वा भी देते है।फ़्लर्ट सब्भविक प्रवृति है।कोई बुराई नही है।बस अपने करने की और सामने वाले कि बर्दाश्त की सीमा का आंकलन स्टीक होना चाहिए।और अगर जहां गलती हुई तो समझिए दुर्घटना घटी। फ्लर्ट सब रिश्तों में सीमा के अंदर सम्भव है।और ये हर रिश्ते को खुशगवार बनाये रखने की ताकत रखती है।हल्की फुल्की छेड़खानी दिलफ्रेबी मस्ती कोई बुरी नही बस सीमा न लांघिये।मुस्कुराने की वजह जरूर बनिये किसी के सिर का दर्द नही।मित्रो फ्लर्ट करते राहिये कभी अपने आप से कभी अपने प्यार से कभी कभी अपने रिश्तों से जिंदगी रंगीन रहेगी ।सब आप का हो नही सकता और आप सब के साथ जा नही सकते।अपने घेरे को ही सुंदर कर डालिये फ़्लर्ट का असली मजा लीजीये।यकीन मानिये अपनी प्रेयसी से करेंगे तो आंनद कई गुणा ज्यादा हो जाएगा। यहां वहां जहां तहां ताकने में समय जाया न कीजिये।जहां दिल लगा है इस दिल को फ़्लर्ट करते रहने दीजिए ये भी जवान रहेगा और आप प्रसन्न।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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