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पालमपुर।

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चामुण्डा माता के दर्शन कर लिये तो पालमपुर में जा के चाय की चुस्कियां न ली जायें ये कैसे हो सकता है।पालमपुर बेहद खूबसूरत जगह है।रोड़ और रेल के ट्रेक के दोनों तरफ लहलहाते चाय के बागान।चाय की फैक्ट्री देखने का भी लुत्फ ले सकते हो।अंग्रेजों ने भारत के कई पहाड़ी पर्यटन स्थलों को अपनी गर्मियों की आरामगाह के लिए बनाया था।वहां तक रोड रेल सब ले गये।प्रकृति से छेड़ छाड़ कम से कम की।रेल मार्ग आज भी पालमपुर की वादियों से गुजरता आप को शहर के समीप ले जाता है।हिमालय के बेहतरीन दर्शन होते है।बर्फ से आच्छन्दित चोटियों का नयनाभिराम दृश्य बहुत ही मोहक होता है। देखते जाओ  फ़ोटो खींचते जाओ।आप का मन नही भरेगा।चलो कुछ पालमपुर पे छप जाये।हिमालय की गोद मे कुछ पल बिताएं जायें।
भारत का राज्य हिमाचल प्रदेश बेहद खुबसूरत राज्यो में से एक है। हिमाचल का शाब्दिक अर्थ है ” हिम या बर्फ का आँचल" हकीकत में भी यह राज्य हिमालय की उत्तर पश्चिमी गोद में बसा है। यह राज्य अपने आप में प्राकृतिक सुंदरता और छटा से भरा है। यहा यात्रियो को आकर्षित करने के लिए कई मनोरम स्थल है ।पालमपुर समुंद्र तल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर बसा एक खुबसूरत शहर और हिल स्टेशन है। पालमपुर का नाम स्थानीय पुलुम शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है ” बहुत सा पानी”। पालमपुर अपने सुहावने मौसम, बर्फीली पहाडियो, हरी भरी घाटियो, सर्पीली सडको और मीलो फैले चाय बागानो की सुंदरता से सैलानियो को आकर्षित करती है। किसी समय में यह स्थल अंग्रेजो की प्रमुख सैरगाह हुआ करता था। सन् 1905 में आए भीषण भूकंप से यहा जान माल की काफी क्षति हुई थी। इसलिए अंग्रेजो का इस स्थान से मोहभंग हो गया था। इस घटना के बाद से वे अपने बागो को स्थानीय लोगो को सस्ते दामो में बेचकर अपने मुल्क रवाना हो गए थे। आज 2 हजार हेक्टेयर जमीन में फैले यह चाय के बागान पालमपुर की शान है। इन्ही विशाल बागो के कारण पालमपुर ” टी सिटी” के नाम से विश्वभर में प्रसिद्ध है।
पालमपुर की रात्रा के दौरान आप हिमाचली खाने के साथ साथ पंजाबी खाना, साउथ इंडियन खाना आदि का भी स्वाद ले सकते है
पालमपुर पहाडी क्षेत्र होने तथा हिमायल की गोद में बसा होने के कारण यहा का मौसम साल भर ठंडा रहता है। गर्मीयो में पालमपुर का तापमान 15℃ से 29℃ तक रहता है जो सर्दीयो के मौसम में अत्यधिक ठंडा हो जाता है सर्दीयो में पालमपुर का तापमान 18℃ से -2℃ तक गिर जाता है। बर्फबारी का आनंद लेने वाले पर्यटक यहा सर्दीयो में दिसंबर और जनवरी में जा सकते है वर्षा ऋतु में भी यहां अधिक बारिश होती है।
घूमने का जब मन बन जाये तो घूमे जायें यहां ये स्थान...
न्यूगल पार्क ,यह पार्क न्यूगल नदी के 150 मीटर ऊपर एक पहाडी टीले पर स्थित है। यहा छोटी सी हिमानी नहर के साथ घास का लॉन भी है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण यह स्थल पर्यटको को दूर से ही आकर्षित करता है। पालमपुर पर्यटन स्थल सूची में यह स्थल प्रमुख स्थान रखता है।
माँ विंध्यवासिनी का मंदिर यह भव्य मंदिर न्यूगल पार्क से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए बस एंव टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है। यहा का वातावरण बेहद शांत व मनोरम है। तभी मुंबई के कई फिल्म निर्माता यहां के शांत वातावरण में फिल्मांकन करना पसंद करते है। यह मंदिर पालमपुर के पर्यटन स्थल में धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है।
घुघुर ,यह स्थल पालमपुर से एक किलोमीटर की दूरी पर है। यहा संतोषी माता, काली माता, और रामकृष्ण के मंदिर दर्शनीय है।
लांघा ,लांघा एक रमणीक स्थल है। समुंद्र तल से इसकी ऊंचाई 7000 फुट है। यहा जखणी माता का एक मंदिर है। जो देखने योग्य है। मंदिर के साथ एक गोलकार मैदान है। जहा दूर दूर से आये पर्यटक पिकनिक मनाना पसंद करते है। यहा से प्रकृति के दृश्य बडे ही मनोरम दिखाई पडते है। मंदिर के नीचे बहती नीले पानी की नदी में चमकते पत्थर बडे आकर्षक दिखाई देते है।
गोपालपुर,यह पालमपुर के पर्यटन स्थल में रमणीक स्थल है। यहाँ एक चिडिया घर है। जहा आप शेर, भालू, हिरण, खरगोश, याक, बारहसिंघा, जंगली बिल्ली आदि वंन्य जीवो के साथ साथ अनेक प्रकार के वन्य पक्षियो को बेहद करीब से देख सकते है।
आर्ट गैलरी,इस आर्ट गैलरी को देखने विश्व भर से लोग आते है। यहा शोभा सिंह के बनाए चित्रो में सोहनी महिवाल, कांगडा दुल्हन तथा गुरूनानक देव के चित्रो ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की है।
पालमपुर का प्रसिद्ध त्यौहार है होली।रंगो के त्योहार होली को पालमपुर में राज्यस्तरीय दर्जा प्राप्त है। पालमपुर की होली विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहा इस त्यौहार को देखने के लिए देश विदेश से सैलानी आते है। इन दिनो यह शहर दुल्हन की तरह सजाया जाता है। देर रात तक होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमो से यहा का शांत वातावरण बेहद संगीतमय हो जाता है। इन दिनो पालमपुर के सभी होटल, गेस्ट हाउस व धर्मशालाएं सैलानियो से भरे रहते है। यदि आप भी पालमपुर की होली का आनंद लेना चाहते है तो होटल आदि में अपनी बुकिंग पहले से करवा ले।
पालमपुर हिमाचल प्रदेश राज्य के कांगडा जिले के अंतर्गत आता है।पालमपुर धौलापुर पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है।पालमपुर से धौलापुर पर्वत श्रृंखला की बर्फ से ढकी चोटिया दिखाई पडती है ।पालमपुर के समीप में ही कांगडा का विश्व प्रसिद्ध बैजनाथ मंदिर भी है जो कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।पालमपुर में आप चाय फैक्ट्री में चाय को बतने हुए देख सकते।चाय फैक्ट्री में भ्रमण के लिए फैक्ट्री प्रशासन से अनुमति लेनी पडती है।पालमपुर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर दलाई लामा का निवास स्थान है।पालमपुर की सैर के दौरान आप यहा की चाय की की विभिन्न प्रकार की वैराटी के आलावा हिमाचली हस्तकला व तिब्बती हस्त कला से निर्मित विभिन्न प्रकार के समानो की खरीदारी यादगार के तौर पर कर सकते है।
पालमपुर जाने घूमने का सही समय मेरे लिए सितंबर अक्टूबर है।वैसे तो पालमपुर साल भर में कभी भी जाया जा सकता है। किन्तु मार्च से जून तक व सितंबर से नवंबर तक का मौसम पालमपुर के पर्यटन स्थल व हसीन वादियो में घूमने के लिए उपयुक्त माना जाता है।
पालमपुर का नजदीकी हवाई अडडा गग्गल है। जो पालमपुर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर है। गग्गल से पालमपुर पहुंचने के लिए स्थानिय बस व टैक्सी की सेवाएं उपलब्ध है।
पालमपुर का नजदीकी रेलवे स्टेशन मारंडा है। यह पालमपुर से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मारंडा रेल मार्ग पठानकोट से जुडा हुआ है। देश के प्रमुख शहरो से पठानकोट के लिए सीधी रेल सेवाएं है। पठानकोट से हर रोज 6 रेलगाडिया मारंडा आती है। समय के हिसाब से इनकी संख्या घट व बढ भी सकती है। मारंडा से बस टैक्सी द्वारा पालमपुर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
पालमपुर सडक मार्ग द्वारा सबसे बढ़िया जुडा है।
उठाइये अपनी गाड़ी दबाइये एक्सीलेटर और पहुंच जाईये हिमालय की गोद मे।कुछ तो समय बिताइये।आनंद की अनुभूति होगी।
जय हिंद।
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शुभ रात्रि।
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