Skip to main content

आशिक़ और इश्क़।

🌹🙏🏼❣❣❣🇮🇳❣❣❣✍🏼
आशिक़ों के बहुत से प्रकार होते है।हंसिये मत।सच कह रहा हूँ।ज्यादा तादात एक तरफा आशिक़ों की होती है।ज्यादतर तो स्कूल कॉलेज के समय से क्लास में ही ऐसा एकतरफा इश्क़ चलाते रहते है।सपनो की दुनिया मे खोये रहते है।किताब में महबूबा ख्यालों में महबूबा ही नज़र आती है।नज़रे किताब पे दिल महबूबा में और ख्याल ख्वाबों में गुम।फिर माँ का झापड़ और ख्याल बापिस नजरे किताबपे और दिल पढ़ाई में।बड़ी विडंबना है ।क्या है माँ को प्रॉब्लम।इतने हसीन ख्वाब और थपड़ की भेंट।उफ्फ। खैर एकतरफा आशिकों की ये व्यथा सदियों से चली आ रही है।माँ भटके हुए आशिक़ों को पढ़ाई की दौड़ में बापिस ला रही है।फ़र्ज़ निभा रही है।मजनुओं की फेरिस्त बहुत लंबी है।भांति भांति के आशिक़।आज विषय मर्दों पे ही है बस।औरतें कम हों ऐसा मैं नही सोच रहा हूँ कसम से।रोज स्कूल कॉलेज पहुंच जाते है झलक पाने या मानो नज़रें ठंडी करने।पढ़ाकू जरा अलग क्लास है कृपया उनके विषय मे ज्यादा यहां न सोचें।कुछ अक्लमंद इसे सब पे लागू न करवायें प्लीज। ऐसे आशिक़ भक्त भी जबरदस्त होते है।आज कल सबसे प्रिय भगवान मूर्ति रूप साईं बाबा जी है।इनके दर पर बृहस्पति वार को हिन्दू भगवानों से ठाकुराये आशिक़ बाबा की शरण मे लाइनों में लगे नज़र आते है।नज़ारा आप खुद भी देख सकते है। या बहुत से पीर भी इनके सच्चे इश्क़ के गवाह बनते है।अगरबत्ती का पूरा पैकेट तन मन धन सहित पीर जी की भेंट।महबूबा फिर भी नदारद।कई तांत्रिकों के घर भी पहुंच जाते है।रोज रात को महबूबा उनको प्रोपोज़ करती है और जनाब बहुत घमंड से नखरे दिखाते हैआगे आगे जनाब पीछे पीछे महबूबा अपनी मोहब्बत का इकरार इज़हार करते मोहब्बत का वास्ता देते अपने प्रेम की भीख मांगते इल्तज़ा कर रही है।और जनाब है कि नखरे ही  दिखाये जाते है।नींद  टूट नही रही।महबूबा जा नही रही।सूरज निकल के शबाब पे आने को है।बापू आफिस जा चुके।मां को फुर्सत मिली तो देखा पुत्र सिरहाने से जोर जबरदस्ती में लगा है।दे जोर के एक लगा ओये कॉलेज नही जाना।ओ तेरी आज तो लेट हो गये।हाय आज का तो दिन अशुभ हो गया।भगवान ये तूने क्या किया?थोड़ा पहले माँ को नही भेज सकते थे।क्या भगवान तू सही में मुझसे जलता है।मेरी मोहब्बत देखी नही जाती तुमसे।ओये गधे नहा ले नाश्ता तैयार है।मां की आवाज़ में कर्कशता झलक गई। दो डब्बे डाले  पानी के और पांच मिनट में तैयार।एक मिनट में रोटी अंदर दूसरे मिनट घर के बाहर।चाहत क्लास में और जनाव बस स्टॉप पे।पढ़ाई गयी भाड़ में कल देखता हूँ कैसे जल्दी नही उठता।फिर पेपर आये भगवान हनुमान याद आये  कही दो तो पांच चढ़ाये। किसी तरह पास हुए भाई।इश्क़ में एक तरफा आशिक़ कहलाये।कॉलेज पूरा हो गया।वो अपने घर गये हम अपने घर आये।कम्बख्त सारे साल एक लफ्ज़ उनसे न बोल पाये।आई लव यू न कह पाये ।तभी तो एक तरफा आशिक़ की पदवी ले आए।वहुत साल बाद वो दिखी।सुंदर से दो बच्चे साथ लिए आ रही थी।सामने पड़ते ही बोली राजीव तुम।अरे कैसी हो?इतना बोलना था बच्चों से मिलवाया बोली मिलो ये है तुम्हारे राजीव मामा।पीछे से कुछ जाना पहचाना चेहरा चला आ रहा था।उरे बाबा ये तो अपना शर्मिला मनोज था।जो हमारी महबूबा के प्यारे बच्चों का पापा था।दिल से गले लगाया।मन मे सोचा साले तूने ये गुल कब खिलाया।न बताया न शादी में बुलाया और हमारी महबूबा का हमे भैया कब बनाया? सो जाओ रात बहुत हो गयी है मोहब्बत हमारी किसी और कि मलकाये हयात हो गयी है।सो जाओ हंसो मत मुस्कुराओ बस।
जय हिंद।
****🙏🏼 ****✍🏼
शुभ रात्रि।
🌹🌹🌹🌹🌹❣🌹🌹🌹🌹🌹

Comments

Popular posts from this blog

रस्म पगड़ी।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक  समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस

भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 112 से 117 तक।

🌹🙏❣❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣❣✍🌹 भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 112 से 117 वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया का वर्णन करता है। ये  सरकार की वित्तीय प्रणाली का महत्वपूर्ण अंग है।हमारे संघ प्रमुख हमारे माननीय राष्ट्रपति इस हर वर्ष संसद के पटल पर रखवाते है।प्रस्तुति।बहस और निवारण के साथ पास किया जाता है।चलो जरा विस्तार से जाने। यहां अनुच्छेद 112. वार्षिक वित्तीय विवरण--(1) राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के संबंध में संसद के दोनों सदनों के समक्ष भारत सरकार की उस वर्ष के लिए प्राक्कलित  प्राप्ति यों और व्यय  का विवरण रखवाएगा जिसे इस भाग में “वार्षिक  वित्तीय विवरण”कहा गया है । (2) वार्षिक  वित्तीय विवरण में दिए हुए व्यय के प्राक्कलनों में-- (क) इस संविधान में भारत की संचित निधि पर  भारित व्यय के रूप में वार्णित व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित   राशियां, और (ख) भारत की संचित निधि में से किए जाने के लिए प्रस्थाफित अन्य व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित राशियां, पृथक –पृथक दिखाई जाएंगी और राजस्व लेखे होने वाले व्यय का अन्य व्यय से भेद किया जाएगा   । (3) निम्नलिखित व्यय भारत की संचित निधि पर भार

दीपावली की शुभकामनाएं २०२३।

🌹🙏🏿🔥❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🇮🇳❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🔥🌹🙏🏿 आज बहुत शुभ दिन है। कार्तिक मास की अमावस की रात है। आज की रात दीपावली की रात है। अंधेरे को रोशनी से मिटाने का समय है। दीपावली की शुभकानाओं के साथ दीपवाली शब्द की उत्पत्ति भी समझ लेते है। दीपावली शब्द की उत्पत्ति  संस्कृत के दो शब्दों 'दीप' अर्थात 'दिया' व 'आवली' अर्थात 'लाइन' या 'श्रृंखला' के मिश्रण से हुई है। कुछ लोग "दीपावली" तो कुछ "दिपावली" ; वही कुछ लोग "दिवाली" तो कुछ लोग "दीवाली" का प्रयोग करते है । स्थानिक प्रयोग दिवारी है और 'दिपाली'-'दीपालि' भी। इसके उत्सव में घरों के द्वारों, घरों व मंदिरों पर लाखों प्रकाशकों को प्रज्वलित किया जाता है। दीपावली जिसे दिवाली भी कहते हैं उसे अन्य भाषाओं में अलग-अलग नामों से पुकार जाता है जैसे : 'दीपावली' (उड़िया), दीपाबॉली'(बंगाली), 'दीपावली' (असमी, कन्नड़, मलयालम:ദീപാവലി, तमिल:தீபாவளி और तेलुगू), 'दिवाली' (गुजराती:દિવાળી, हिन्दी, दिवाली,  मराठी:दिवाळी, कोंकणी:दिवाळी,पंजाबी),