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दिल के रिश्तों में महक बड़ी होती है।
हर पल हर लम्हा हसीन रंगीन होता है।
इसकी खुशबू ने मन महकता है।
इसकी खुशबू से तन चहकता है।
नादानियां कहीं छुप सी जाती है।
दिल की ओढ़नी से ढक जाती है।
मैं कभी इसे छू भी नही पाती है।
महकते रिश्ते की सुगंध सब छुपा जाती है।
छोटी छोटी गलतियां नज़रअंदाज़ होती है।
कुछ खटाई भी खास मिठास लिये होती है।
दिल के रिश्तों मे यादें भी महकती है।
जब दूर होते हो दूरियां और पास ले आती है।
तुम ख्यालों में मेरे बेहद करीब होते हो।
महक मुझे किसी पल अकेला छोड़ती नही।
यादों के साये हर पल महकते रहते है।
मैं चहकता हर पल प्रफुलित महसूस करता हूँ।
ये दिलों के रिश्ते है बाबू सर चढ़कर बोलते है।
तुम कहीं भी रहो ये हर पल महकते है।
जहां तक ये ख्याल जाते तुम्हारी महक ले आते है।
दिल के रिश्तों में महक बड़ी होती है।
तभी हर पल हर लम्हा हसीन रंगीन होता है।
जय हिंद
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शुभ रात्रि।
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🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस
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