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इंसान वैसे तो बहुत मतलब परस्त कौम है।हर वक़्त हमे इसका एहसास होता रहता है।भीड़ तंत्र भी इसी का हिस्सा है जो कभी कभी बहुत गम्भीर तस्वीर भी पेश करती है। कल बहुत कुछ देखने और शायद अपने लिये और दुनिया के लिए सबक भी। शनिवार दिनांक 23.11.2019 को मैं अपने ग्रह निवास की और हिमाचल राज्य परिवहन की हिमसुता से सफर कर रहा था।दो दिनों की थकान और उसपे फिर सफर मगर आदत है तो शरीर झेल जाता है।हम यात्रा के चंडीगढ़ सेक्टरन-43 बस स्टेण्ड पहुंचे। यहां बस को तकरीबन 30 मिनट रुकना था।बस वॉल्वो थी तो थोड़ा समान जो साथ था उसके रखे का डर कम था।हम थोड़ा नाश्ते पानी के लिये नीचे उतरे।10 मिनट कॉफी पी मूंगफली का सेवन किया।और बस की और चल पड़े।बस में चढ़े ।मेरी सीट सबसे लास्ट में 40 नंबर थी।और अपनी सीट पे जा कर बैठ गये।वहाँ आगे की सीट पे एक आदमी अपना समान ऊपर समान कक्ष में अपना बैग जमा रहा था।उसकी नज़र मुझ पे पड़ी मेरी उसपे।यहां तक सब ठीक था।मेरा लैपटॉप का बैग उसके बिल्कुल साथ रखा था।बैग का मुह उसी व्यक्ति की दिशा में था।मेरा ध्यान उसकी और सहसा ही लग गया।उसने अपना बैग पहले तो जमाने मे काफी देर लगाई।फिर 3 से 4 मिनट बाद उसी लगाए बैग को समान कक्ष से उतारा और कंधें पे टांग के चल दिये।बेग का रंग नीला था।और व्यक्ति कोई 25 से 28 वर्ष के बीच का नौजवान था।और मैं उसे बस के गेट तक देखता रहा।कुछ खटका हुआ दिमाग मे।मैंने अपना बैग उठ कर देखा।मेरा सर घूम गया।बेग की ज़िप खुली थी।लैपटॉप गायब था।दिमाग ने तेज़ी से काम किया।भाई अपना बैग जमाने मे इतना समय क्यों लगा रहा था।और अचानक फिर बैग वहां से उतार कर बस से उतर गया।आव देखा न ताव मैंने दौड़ लगा दी।मोटा तो हूँ पर भाग लेता हूँ।कुछ दूरी पे बस टिकट काउंटर के समीप जनाब चुप चाप पार्किंग की तरफ जां रहे थे।मैंने झट से रास्ता रोक।पूछा भाई आप अभी हिमाचल रोडवेज की बस में चढ़े और फिर उतर गये।और मेरा लैपटॉप भी इसी बीच चोरी हो गया।उसके होश से उड़ गये।मैंने कहा अपना बैग दिखाओ।और घूर।जनाब फटाक से बेग को टिकट काउंटर पे रखा और बोला देख लो।मैंने बैग हाथ मे लिया और खोलने लगा।इतने में जनाब वहां से खिसकने लगे और मुझसे 25 - 30 मीटर दूर हो लिए।मैंने बैग खोला तो मेरा लैपटॉप मिल गया।मैंने शोर मचाया चोर चोर पकड़ो इसे।वहां कम से कम 40 से 50 सवारियां खड़ी थी एक ने भी देखने के इलावा पकड़ने की जहमत नही उठाई।बस फिर क्या था बस के दोनों और दौड़ शुरू हुई और उसे पकड़ा।मैंने पूछा चोरी की । बोला नही।मैंने दो चमाट लगाये और पूछा ये मेरा लैपटॉप तेरे बेग में कहां से आया।कालर पकड़ा था अब।चोर ने कॉलर छुड़ाया और पार्किंग की और दौड़ पड़ा।मैंने भी शोर मचाया।लैपटॉप चोर पकड़ो इसे।इसी बीच एक बात तो बताना भूल गया।जब ये सब बस में शुरू हुआ तो मैं अपनी माता जी से फ़ोन पे बात कर रहा था।और लैपटॉप का बैग खुला देख फ़ोन काटना भूल गया और माता जी सारी कार्यवाही लाइव सुनती रही।अब यहां से जब मैं उसके पीछे फिर भागा तो कुछ बस वाले ड्राइवर कंडक्टर भी दौड़ पड़े।चोर पार्किंग की एंट्री पे गार्डों और कुछ व्यक्तियों द्वारा पकड़ लिया गया।अब क्या था एक बस वाले सरदार जी बेतहाशा उसपे टूट पड़े और बोले कुछ महीनों से हमारी गाड़ियों में काफी लैपटॉप चोरी हुए।बहुत पिटाई की उसकी।पेड़ से डंडा तोड़ उसपे बरस पड़े।वो चिल्लाने लगा मत मारो मुझे।मैंने चोरी नही की।पर चोर तो वो था।और शायद नशे में भी।ये मेरा तात्कालिक आंकलन था।कई ड्राइवर कंडक्टर ने इस बात की पुष्टि की की कई महीनों से कई बसों में लैपटॉप चोरी हुए।पिटते देख मुझे थोड़ा तरस आया और सबसे प्रार्थना कि की इसे पुलिस में दे देते है।में बस की और गया और कंडक्टर को बोला बस रोक के रखो चोर को पुलिस को देना है।अब क्या था कंडक्टर ने बोला जल्दी करो।हम पुलिस चौकी पहुंचे उसे लेकर।पार्किंग सिक्योरिटी गार्ड साथ ही थे।कुछ ड्राइवर कंडक्टर भी।इस सारी वारदात में 30 मिनट चले गए।कहीं भी बस स्टैंड में कोई पुलिस वाला नज़र नही आया।जबकि चौकी बुस स्टैंड के भीतर ही है।खैर ये आप सब जानते है।जहां चोर वहां पुलिस कहाँ।अब बारी आई कंप्लेंट लिखवाने की।हमने सारी वारदात कह सुनाई।और उनसे गुजारिश कि की इसे अंदर कीजिये।पुलिस वाले कुछ देर शांत हुए और बोले अपनी कंप्लेंट लिखिये।मैंने पूरी कथा संक्षिप्त में लिख डाली।पुलिस वाले साहिब बोले अपना लैपटॉप दे जाईये।हम कंपलेंट लें रहे है।ये आप को अदालत से मिल जाएगा।यहां नई कवायत शुरू हो गई।मैन बोला साहेब ये तो नही दे सकता ।अलबत्ता आप इसकी फ़ोटो खींच ले समय और डेट के साथ।मॉडल नंबर सीरियल नंबर लिख ले।जब जरूरत होगी मैं इसे लेकर पहुच जाऊंगा।यहाँ पुलिस वाले मेरे ही ऊपर अपनी सारी वकालत झाड़ने लगे।बोले आप लैपटॉप नही देंगे तो हम इसे एक मिनट अंदर नही रख सकते।मैनें लैपटॉप देने से साफ इंकार कर दिया।सोमवार को मुझे एक मीटिंग में जाना था और सारा डाटा उसी में था। मैंने कहा मैंने कंपलेंट दे दी है और चोर भी पकड के दे दिया है।इससे ज्यादा मैं कुछ नही कर सकता।लैपटॉप तो पका नही दूंगा।बोले फिर हम कंप्लेंट में केस क्या बनाएंगे।अच्छा अपना मोबाइल दे जाईये।जो मैंने साफ इंकार कर दिया।इतने में एक ड्राइवर या कंडक्टर साहिब दो महंगे मोबाइल पुलिस की और बड़ा दिये बोले इससे मिले है।उन्होंने मोबाइल ले रख लिये और मेरी और मुखातिब हो लिए।बस के कंडक्टर को भी बुला लिया गया।बस भी रोक ली गयी।कुछ उम्र दराज समझदार लोग भी आ गए।सारी कार्यवाही देखी।मुझसे बोले आप का लैपटॉप मिल गया जाने दीजिए कहां अदालतों के चक्कर लगायेंगे?मैंने कहा छोड़ देते है एक अदद शहरी होने के फ़र्ज़ को भूल जाते है।उन्हें अपने गंतव्य पे पहुंचने की जल्दी थी।थोड़ा लॉजिक टॉक के बाद बुज़ुर्गबार शांत हो गये।उन्हें अपनी ही पड़ी थी।अब पुलिस वाले ये तो समझ हीं चुके थे न तो लैपटॉप और फ़ोन दिया जायेगा न ही कंपलेंट बापिस होगी।अब एक कमजोर कैस की नींव पड़ गयी।बोले हम जो बोल रहे है लिखिये अपना बैग और उसमें कोई दो आई डी डाल के हमे से दीजिये।हम बैग चोरी की कंप्लेंट लिख देते है।एक तरफ सवारियों का दवाव दूसरी और शादी में सम्लित होने की लिये घर पहुंचना।मैंने ये ही मुनासिफ समझा कंप्लेंट इनकें हिसाब से लिख देते है।पर चोर को छोड़ने नहीं देंगे।अगर ईमानदार पुलिस वाले हुए तो बहुत मामले सुलझा लेंगे।मैंने दुबारा कंपलेंट लिखी।उसकी फोटो नही खींच पाया।मेरे दिमागी संतुलन की भी शायद दबाब सहने की कोई क्षमता होगी? झट से कंपलेंट लिखी। उन्होनो उसकी गिरफ्तारी के पेपर बनाये।मुझसे दस्तखत लिए।कंप्लेंट भी ली।और एक कांस्टेबल को बस तक साथ भेजा।अपना बैग दिया।दो असल आई डी दी।उसका नीला बेग थाने तक तो आया था।वहां से कहाँ गया होगा मुझे पता नही।भीड़ में गुस्सा जानलेवा था क्रोध वश। आम जन हर बार की तरह मतलबी अपने मे मस्त नज़ारा देख मजे ले रहा था।पुलिस आराम में थी।अब देखते है आगे क्या होगा।मैं भी घर पहुंचा।शादी में मेरे घर मे सब व्यस्त थे ।मैं भी चुप चाप आया ।घरवाली को संक्षिप्त में बात बताई ।और समारोह में सम्मलित हो आज दिल्ली फिर मुम्बई की यात्रा पे निकल लिए।आगे की कार्यवाही अब देखनी और करनी बाकी है।कुछ वकील भाई अच्छी सलाह दे सकते है।
जय हिंद
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शुभ संध्या
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