Skip to main content

विषाणु या वायरस।

🌺🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🇮🇳🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌺
आजकल कोरोना को लेकर पूरी दुनिया मे घमासान मचा हुआ।एक विषाणु मनुष्य के संहार पे उतारू है।विषाणु या वायरस हमारे आस पास रहते आये है।मगर संक्रमण कुछ विशेष परिस्थितियों में होता है।जब होता है तो महामारी का रूप भी धर लेता है।सोचा आज इसी पे पढ़ा जाए।और जो भी अच्छे लेख इसपे उपलब्ध है उनका सार आप से सांझा किया जाये।आइये जाने विषाणु को...
विषाणु (virus) अकोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित कोशिका में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं।ये नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से मिलकर गठित होते हैं, शरीर के बाहर तो ये मृत-समान होते हैं परंतु शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं। इन्हे क्रिस्टल के रूप में इकट्ठा किया जा सकता है। एक विषाणु बिना किसी सजीव माध्यम के पुनरुत्पादन नहीं कर सकता है। यह सैकड़ों वर्षों तक सुशुप्तावस्था में रह सकता है और जब भी एक जीवित मध्यम या धारक के संपर्क में आता है उस जीव की कोशिका को भेद कर आच्छादित कर देता है और जीव बीमार हो जाता है। एक बार जब विषाणु जीवित कोशिका में प्रवेश कर जाता है, वह कोशिका के मूल आरएनए एवं डीएनए की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता है और संक्रमित कोशिका अपने जैसे संक्रमित कोशिकाओं का पुनरुत्पादन शुरू कर देती है।विषाणु का अंग्रेजी शब्द वाइरस का शाब्दिक अर्थ विष होता है। सर्वप्रथम सन 1796 में डाक्टर एडवर्ड जेनर ने पता लगाया कि चेचक, विषाणु के कारण होता है। उन्होंने चेचक के टीके का आविष्कार भी किया। इसके बाद सन 1886 में एडोल्फ मेयर ने बताया कि तम्बाकू में मोजेक रोग एक विशेष प्रकार के वाइरस के द्वारा होता है। रूसी वनस्पति शास्त्री इवानोवस्की ने भी 1892 में तम्बाकू में होने वाले मोजेक रोग का अध्ययन करते समय विषाणु के अस्तित्व का पता लगाया। बेजेर्निक और बोर ने भी तम्बाकू के पत्ते पर इसका प्रभाव देखा और उसका नाम टोबेको मोजेक रखा। मोजेक शब्द रखने का कारण इनका मोजेक के समान तम्बाकू के पत्ते पर चिन्ह पाया जाना था। इस चिन्ह को देखकर इस विशेष विषाणु का नाम उन्होंने टोबेको मोजेक वाइरस रखा।विषाणु, लाभप्रद एवं हानिकारक दोनों प्रकार के होते हैं। जीवाणुभोजी विषाणु एक लाभप्रद विषाणु है, यह हैजा, पेचिश, टायफायड आदि रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर मानव की रोगों से रक्षा करता है। कुछ विषाणु पौधे या जन्तुओं में रोग उत्पन्न करते हैं एवं हानिप्रद होते हैं। एचआईवी, इन्फ्लूएन्जा वाइरस, पोलियो, कोरोना वाइरस रोग उत्पन्न करने वाले प्रमुख विषाणु हैं। सम्पर्क द्वारा, वायु द्वारा, भोजन एवं जल द्वारा तथा कीटों द्वारा विषाणुओं का संचरण होता है परन्तु विशिष्ट प्रकार के विषाणु विशिष्ट विधियों द्वारा संचरण करते हैं।
"वायरस कोशिका के बाहर तो मरे हुए ऱहते है लेकिन जब ये कोशिका मैंं प्रवेश करते है तो इनका जीवन चक्र प्रारम्भ होने लगता है।
विषाणु के प्रकार :- परपोषी प्रकति के अनुसार विषाणु तीन प्रकार के होते हैं।
1.पादप विषाणु (plant virus)
2.जन्तु विषाणु (animal virus)
3.जीवाणुभोजी (bacteriophage)
1.पादप विषाणु (Plant virus) :
 इन के अंदर न्यूक्लिक अम्ल आर.एन. ए. (RNA) होता है।
जैसे-टी.एम.वी.(T.M.V)
2. जन्तु विषाणु (Animal virus): 
इनमें न्यूक्लिक अम्ल सामान्यतः DNA होता है और कभी-कभी RNA भी होता है। जैसे-इनफ्लूएन्जा वायरस, मम्पस वायरस आदि।
3. बैकिद्रियीफेज (Bacteriophage) या जीवाणुभोजी :
 यह केवल जीवाणुओं (Bactena) के ऊपर आवित रहते हैं। इनमें न्यूक्लिक अम्ल के रूप में DNA पाया जाता है। जैसे- टी-2।
विषाणु रोग (Virus Diseases)- विषाणु बड़े सूक्ष्म जीव हैं, जिनमें से विशेष विषाणुओं से विशेष संक्रामक रोग उत्पन्न होते हैं। प्राय: ऐसे 50 रोग मनुष्य को होते हैं जिनका कारण विषाणु माना जाता है। विषाणु की प्रकृति का अभी पूरा ज्ञान नहीं है, लेकिन कुछ बातें ठीक ठीक ज्ञात हैं। विषाणु को इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी (electron microscope) द्वारा देख सकते हैं। जीवित कोशिका की उपस्थिति तथा अनुकूल वातावरण में विषाणु बढ़ने लगते हैं पर जीवित कोशिका की अनुपस्थिति में विषाणु का बढ़ना कभी नहीं पाया गया है। परमाणु, बनावट की भिन्नता तथा स्थायित्व (stability) के अनुसार विषाणुओं की कई जातियाँ हैं। विषाणु जीव हैं या नहीं इसपर भी पृथक्‌ मत है। विषाणुओं के संक्रमण द्वारा कोशिका के उपापचय (metabolism) में विकृति उत्पन्न हो जाती है, जो भिन्न भिन्न विषाणुओं से विभिन्न प्रकार की होती है। इससे रोगलक्षण भी पृथक्‌ पृथक्‌ होते हैं। विषाणु संक्रमण के बाद मनुष्य में अधिकतर प्रतिरक्षा (immunity) उत्पन्न हो जाती है। अभी विषाणुओं के संक्रमण की चिकित्सा की विशेष (specific) ओषधि नहीं मिली है। साधारण ज़ुकाम (common cold), डेंग्यू (dengue), हर्पीज (herpes), संक्रामी यकृतशोथ (infective hepatitis), मसूरिका (measles) कनफेड़ (mumps), चेचक (small pox), लिफोग्रैनुलोमा विनेरियम (lympho-granuloma venareum), जलसंक्रास (hydrophobia), नेत्र में रोहे (trachoma) आदि रोग विषाणुओं के संक्रमण द्वारा होते हैं।
हरारत, सिरदर्द, ज्वर, त्वचा पर उदभेदन, ग्रंथि उभड़ना, सरेसाम आदि विषाणु संक्रमण के विविध तथा पृथक्‌ लक्षण होते हैं। चिकित्सा में अधिकतर रोगलक्षण का उपचार मुख्य है। रोगी की शुश्रुषा, तरल तथा पौष्टिक भोजन और परिचर्या आवश्यक है।
अब थोड़ा विस्तार में कारण और निदान जान ले..
वायरस जैविक पदार्थ वाले कैप्सूल होते हैं। ये जीवाणुओं से भी छोटे होते हैं। वायरस की वजह सेसामान्य सर्दी-जुकाम,फ्लूऔर छालेजैसी सामान्य संक्रामक बीमारियां होती हैं। इनकी वजह से एचआईवी/एड्स,चेचकऔर रक्तस्रावी बुखारजैसी गंभीर बीमारियां भी होती हैं।
वायरस हाईजैकर के समान होते हैं। वे सामान्य, जीवित कोशिकाओं में घुस जाते हैं और अपने समान अन्य वायरस बनाने के लिए उन कोशिकाओं का प्रयोग करते हैं। अंत में, ये कोशिकाओं को मार देते हैं, जिससे आप बीमार हो सकते हैं।
वायरल संक्रमणों का इलाज कठिन होता है क्योंकि वायरस आपके शरीर की कोशिकाओं के अंदर रहते हैं। ये उन दवाओं से सुरक्षित होते हैं, जो आपके रक्त संचार से जाती हैं। वायरल संक्रमण में एंटीबायोटिक्स काम नहीं आता है। बहुत कम एंटीवायरल दवाएं उपलब्ध हैं। वैक्सीन से आपको कई वायरल बीमारियों से बचने में सहायता मिल सकती है।
विषाणु संक्रमण के लक्षण
निम्नलिखित लक्षणों से विषाणु संक्रमण का संकेत मिलता है:
भरा हुआ या बहुरंगी नाक
छींक आना
खाँसी
गले में खराश
हल्का बुखार
दुर्बलता
सरदर्द
जोड़ो में दर्द
श्लेष्म झिल्ली वृद्धि
काले बिंदु
मोटा बाँध
लाल चकत्ते
सूजी हुई ग्रंथियां
थकान
दस्त
वजन घटना
रात पसीना
खमीर संक्रमण
यह संभव है कि विषाणु संक्रमण मे कोई शारीरिक लक्षण नहीं दिखाता है और अभी भी यह एक रोगी में मौजूद है इसका पता नही चलता।
निम्नलिखित विषाणु संक्रमण के सबसे सामान्य कारण हैं:
rhinoviruses
सांस संबंधी स्यनसिशीयल वायरस
मानव पैराइनफ्लुएंजा वायरस
मानव मेटापीन्यूमोवायरस
ह्यूमन पैपिलोमा वायरस
विषाणु संक्रमण के अन्य सामान्य कारण निम्नलिखित हैं:
हवाई बूँदों के माध्यम से संचरण
संक्रमित नाक स्राव के साथ सीधे संपर्क
ठंड के मौसम के लिए लंबे समय तक जोखिम
एचआईवी / एड्स
सीडी 4 गिनती में गिरावट
यौन संपर्क
रक्त - आधान
साझा सुइयों
गर्भावस्था
स्तनपान
विषाणु संक्रमण के जोखिम कारक
जिनसे विषाणु संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है:
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
धूम्रपान
क्षतिग्रस्त त्वचा
असुरक्षित यौन संबंध
अन्य यौन संचारित संक्रमण
शेयरिंग सुई का उपयोग करें
अब थोड़ी बात विषाणु संक्रमण से निवारण पे हो जाये
हाँ, विषाणु संक्रमण को रोकना संभव है निम्न कार्य करके निवारण संभव हो सकता है:
1.साबुन और पानी के साथ दैनिक हाथ धो लें
2.अपने नाक, मुंह और आंखों को हाथ से हाथ धोना न दें
3.बीमार या संक्रमित लोगों से दूर रहें
4.मानव पेपिलोमावायरस के खिलाफ टीका लगवाएँ।
5।.कन्डोम का प्रयोग करो
6.सेक्स करने से पहले एचआईवी टेस्ट मोनोग्रामस हो।यौन भागीदारों को सीमित करें।
7.दवाओं या अल्कोहल का दुरुपयोग न करें
8.माता से बच्चे को ट्रांसमिशन रोकना
स्तनपान से बचें
विषाणु संक्रमण किसी भी उम्र में हो सकता है।
विषाणु संक्रमण किसी भी लिंग में हो सकता है।
विषाणु संक्रमण का पता लगाने के लिए निम्न प्रयोगशाला परीक्षण और प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है:
1.छाती एक्स-रे: आम सर्दी का निदान करने के लिए।
2.पैप परीक्षण: असामान्यताओं की जांच करने के लिए जो कैंसर का कारण बन सकते हैं।
3.डीएनए परीक्षण: मानव पेपिलोमावायरस की उच्च-जोखिम वाली किस्मों के डीएनए का विश्लेषण करना।
4.सिरका समाधान परीक्षण: घावों को पहचानने के लिए।
5.स्क्रीनिंग टेस्ट: रक्त के नमूने में एचआईवी एंटीबॉडी और एंटीजन की उपस्थिति की जांच।
6.सीडी 4 गिनती: सीडी 4 (श्वेत रक्त कोशिकाओं) की गिनती की जांच के लिए।
7.वायरल लोड: रक्त में वायरस की मात्रा को मापने के लिए।
8.ड्रग प्रतिरोध: एचआईवी तनाव के प्रतिरोध को एचआईवी दवाओं के खिलाफ जांचना।
अन्य प्रयोगशाला परीक्षण: टीबी, हेपेटाइटिस, मूत्र पथ के संक्रमण, यौन संचारित संक्रमण जैसे अन्य संक्रमणों का परीक्षण करने के लिए।
विषाणु संक्रमण के निदान के लिए 
मरीजों को निम्नलिखित विशेषज्ञों का दौरा करना चाहिए, यदि उन्हें विषाणु संक्रमण के लक्षण हैं:
संक्रामक रोग विशेषज्ञ
1.त्वचा विशेषज्ञ
2.पोडियाट्रिस्ट
3.प्रसूतिशास्री
4.उरोलोजिस्त
5.एचआईवी विशेषज्ञ
और हाँ, विषाणु संक्रमण जटिलताओं का कारण बनता है यदि इसका इलाज नहीं किया जाता है नीचे दी गयी सूची उन जटिलताओं और समस्याओं की है जो विषाणु संक्रमण को अनुपचारित छोड़ने से पैदा हो सकती है:
दमा
तीव्र साइनस
खराब गला
निमोनिया
क्रुप
श्वासनलिकाशोथ
यक्ष्मा
cytomegalovirus
कैंडिडिआसिस
क्रिप्टोकोकल मेनिन्जाइटिस
टोक्सोप्लाज़मोसिज़
cryptosporidiosis
कपोसी सारकोमा
लिम्फोमा
बर्बाद सिंड्रोम
तंत्रिका संबंधी जटिलताओं
गुर्दे की बीमारी
विषाणु संक्रमण के उपचार के लिए प्रक्रियाएँ
विषाणु संक्रमण के इलाज के लिए निम्नलिखित प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है:
1.Cryotherapy: तरल नाइट्रोजन के साथ बर्फ़ीली जो ऊतक को नष्ट कर देती है
2.लूप इलेक्ट्रोस्र्जिकल एक्स्ट्रूशन प्रक्रिया: गर्म तार लूप का उपयोग करके गर्भाशय ग्रीवा के ऊतकों को खत्म करना
3.सर्जिकल conization: गर्भाशय ग्रीवा और ग्रीवा नहर से ऊतक का एक शंकु के आकार का टुकड़ा कम करने के लिए
4.लेजर वाष्पीकरण conization: ग्रीवा ऊतक को मारने के लिए
5.एंटीरिट्रोवाइरल थेरेपी: सीडी 4 सेल गिनती उठाती है।
निम्नलिखित स्वयं देखभाल कार्यों या जीवनशैली में परिवर्तन से विषाणु संक्रमण के उपचार या प्रबंधन में मदद मिल सकती है:
1.नेल काटने से बचें: नेल काटने से बचें मानव पेपिलोमावायरस संक्रमण को रोकने में मदद करता है
2.कई यौन सहयोगियों से बचें: यौन सहयोगियों की संख्या कम करके संक्रमण को संक्रमित करने में मदद मिलती है
3.लेटेक्स कंडोम का उपयोग करना: मस्सा विकसित करने से बचाता है
विषाणु संक्रमण के उपचार के लिए रोगी सहायता निम्नलिखित क्रियाओं के द्वारा विषाणु संक्रमण के रोगियों की मदद हो सकती है:
1.शिक्षा: सुरक्षित यौन व्यवहारों और तम्बाकू के उपयोग के बारे में चेतावनियों के बारे में शिक्षा प्रदान करके
2.विषाणु रोग प्रवंधन सहायता समूह में शामिल हों: एचआईवी के प्रबंधन में मदद करता है
विषाणु संक्रमण के उपचार के लिए समय
नीचे एक विशेषज्ञ पर्यवेक्षण के अंतर्गत विषाणु संक्रमण के ठीक से इलाज के लिए विशेष समय अवधि है, जबकि प्रत्येक रोगी के इलाज की समय अवधि भिन्न हो सकती है:
रोग का इलाज नहीं किया जा सकता है लेकिन केवल बनाए रखा जाता है या प्रभाव कम होता है
क्या विषाणु संक्रमण संक्रमित है?
हाँ, विषाणु संक्रमण संक्रामक माना जाता है। यह निम्नलिखित तरीकों से लोगों में फैल सकता है:
1.संक्रमित लोगों के साथ हाथ से हाथ से संपर्क
2.संक्रमित व्यक्ति से श्वसन स्राव या मल के साथ संपर्क करें
3.प्रत्यक्ष यौन संपर्क
4.रक्त - आधान
5.साझा सुइयों
6.गर्भवती मां से भ्रूण
7.स्तनपान
आप की जानकारी बढ़ाने के लिए जो संकलन हो सका किया।आप इसमें अपना योगदान दे सकते है।इसे आगे बढ़ा कर औरो को शिक्षित कर सकते है।इस मुश्किक वक़्त में ये शिक्षा ही आमजन के सहारा है।
जय हिंद।
****🙏***✍️
शुभ रात्रि।
"निर्गुणी"
🌺🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌺

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

रस्म पगड़ी।

🌹🙏🏼🎊🎊🎊😊🎊🎊🎊✍🏼🌹 आज एक रस्म पगड़ी में गया हमारे प्यारे गोपाल भैया की।बहुत अच्छे योगाभ्यासी थे।रोज सुबह योगा सेवा में योग की कक्षा भी लगाया करते थे।बहुत शुद्ध साफ निर्मल तबीयत के और बेहद अच्छे व्यक्तित्व के मालिक थे। उम्र रही तक़रीबन 56 साल।एक गम्भीर बीमारी ने एक जीवन असमया लील लिया।पारिवारिक संबंध है हमारे।उनके पुत्र को देख के मुझे 26 जुलाई 2009 की याद आ गयी।मेरे पिता जी की मृत्यु हुई और हमारे यहां रस्म पगड़ी तेहरवीं पे ही होती है।ये उत्तर भारत के रस्मों रिवाज का हिस्सा है।पिता के बाद घर मे ज्येष्ठ पुत्र को आधिकारिक रूप से परिवार का मुखिया बनाया जाता है।समाज के सामने और जो पगड़ी बांधी जाती है सारा समाज जो वहां उपस्थित होता है अपने स्पर्श से पगड़ी को अधिकार सौंपता है। थोड़ा संकलित ज्ञान इसपे ही हो जाये।रस्म पगड़ी - रस्म पगड़ी उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और सभी धार्मिक  समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीके से पगड़ी (जिस

भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 112 से 117 तक।

🌹🙏❣❣❣❣❣❣🇮🇳❣❣❣❣❣❣✍🌹 भारतीय संविधान भाग 5 अनुच्छेद 112 से 117 वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया का वर्णन करता है। ये  सरकार की वित्तीय प्रणाली का महत्वपूर्ण अंग है।हमारे संघ प्रमुख हमारे माननीय राष्ट्रपति इस हर वर्ष संसद के पटल पर रखवाते है।प्रस्तुति।बहस और निवारण के साथ पास किया जाता है।चलो जरा विस्तार से जाने। यहां अनुच्छेद 112. वार्षिक वित्तीय विवरण--(1) राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के संबंध में संसद के दोनों सदनों के समक्ष भारत सरकार की उस वर्ष के लिए प्राक्कलित  प्राप्ति यों और व्यय  का विवरण रखवाएगा जिसे इस भाग में “वार्षिक  वित्तीय विवरण”कहा गया है । (2) वार्षिक  वित्तीय विवरण में दिए हुए व्यय के प्राक्कलनों में-- (क) इस संविधान में भारत की संचित निधि पर  भारित व्यय के रूप में वार्णित व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित   राशियां, और (ख) भारत की संचित निधि में से किए जाने के लिए प्रस्थाफित अन्य व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित राशियां, पृथक –पृथक दिखाई जाएंगी और राजस्व लेखे होने वाले व्यय का अन्य व्यय से भेद किया जाएगा   । (3) निम्नलिखित व्यय भारत की संचित निधि पर भार

दीपावली की शुभकामनाएं २०२३।

🌹🙏🏿🔥❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🇮🇳❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🔥🌹🙏🏿 आज बहुत शुभ दिन है। कार्तिक मास की अमावस की रात है। आज की रात दीपावली की रात है। अंधेरे को रोशनी से मिटाने का समय है। दीपावली की शुभकानाओं के साथ दीपवाली शब्द की उत्पत्ति भी समझ लेते है। दीपावली शब्द की उत्पत्ति  संस्कृत के दो शब्दों 'दीप' अर्थात 'दिया' व 'आवली' अर्थात 'लाइन' या 'श्रृंखला' के मिश्रण से हुई है। कुछ लोग "दीपावली" तो कुछ "दिपावली" ; वही कुछ लोग "दिवाली" तो कुछ लोग "दीवाली" का प्रयोग करते है । स्थानिक प्रयोग दिवारी है और 'दिपाली'-'दीपालि' भी। इसके उत्सव में घरों के द्वारों, घरों व मंदिरों पर लाखों प्रकाशकों को प्रज्वलित किया जाता है। दीपावली जिसे दिवाली भी कहते हैं उसे अन्य भाषाओं में अलग-अलग नामों से पुकार जाता है जैसे : 'दीपावली' (उड़िया), दीपाबॉली'(बंगाली), 'दीपावली' (असमी, कन्नड़, मलयालम:ദീപാവലി, तमिल:தீபாவளி और तेलुगू), 'दिवाली' (गुजराती:દિવાળી, हिन्दी, दिवाली,  मराठी:दिवाळी, कोंकणी:दिवाळी,पंजाबी),